संसद का शीतकालीन सत्र आज 19 दिसंबर 2025 को समाप्त हो गया । 19 दिनों तक चले इस शीतकालीन सत्र में कुल 15 बैठकें हुईं। 18वीं लोकसभा का यह छठा सत्र विधायी कार्यों और राजनीतिक बहस दोनों के लिहाज से महत्वपूर्ण रहा।इस सत्र में सभा की उत्पादकता 111 प्रतिशत रही, जो सांसदों की सक्रिय भागीदारी को दर्शाती है । लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदन को संबोधित करते हुए कहा कि सभी सदस्यों के सहयोग से यह उच्च उत्पादकता हासिल की गई। उन्होंने प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और सभी सांसदों का धन्यवाद किया। सत्र के दौरान कई महत्वपूर्ण विधायी और वित्तीय कार्य संपन्न हुए।
पारित प्रमुख विधेयक
इस सत्र के दौरान संसद ने कुल 5 प्रमुख विधेयकों को लोकसभा और राज्यसभा से पारित किया । इनमें सबसे महत्वपूर्ण और विवादास्पद विधेयक विकसित भारत-ग्रामीण रोजगार एवं आजीविका मिशन विधेयक (VB-G RAM G या जी राम जी विधेयक) 2025 था, जो 20 वर्ष पुरानी मनरेगा योजना की जगह लेगा।
बीमा संशोधन विधेयक, परमाणु ऊर्जा से संबंधित शांति (SHANTI) विधेयक, अनुदान विधेयक और निरसन एवं संशोधन विधेयक शामिल हैं । इन विधेयकों के माध्यम से सरकार ने ग्रामीण रोजगार, सामाजिक सुरक्षा, ऊर्जा क्षेत्र और कानूनी ढांचे को मजबूत करने की दिशा में कदम उठाए।सत्र के पहले दिन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने तीन विधेयक पेश किए – मणिपुर जीएसटी संशोधन बिल 2025, केंद्रीय उत्पाद शुल्क संशोधन विधेयक 2025, और स्वास्थ्य सुरक्षा तथा राष्ट्रीय सुरक्षा सेस विधेयक 2025, जो सभी पारित हुए।
प्रमुख चर्चाएं और बहसें
संसद के शीतकालीन सत्र के छठे दिन सरकार की ओर से वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने पर एक चर्चा आयोजित की गई । इस चर्चा की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में की, जिसमें सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच राजनीतिक टकराव भी देखा गया।
सत्र के दौरान दिल्ली-एनसीआर के वायु प्रदूषण, बीमा कानून संशोधनों और अन्य महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दों पर गहन चर्चा हुई। विभिन्न मंत्रालयों से संबंधित संसदीय स्थायी समितियों की रिपोर्टें भी प्रस्तुत की गईं।
जी राम जी विधेयक विवाद
संसद के इस सत्र में सबसे अधिक विवाद जी-राम-जी विधेयक 2025 को लेकर रहा। विपक्षी दलों ने इस विधेयक का जमकर विरोध किया, जिसे मनरेगा का विकल्प बताया गया। विपक्ष का आरोप था कि यह कानून ग्रामीण गरीबों के अधिकारों का हनन करता है और महात्मा गांधी के विजन का अपमान है।
विपक्षी सांसदों ने संसद परिसर में मनरेगा का नाम बदलने के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और हाथों में तख्तियां लेकर ‘मनरेगा को मत मारो’ के नारे लगाए । विधेयक पारित होने से पहले विपक्षी सांसदों ने सदन से वॉकआउट किया और संसद के मकर द्वार पर रातभर धरने पर बैठे रहे।
हंगामा और व्यवधान
सत्र के दौरान कई मौकों पर विपक्ष के विरोध और हंगामे के कारण लोकसभा की कार्यवाही बाधित हुई। अंतिम दिन शुक्रवार को कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष ने फिर हंगामा किया, जिसके बाद वंदे मातरम के बाद सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया।
विपक्ष का तर्क था कि महत्वपूर्ण बिलों को बिना सिलेक्ट कमेटी के पास भेजे और राज्य सरकारों से परामर्श किए बिना जल्दबाजी में पास करना लोकतांत्रिक प्रक्रिया के विरुद्ध है। विपक्षी सांसदों ने रात 12:30 बजे तक चली कार्यवाही को भी अनुचित बताया।
सत्रावसान के बाद की घटनाएं
सत्र के अंत में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सभी दलों के नेताओं से मुलाकात की । इस पारंपरिक चाय पार्टी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विपक्ष के नेताओं के बीच सौहार्दपूर्ण माहौल देखने को मिला। नवनिर्वाचित सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा भी इस बैठक में शामिल हुईं और प्रधानमंत्री के साथ वायनाड के विकास मुद्दों पर चर्चा की।
बैठक के दौरान सदस्यों ने नए संसद भवन में एक समर्पित हॉल की मांग प्रधानमंत्री के सामने रखी। सदस्यों ने यह भी कहा कि सत्र काफी उपयोगी रहा, हालांकि इसे और आगे बढ़ाया जा सकता था।
निष्कर्ष
111 प्रतिशत उत्पादकता के बावजूद, यह सत्र हंगामे और राजनीतिक टकराव का साक्षी बना। मनरेगा के प्रतिस्थापन जैसे विवादास्पद मुद्दों ने संसदीय बहस को तीखा बना दिया। लोकसभा अध्यक्ष ने सभी सदस्यों के सहयोग की सराहना करते हुए सत्र को सफल बताया। अब अगला बजट सत्र 2026 में शुरू होगा।
राज्यसभा शीतकालीन सत्र 2025 – विस्तृत रिपोर्ट
राज्यसभा का 269वां सत्र आज शुक्रवार को सभापति सीपी राधाकृष्णन द्वारा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया । उच्च सदन ने इस सत्र में विधायी कार्यों के साथ-साथ महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दों पर सार्थक चर्चा की।
उत्कृष्ट उत्पादकता
राज्यसभा में इस शीतकालीन सत्र में 92 घंटे काम हुआ, जिससे इस सदन ने 121 फीसदी प्रोडक्टिविटी हासिल की । यह आंकड़ा सदन के सदस्यों की सक्रिय भागीदारी और विधायी कार्यों के प्रति गंभीरता को दर्शाता है। राज्यसभा ने लोकसभा की तुलना में भी अधिक उत्पादकता हासिल की।
शून्यकाल में अभूतपूर्व भागीदारी
सीपी राधाकृष्णन ने सदन को बताया कि इस सत्र में प्रतिदिन औसतन 84 से अधिक शून्यकाल नोटिसों का अभूतपूर्व आंकड़ा शामिल है, जो पिछले दो सत्रों की तुलना में 30.1 प्रतिशत ज्यादा है । शून्यकाल के दौरान प्रतिदिन 15 से अधिक मामले उठाए गए, जो लगभग 50 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाते हैं।
इस सत्र में 58 तारांकित प्रश्न, 208 शून्यकाल नोटिस और 87 विशेष उल्लेख लिए गए। सदस्यों ने देश के विभिन्न क्षेत्रों और मुद्दों पर अपनी चिंताएं व्यक्त कीं।
पारित प्रमुख विधेयक
राज्यसभा ने लोकसभा के साथ मिलकर पांच महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित किया। इनमें सबसे चर्चित विधेयक विकसित भारत-ग्रामीण रोजगार एवं आजीविका गारंटी मिशन (जी राम जी) विधेयक 2025 था।
गुरुवार, 18 दिसंबर 2025 को परमाणु ऊर्जा से संबंधित शांति विधेयक 2025 राज्यसभा से पारित हो गया । यह विधेयक निजी क्षेत्र की भागीदारी के लिए परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को खोलने का मार्ग प्रशस्त करता है। राज्यसभा ने इसे ध्वनिमत से मंजूरी दी।
बीमा संशोधन विधेयक, निरसन एवं संशोधन विधेयक, और अनुदान विधेयक भी राज्यसभा से पारित हुए। विनियोग विधेयक 2025 पर चर्चा हुई, जो धन विधेयक होने के कारण केवल विचार-विमर्श के लिए राज्यसभा में आया।
जी राम जी विधेयक पर तीखी बहस
गुरुवार रात करीब 12:30 बजे जी-राम-जी विधेयक को राज्यसभा से मंजूरी मिली, जबकि विपक्ष ने इसका जमकर विरोधा किया । विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने चेतावनी दी कि सरकार को यह कानून भी तीन कृषि कानूनों की तरह वापस लेना पड़ेगा। विपक्ष का आरोप था कि इस विधेयक से राज्य सरकारों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ेगा और ग्रामीण गरीबों के अधिकारों का हनन होगा। विधेयक पारित होने से पहले विपक्षी सांसदों ने सदन से वॉकआउट किया।
वंदे मातरम पर विशेष चर्चा
वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने पर विशेष चर्चा आयोजित की गई । राज्यसभा में इस चर्चा की शुरुआत गृह मंत्री अमित शाह ने की। इस ऐतिहासिक अवसर पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों ने अपने विचार व्यक्त किए, हालांकि कुछ बिंदुओं पर मतभेद भी सामने आए।
अन्य महत्वपूर्ण चर्चाएं
राज्यसभा में दिल्ली-एनसीआर के वायु प्रदूषण, बीमा क्षेत्र में सुधार, परमाणु ऊर्जा नीति और विभिन्न संसदीय समितियों की रिपोर्टों पर विस्तृत चर्चा हुई। सदस्यों ने कृषि, रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर सरकार से सवाल किए।
देर रात की कार्यवाही
सत्र के अंतिम दिनों में राज्यसभा में देर रात तक कार्यवाही चली। विधेयकों को पारित कराने के लिए सरकार ने रात 12:30 बजे तक सदन चलाया, जिस पर विपक्ष ने आपत्ति जताई। विपक्ष का कहना था कि इतने महत्वपूर्ण विधेयकों पर रात के समय चर्चा करना लोकतांत्रिक परंपराओं के विरुद्ध है।
सभापति का समापन संबोधन
सत्र की समाप्ति पर सभापति सीपी राधाकृष्णन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सदन के नेता जेपी नड्डा, विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे और सभी सदस्यों को उनके सहयोग के लिए हार्दिक आभार व्यक्त किया। उन्होंने सत्र के दौरान हुए उल्लेखनीय कार्यों की सराहना की।
चुनौतियां और विवाद
हालांकि राज्यसभा में उच्च उत्पादकता रही, लेकिन कई मौकों पर विपक्ष के विरोध के कारण कार्यवाही बाधित हुई। विपक्ष का मुख्य आरोप था कि सरकार महत्वपूर्ण विधेयकों को स्थायी समितियों के पास भेजे बिना और पर्याप्त चर्चा के बिना पारित करा रही है।
विपक्षी सांसदों ने विशेष रूप से जी राम जी विधेयक और परमाणु ऊर्जा विधेयक पर गहन चर्चा की मांग की थी, लेकिन सरकार ने बहुमत के आधार पर इन्हें पारित करा दिया।
सत्र का समग्र मूल्यांकन
121 प्रतिशत उत्पादकता के साथ राज्यसभा का यह सत्र विधायी दृष्टि से अत्यंत सफल रहा। सदस्यों की सक्रिय भागीदारी, शून्यकाल में बढ़ोतरी और महत्वपूर्ण विधेयकों का पारित होना इस सत्र की उपलब्धियां हैं। हालांकि, विधेयकों को जल्दबाजी में पारित कराने और पर्याप्त परामर्श के अभाव को लेकर विपक्ष की चिंताएं भी दर्ज हुईं।
राज्यसभा ने अपनी संवैधानिक भूमिका का निर्वहन करते हुए विधेयकों पर विस्तृत चर्चा की और विभिन्न दृष्टिकोणों को सामने लाया। अब अगला सत्र 2026 में बजट सत्र के साथ शुरू होगा, जिसमें देश की आर्थिक नीतियों और बजट प्रस्तावों पर चर्चा होगी।
संसद का शीतकालीन सत्र विधायी कार्यों और राजनीतिक बहस दोनों के लिहाज से महत्वपूर्ण रहा
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