उत्तर प्रदेश में बायो गैस उत्पादन करने वाले अत्याधुनिक बायो-CNG प्लांट का प्रयागराज में शुभारंभ

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स्वच्छ भारत मिशन–अर्बन 2.0 के तहत कचरा प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए उत्तर प्रदेश में बायो गैस उत्पादन करने वाले अत्याधुनिक बायो-CNG प्लांट का प्रयागराज में शुभारंभ किया गया। यह देश के आधुनिक वेस्ट टू एनर्जी मॉडल्स में शामिल है। यह संयंत्र न केवल शहर को कचरा मुक्त बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण है, बल्कि स्वच्छ और ग्रीन ऊर्जा उत्पादन और स्थानीय किसानों को सशक्त करने का भी एक बड़ा माध्यम बन रहा है।

प्रयागराज में विकसित यह प्रोजेक्ट विविध प्रकार के कार्बनिक कचरे को संसाधित कर Bio-CNG उत्पन्न करने में सक्षम है। इस संयंत्र में प्रतिदिन कुल 343 टन ऑर्गेनिक वेस्ट को प्रोसेस करने की क्षमता है, जिससे लगभग 21 टन प्रतिदिन बायो-CNG का उत्पादन हो रहा है। कृषि अवशेष—जैसे कि धान की पुआल, गोबर और मुर्गी शाला के अवशेष से कंप्रेस्ड बायो-गैस उत्पादित हो रही है। नगर निगम प्रयागराज के इस सराहनीय कदम के  फलस्वरूप  वर्तमान में लगभग 125 मैट्रिक टन गीला कचरा उपलब्ध कराया जा रहा है जो शुरुआती दौर में मात्र 7-8 मीट्रिक टन ही था। इस परियोजना की सबसे बड़ी विशेषता इसका मल्टी-फीडस्टॉक मॉडल है, जिसमें नगर निगम का ठोस कचरा, पुआल, गोबर और पोल्ट्री लिटर सभी का कुशलतापूर्वक उपयोग किया जाता है। इससे न केवल स्वच्छ ईंधन का उत्पादन हो रहा है, बल्कि पराली जलाने जैसी समस्याओं पर भी नियंत्रण रखा जा सकेगा। साथ ही, यह परियोजना प्रतिदिन 28 टन उच्च गुणवत्ता वाली कम्पोस्ट भी तैयार कर रही है। यह कम्पोस्ट स्थानीय किसानों को उपलब्ध करा, Regenerative Farming को भी बढ़ावा मिल रहा है।

पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल के तहत संचालित यह संयंत्र शहर के होटलों, रेस्टोरेंट्स, अपार्टमेंट और अन्य संस्थानों से उत्पन्न होने वाले थोक कचरे का समाधान प्रदान करता है। तैयार बायो-CNG को CBG-CGD Synchronization Scheme के तहत बिक्री की जा रहा है, जिसमें ईंधन कैस्केड रूट के माध्यम से वितरित किया जा रहा है। यह स्वच्छ ऊर्जा शहर के परिवहन में काम आ रहा है, एवं आगामी समय में 45,000 घरों को भी पाइपलाइन के माध्यम से गैस उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जा रही है। जिससे शहर में ईंधन पर निर्भरता कम होगी और कार्बन उत्सर्जन में 57000 MT वार्षिक उल्लेखनीय कमी आएगी।

इस बायो-CNG प्लांट की शुरुआत के साथ उत्तर प्रदेश ने हरित ऊर्जा और अपशिष्ट प्रबंधन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर स्थापित किया है। यह परियोजना न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक दूरदर्शी कदम है, बल्कि कचरे से कंचन बनाने के मिशन को भी साकार करती है।

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