स्वतंत्र भारत के इतिहास में चुनाव आयोग की प्रतिष्ठा पर सबसे बड़ा संकट                    − निर्मल रानी

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 विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारतवर्ष में दुनिया की सबसे जटिल समझी जाने वाली चुनावी प्रक्रिया को अपनाने व इसे पूरा कराने को लेकर जिस केंद्रीय चुनाव आयोग की पीठ पूरी दुनिया थपथपाया करती थी व दुनिया के विभिन्न देशों के संसदीय प्रतिनिधिमंडल व चुनाव विशेषज्ञ जिस भारतीय चुनाव संचालन को देखने व समझने के लिये अब भी भारत आते रहते हैं वही चुनाव व चुनाव आयोग इन दिनों विपक्षी दलों के अति गंभीर आरोपों से जूझ रहा है। चुनाव आयोग व इस तरह के कई अन्य केंद्रीय संस्थानों पर सत्ता का पक्षपात करने के आरोप तो पहले भी लगते रहे हैं। परन्तु वर्तमान चुनाव आयोग जिसतरह सत्ता को फ़ायदा पहुँचाने वाले नए नए चुनावी नियम बना रहा है,विपक्ष की प्रमाण सहित दी जाने वाली शिकयतों की अनसुनी कर रहा है,सत्ता द्वारा चुनाव आचार संहिता की धज्जियाँ उड़ाने के बावजूद आँखें मूंदे बैठा रहता है,और अब एस आई आर के बहाने कथित तौर पर जहाँ करोड़ों फ़र्ज़ी मतों को जोड़ने की कोशिश की जा रही है वहीँ संभावित रूप से विपक्ष की ओर जाने वाले मतों को चिन्हित कर उन्हें किसी न किसी बहाने से मतदाता सूची से काटने का काम किया जा रहा है। यानी स्पष्ट रूप से लोकततंत्र में लोक के मताधिकार पर ‘डाका ‘ डाला जा रहा है।        

                   वैसे तो पूरा विपक्ष ही चुनाव आयोग को केवल संदेह नहीं बल्कि सत्ता से मिलकर संविधान के साथ विश्वासघात किये जाने की दृष्टि से देख रहा है। लोक सभा व राज्य सभा के सर्वोच्च सदनों में चुनाव आयोग को निशाना बनाया जा रहा है। परन्तु नेता विपक्ष राहुल गाँधी ने तो चुनाव आयोग द्वारा की और करायी जाने वाली धांधली पर तो बाक़ायदा ‘शोध’ कर डाला है। और वे अपने इस चुनाव धांधली सम्बन्धी ‘शोध परिणाम’ को प्रेस कॉन्फ़्रेंस में प्रदर्शित करने से लेकर जनता जनार्दन के बीच सड़कों व गलियों तक पहुँच रहे हैं। इस संबंध वे अब तक 4 प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर ‘वोट चोरी ‘ के पूरे सबूत पेश कर चुके हैं। इसके अतिरिक्त वे अगस्त-सितंबर 2025 के बीच बिहार में 16 दिनों की 1,300 किमी लंबी वोटर अधिकार यात्रा भी SIR के विरुद्ध निकाल चुके हैं। इसके अलावा 200 से अधिक सांसदों व विधायकों के साथ वे 11 अगस्त 2025 को दिल्ली में मुख्य चुनाव आयुक्त मुख्यालय तक एक दिवसीय विरोध प्रदर्शन रुपी पैदल मार्च भी कर चुके हैं। एक ओर तो राहुल चुनाव आयोग द्वारा उपलब्ध कराये गये डेटा के अनुसार ही आयोग द्वारा बरती गयी अनियमितताओं संबंधी साक्ष्य पेश करते हैं तो दूसरी ओर  चुनाव आयोग कभी इन आरोपों को “बेबुनियाद” बता कर अपना पल्ला झाड़ लेता है तो कभी उल्टे राहुल से ही शपथ-पत्र मांगने लगता है। 

                परन्तु लगता है कि राहुल गांधी और उनकी कांग्रेस पार्टी ने तो गोया चुनाव आयोग को पूरी तरह बेनक़ाब करने का संकल्प ही कर लिया है। गत 14 दिसंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में कांग्रेस ने एक विशाल रैली आयोजित की। “वोट चोर, गद्दी छोड़” के शीर्षक से किये गये इस आयोजन में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने देशभर से लाखों कार्यकर्ता जुटाये। इस रैली का भी मुख्य उद्देश्य हरियाणा, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में हाल के विधानसभा चुनावों में कथित “वोट चोरी” और मतदाता सूची में हेराफेरी के आरोप लगाना था। इस विशाल रैली में भी कांग्रेस ने भाजपा और चुनाव आयोग पर मिलीभगत का गंभीर आरोप लगाते हुए लोकतंत्र तथा संविधान की रक्षा का संकल्प लिया। इस तरह की किसी रैली में यह पहला मौक़ा था जब कि सीधे तौर पर सबसे तीखा हमला मुख्य चुनाव आयुक्त और उसके दो आयुक्तों पर बोला गया। सांसद प्रियंका गाँधी ने एक बार और राहुल गांधी ने तो दो बार अपने भाषण में मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार तथा चुनाव आयुक्तों सुखबीर सिंह संधू और विवेक जोशी का नाम लेकर उनपर सीधे निशाना साधा। इन नेताओं ने उनका नाम लेते हुये आरोप लगाया कि ‘चुनाव आयोग भाजपा सरकार के साथ मिलकर काम कर रहा है, वोट चोरी को संरक्षण दे रहा है तथा आयोग निष्पक्ष नहीं है। ये लोग नहीं भूलें कि वे देश के चुनाव आयुक्त हैं, नरेंद्र मोदी के नहीं।”राहुल ने यह भी कहा कि ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव आयुक्तों को क़ानूनी सुरक्षा (इम्यूनिटी) देने वाला क़ानून बदला है, ताकि उनके खिलाफ कोई कार्रवाई न हो सके। कांग्रेस सत्ता में आने पर इस क़ानून को बदलेगी और आयुक्तों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करेगी। यहाँ भी राहुल ने दोहराया कि “चुनाव आयोग असत्य के साथ खड़ा नज़र आ रहा है। उन्होंने बताया कि कैसे हरियाणा में चुनाव चोरी हुआ, किस  तरह  कर्नाटक में लाखों वोट डिलीट हुए और महाराष्ट्र में फ़र्ज़ी वोट जोड़े गए परन्तु चुनाव आयोग ने कोई जवाब नहीं दिया।” यहाँ भी राहुल ने चुनावी धांधलियों के कई और उदाहरण पेश किये। यही नहीं बल्कि राहुल गांधी द्वारा देश भर से चुनाव आयोग के विरुद्ध लगभग 6 करोड़ हस्ताक्षर कराए गए हैं। यह अभियान कथित वोट चोरी के आरोपों के खिलाफ चलाया गया था, और इन हस्ताक्षरों को राष्ट्रपति को सौंपने की योजना है। इन 6 करोड़ हस्ताक्षर को भी 14 दिसंबर 2025 को दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित ‘वोट चोर गद्दी छोड़’ रैली के दौरान प्रदर्शित किया गया।

                   इसी रैली में कांग्रेस के कई प्रमुख राष्ट्रीय नेताओं ने चुनाव प्रक्रिया को हर क़दम पर संदिग्ध बताते हुये संस्थाओं पर दबाव डालने का आरोप लगाया जबकि कुछ वक्ताओं ने चुनाव आयोग को भाजपा की कठपुतली बताते हुये आयोग पर सबूतों की जांच नहीं करने का भी आरोप लगाया। कुछ नेताओं का मत था कि देश में निष्पक्ष अंपायर की कमी है। जबकि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने तो मुख्य रूप से भाजपा पर “वोट चोरी” करके सत्ता में आने का आरोप लगाया और चुनाव आयोग पर अप्रत्यक्ष रूप से सवाल उठाए। इसमें कोई संदेह नहीं कि यह रैली कांग्रेस की ओर से चुनावी अनियमितताओं के ख़िलाफ़ अब तक का एक सबसे बड़ा शक्ति प्रदर्शन थी, जिसमें चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सार्वजनिक रूप से खुलकर गंभीर सवाल उठाए गए। साथ ही यह भी सच है कि चुनाव आयोग पर प्रमाण सहित लगने वाले  इसतरह के आरोपों और आयोग द्वारा इन आरोप को नज़र अंदाज़ करने से भी स्वतंत्र भारत के इतिहास में चुनाव आयोग की प्रतिष्ठा यहाँ पर भी सबसे बड़ा संकट सामने आ खड़ा हुआ है।   

 − निर्मल रानी

वरिष्ठ लेखिका

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