
बिहार में योगी आदित्यनाथ चुनावी सभाएं कर रहे हैं तो कुछ नेता भगवा पर ही बरस पड़े ? एक महाशय ने तो 90 के दशक की याद दिला दी जब लालकृष्ण आडवाणी सोमनाथ से राम रथ यात्रा लेकर अयोध्या जा रहे थे । चूंकि आडवाणी के साथ सैकड़ों भगवाधारी भी थे तो आगबबूला लालू एंड कम्पनी ने यूपीए बैनर तले रथ यात्रा रोक दी थी । कल यदि तेजस्वी की सरकार आई तो एक भी भगवाधारी बिहार में नहीं आ पाएगा । अजीब बात है कि जिन लोगों ने बिहार में कल तक जंगलराज फैलाया हुआ था वे उन बुलडोजर्स से डर गए जो संकेतक के रूप में योगी के पंडाल के बाहर लगाए गए थे ।
उन्हें भगवा से इतनी चिढ़ क्यूं है ?
बात केवल योगी अथवा साधु संतों के भगवा पहनने की नहीं है भगवे रंग पर एतराज की है !
जो लोग यह मानते हैं कि भगवा रंग अशांति लाएगा , यह केवल उनके दिमाग का फितूर है !
संत परंपरा से जुड़ा भगवा भारतीय संस्कृति और सभ्यता का बड़ा हिस्सा है । अध्यात्म हमारी विरासत है और केसरिया हमारे राष्ट्रीय ध्वज का शिखर पर विराजमान है !
अभी दो दिन पूर्व हुई छठ पूजा पर व्रतधारी स्त्रियों की नाक से मांग तक भरा केसरिया भगवा ही तो था ? भगत सिंह सुखदेव और राजगुरु ने तो मां से अपना चोला ही बसंती मांगा था । शिवाजी और महाराणा प्रताप केसरिया की आन बान और शान के लिए आजीवन लड़ते रहे । इस देश की सन्नारियां मांग में भगवा सिंदूर भरकर शत्रु पर टूट पड़ती थीं और घिर जाने पर भगवा जौहर सजाती थीं । भगवा इस देश की ऊंचाइयों का प्रतीक है । सच कहें तो भारत का प्रतिनिधि रंग है भगवा या केसरिया । यह गौरवशाली अतीत का परिचय है । भारत की शान का प्रतिबिंब है ।
न जानें लोग भगवा से क्यों चिढ़ते हैं । यह रंग भारत की उत्सवप्रियता को दर्शाता है । भारत सदा सर्वदा से रगों और रागों से परिपूर्ण रहा है । वह केसरिया पताका ही थी जिसकी महिमा को पहले ही युद्ध में सिकंदर ने पहचान लिया था । राजा पौरस को उसने हराया जरूर , पर समझ गया कि आर्यावर्त भारतवर्ष को जीतना उसके बस में नहीं है । सिकंदर समझ गया कि आगे बढ़ा तो जगह जगह केसरिया से मुकाबला होगा । राजा पौरुष ने पहले ही युद्ध में उसे बता दिया था कि भारत को समूचा जीतना नामुमकिन है । केसरिया की ताकत ने उसे वहीं से यूनान लौटा दिया ।
अच्छा हो यदि इस देश की सांस्कृतिक विरासत से खिलवाड़ बंद हो जाए । याद रखिए , इस देश में अब बहुत कुछ नहीं चलेगा और बहुत सारा चलेगा । जी हां , भगवा तो खूब चलेगा ।
,,,,,,,,कौशल सिखौला