
संजय गांधी का जन्म 14 दिसम्बर 1946 को नई दिल्ली हुआ था। वे धूमकेतु की तरह उदय हुए और उसी की तरह अचानक अस्त हो गए। वे भारत के एक राजनेता थे और भारत की प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के छोटे पुत्र थे। मेनका गांधी उनकी पत्नी हैं और वरुण गांधी उनके पुत्र। भारत में आपातकाल के समय उनकी भूमिका बहुत विवादास्पद रही। अल्पायु में ही एक विमान दुर्घटना में उनकी मौत हो गयी।
इनके पिता फिरोज गांधी जी थे जो कि पारसी समुदाय से थे। जिन्होनें शादी के बाद अपना नाम परिवर्तित करके फिरोज गांधी कर लिया था। इनके पिता पेशे से पारसी राजनेता एवं पत्रकार थे, वे लोकसभा के सांसद भी रहे। संजय गांधी का मूल निवास स्थान मुम्बई था, क्योंकि यहीं पर उनके पिता फिरोज गांधी का जन्म हुआ था। संजय गांधी के बडे भाई का नाम राजीव गांधी था। इंदिरा गांधी जी ने,फिरोज गांधी से शादी अपने पिता एवं देश के पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु की मर्जी के खिलाफ की थी।
अपने बड़े भाई राजीव की तरह , गांधी ने दिल्ली के सेंट कोलंबस स्कूल, देहरादून के वेलहम बॉयज स्कूल और फिर देहरादून के दून स्कूल में शिक्षा प्राप्त की । गांधी ने स्विट्जरलैंड के एक अंतरराष्ट्रीय बोर्डिंग स्कूल, इकोले डी’ह्यूमनिटी में भी शिक्षा प्राप्त की। गांधी ने विश्वविद्यालय में दाखिला नहीं लिया, बल्कि ऑटोमोटिव इंजीनियरिंग को अपना करियर बनाया और इंग्लैंड के क्रू में रोल्स-रॉयस के साथ तीन साल की अप्रेंटिसशिप की। उन्हें स्पोर्ट्स कारों में बहुत रुचि थी। 1976 में, उन्होंने पायलट का लाइसेंस प्राप्त किया और एरोबेटिक्स में कई पुरस्कार जीते।
1971 में, प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के मंत्रिमंडल ने भारत के मध्यम वर्ग के लिए एक किफायती, स्थानीय स्तर पर निर्मित कार के उत्पादन का प्रस्ताव रखा। जून 1971 में, मारुति मोटर्स लिमिटेड (अब मारुति सुजुकी ) नामक कंपनी को कंपनी अधिनियम के तहत शामिल किया गया, और संजय गांधी को इसका प्रबंध निदेशक बनाया गया, जबकि उनके पास पहले कोई अनुभव, डिजाइन प्रस्ताव या किसी भी निगम से कोई संबंध नहीं था। इंदिरा गांधी को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा, लेकिन 1971 के बांग्लादेश मुक्ति युद्ध में पाकिस्तान पर विजय ने जनता का ध्यान इस ओर मोड़ दिया। कंपनी ने उनके जीवनकाल में कोई वाहन नहीं बनाया। प्रगति प्रदर्शित करने के लिए एक प्रदर्शन के रूप में प्रस्तुत किए गए परीक्षण मॉडल की आलोचना हुई। जनता की धारणा गांधी के खिलाफ हो गई, और कई लोग बढ़ते भ्रष्टाचार के बारे में अटकलें लगाने लगे।
गांधी ने तब पश्चिम जर्मनी की वोक्सवैगन एजी से संभावित सहयोग, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और “पीपुल्स कार” के भारतीय संस्करण के संयुक्त उत्पादन के लिए संपर्क किया, ताकि वोक्सवैगन की बीटल के साथ विश्वव्यापी सफलता को दोहराया जा सके । आपातकाल के दौरान, गांधी राजनीति में सक्रिय हो गए और मारुति परियोजना ठंडे बस्ते में चली गई। भाई-भतीजावाद और भ्रष्टाचार के आरोप लगे। अंततः, 1977 में जनता सरकार सत्ता में आई और “मारुति लिमिटेड” का परिसमापन कर दिया गया।
नई सरकार ने न्यायमूर्ति अलक चंद्र गुप्ता की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया , जिसने मारुति मामले पर एक बेहद आलोचनात्मक रिपोर्ट दी। 1980 में उनकी मृत्यु के एक वर्ष बाद, इंदिरा गांधी के कहने पर, केंद्र सरकार ने मारुति लिमिटेड को पुनर्जीवित किया और एक नई कंपनी के लिए एक सक्रिय सहयोगी की तलाश शुरू की। नेहरू-गांधी परिवार के मित्र और उद्योग जगत के दिग्गज वी . कृष्णमूर्ति के प्रयासों से उसी वर्ष मारुति उद्योग लिमिटेड की स्थापना हुई।
जापानी कंपनी सुजुकी से भी भारत में निर्मित होने वाली अपनी कार के डिजाइन और व्यवहार्यता प्रस्तुत करने के लिए संपर्क किया गया। जब सुजुकी को पता चला कि भारत सरकार ने वोक्सवैगन से भी संपर्क किया है, तो उसने भारत की पहली जनमानस कार ( मारुति 800 ) के उत्पादन की दौड़ में जर्मन कंपनी को पछाड़ देने के लिए हर संभव प्रयास किया। इसने सरकार को उनके ‘मॉडल 796’ का एक व्यवहार्य डिज़ाइन प्रदान किया, जो जापान और पूर्वी एशियाई देशों में भी सफल रहा।
मार्च 1977 में आपातकाल हटने के बाद संजय ने भारतीय संसद के लिए अपना पहला चुनाव लड़ा। इस चुनाव में संजय को न केवल अपने निर्वाचन क्षेत्र अमेठी में करारी हार का सामना करना पड़ा , बल्कि इंदिरा गांधी की कांग्रेस पार्टी का पूरे उत्तरी भारत में सफाया हो गया। हालांकि, जनवरी 1980 में हुए अगले आम चुनाव में संजय ने कांग्रेस (आई) के लिए अमेठी सीट जीत ली।
उनकी मृत्यु से ठीक एक महीने पहले, मई 1980 में उन्हें कांग्रेस पार्टी का महासचिव नियुक्त किया गया था।
23 जून 1980 को सुबह 8:10 बजे, गांधी जी एक कलाबाजी करतब दिखाते हुए अपने विमान पर नियंत्रण खो बैठे और नई दिल्ली के राजनयिक एन्क्लेव में दुर्घटनाग्रस्त हो गए । एकमात्र अन्य यात्री, कैप्टन सुभाष सक्सेना की भी मृत्यु हो गई। गांधी जी का शव बरामद कर हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार अंतिम संस्कार किया गया।
रजनीकांत शुक्ला