
लालू यादव , राबड़ी देवी और तेजस्वी की कल दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में बड़ी भारी बेइज्जती हुई । सीबीआई की जांच के बाद दायर हुई चार्जशीट में तीनों को घोर भ्रष्टाचारी , धोखेबाज और गरीब जनता के शोषक के रूप में इंगित किया गया था । कोर्ट ने रेलवे खानपान और पर्यटन निगम घोटाले में न केवल तत्कालीन रेल मंत्री लालू अपितु उनकी बीबी , बेटे सहित रेलवे के अनेक अधिकारियों को पूर्ण भ्रष्ट एवं दोषी ठहराया ।
दूसरे मामले में कोर्ट ने पाया कि लालू के रेल मंत्री रहते हुए गरीब बिहारियों की जमीन कुछ सौ रुपए में खरीदकर गरीबों को अनैतिक रूप से खलासी और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की नौकरियां थमा दी गई । वह भी बगैर कोई परीक्षा दिए और बगैर कोई साक्षात्कार लिए । शेष अभ्यर्थियों का हक छीनकर लालू खानदान ने गरीबों की जमीनों के बदले शहरी क्षेत्रों में मंहगी सरकारी जमीनें मुफ्त हासिल की । फिर उन्हें बेचकर हजारों करोड़ रुपए कमाए । तेजस्वी की प्रार्थना पर इस मुद्दे पर अब 10 नवम्बर को आरोप तय होंगे ।
बिहार के मुख्यमंत्री रहते हुए पशुओं का करोड़ों का चारा डकारने वाले लालू के ये दोनों कारनामें भारत ही नहीं पूरे विश्व में अनूठे हैं । कोई और देश होता तो लालू , राबड़ी , तेजस्वी जैसे नेताओं को बिहार में एक वोट न मिलता ? वैसे अपने नोटिस किया क्या ? बिहार में कांग्रेस ने आज तक तेजस्वी को सीएम फेस क्यों नहीं माना ? शायद यही कारण रहा हो । वैसे कांग्रेस ही कौनसी दूध की धुली है । उसके अनेक बड़े शीर्ष नेता खुद भी भ्रष्टाचार के मामलों में जमानत पर चल रहे हैं ।
इसके बावजूद कांग्रेस को उम्मीद थी 13 अक्टूबर का फैसला आते ही लालू खानदान को जेल जाना पड़ सकता है । खैर तेजस्वी की दरख़्वास्त पर कोर्ट ने गंभीर आरोप तो तय कर दिए पर फैसला 10 नवम्बर तक टाल दिया । लेकिन तीनों की भारी किरकिरी हो गई । जैसे ही कांग्रेस तेजस्वी को नेता मानेगी , बिहार में इंडी गठबंधन का भी कबाड़ा हो सकता है । यकीन न हो तो आजमा लीजिए । यह काफी मुश्किल घड़ी है , देखते जाइए । भाजपा पर टाइमिंग के आरोप मढ़ने से भी कुछ नहीं होगा चूंकि कार्रवाई न्यायालय में चल रही है ।
आपको बता दें कि जमीन के बदले नौकरी का महाघोटाला 2004 से 2009 के बीच लगातार चलता रहा । तब केन्द्र में मनमोहन सिंह की सरकार थी । वे नाम के पीएम थे , प्रधानमंत्री की कुर्सी पर मजबूरन सोनिया गांधी की सैंडल या खड़ाऊँ रखकर सरकार चला रहे थे । देश में जब भारी बवाल हुआ तब कांग्रेस सरकार को लालू के घोटाले के खिलाफ 2005 में सीबीआई जांच बैठानी पड़ी । सीबीआई ने 2013 में चार्जशीट फाइल की जिस पर कल कोर्ट ने आरोप तय किए ।
बाद में कुछ मामलों में 2017 , 2018 और 2022 में भी चार्जशीट आईं । उन सभी पर कार्रवाई चल रही है । इंडी गठबन्धन अब बीजेपी पर आरोप लगाने की स्थिति में है तो नहीं । पर आदतन लगा रहा है और मात खा रहा है । कुछ भी हो , लालू परिवार चुनावी मझधार में बुरी तरह घिर गया है । गरीबों की जमीनों पर लालू खानदान द्वार खड़े किए गए मॉल , कमर्शियल कॉम्प्लेक्स और रियायशी टॉवर चुनावी माहौल में आरजेडी नेताओं के चेहरों पर कालिख पोत रहे हैं । साथ ही गठबन्धन की विश्वसनीयता पर सवाल उठा रहे हैं । तेजस्वी यदि सीएम बने तो ढाई करोड़ नौकरियां भी क्या इसी प्रकार जमीनों मकानों के बदले बांटी जाएंगी .
…कौशल सिखौला