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ब्रह्मा जी को सृष्टि निर्माण का टेंडर

व्यंग्य

कुछ भी कहो। एक नियम अच्छा है। जो आया है, वह जाएगा। कुछ लोग अपनी जिद से बैठे रहते हैं। यह अच्छी बात नहीं है। शरीर में कुछ चीजें लापता होती हैं। लेकिन होती हैं। पूरी बॉडी का स्कैन करा लो। ये कहीं नहीं मिलेंगी। जैसे वीर्य। भावना। आंसू। खुजली। महसूस होगी। दिखाई नहीं देगी। डकार आएगी। चली जाएगी। हिचकी आएगी। चली जाएगी। यह लुप्त प्राणी की लुप्त अवस्था है। तभी मृत्य शाश्वत है। सोचो, अगर यह शाश्वत न होती तो? जूता काटता।

ब्रह्मा जी को सृष्टि निर्माण का टेंडर दिया गया। जैसे हाइवे आदि के मिलते हैं। ठेकेदार तो वही करेगा, जो संसाधन होंगे। ब्रह्मा जी ने भी यही किया। मंत्र मारा। अनगिनत सनत कुमार खड़े हो गए। सब खुश। काम हो गया। काल की गति चलती रही। काल नहीं आया। न दाढ़ी। न मूंछ। जैसे थे वैसे ही। अब क्या हो? टेंडर किसी दूसरी कंपनी को दिया गया। उसने पहले यह पता किया कि आदमी कैसे जन्म लेगा। और कैसे मरेगा? आदमी खुद कुछ नहीं करता। स्त्री को आगे कर देता है। ऊपर भी यही हुआ।

जन्म और मृत्यु की दोनों चीजें लुप्त और गुप्त हैं। दिखाई देती है। मगर दिखाई नहीं देती। भारतीय समाज में पांच चीजें कभी भी हो सकती हैं। यह फाइव एम है। मीटिंग, मेल, मैसेज, मोबाइल और मौत। यह कभी भी आ सकती है। यह रहस्यवाद है। ऐसा रहस्य जो किसी को पता नहीं। लेकिन का तुरुप का पत्ता है।

अच्छे भले बैठे थे। चले गए। रस्ते में जा रहे थे, मीटिंग आ गई। सो रहे हो। मैसेज आ गया..क्या कर रहे हो? अरे, रात के तीन बजे हैं। सो रहे होंगे। कुछ करो न करो। तंग करते रहो। यह भारतीय परंपरा है। सार्वजनिक सूचना है। निविदा है। कुछ करो न करो। चिकोटी काटते रहो। इससे ऊर्जा बनी रहती है। खबरों में बने रहते हैं।

आने जाने की महान परंपरा है। यह व्यवस्था है। अस्त्र शस्त्र से चलती है। शास्त्र लचीले हैं। हम अपने हिसाब से बदलते रहते हैं। स्त्री शास्त्र

अलग है। यह अपनी मर्जी से चलता है। यहां हर दिन शास्त्रार्थ होता है। इससे कुछ हो न हो। सब्जी का चाकू तेज होता रहता है।

एक उदाहरण देखिए। “तुम्हारी तो आत्मा ही मर गई है?’। यह फेमस डायलॉग है। आत्मा कैसे मर गई। यह तो अजर है। अमर है। मगर लोग कह रहे हैं। तो सच होगा। कलियुग के सभी प्राणी गोलोक में जाते हैं। कलियुग कब गोलोक में जायेगा, पता नहीं। ब्रह्मा जी से जब काम नहीं हुआ। तभी तो हमको अपने हाथ में लेना पड़ा। इस मिस्ट्री को कौन समझेगा। जूता क्यों काटता है? इसका नंबर अलग अलग क्यों होता है? यह 13,14,15 नंबर का क्यों नहीं होता? यह कोई समझा क्या

सूर्यकांत द्विवेदी

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