बालम खीरा*

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(आयुर्वेद सरल चिकित्सा)

बालम खीरा  जिसे अंग्रेजी में "सॉसेज ट्री" या "ककंबर ट्री" भी कहते हैं, एक औषधीय वृक्ष है, जिसके फल, छाल, पत्तियां और जड़ें आयुर्वेद और पारंपरिक चिकित्सा में विभिन्न रोगों के इलाज के लिए उपयोग की जाती हैं। यह पश्चिम अफ्रीका का मूल निवासी है, लेकिन भारत में भी कई राज्यों में पाया जाता है। इसके फल बड़े, खीरे जैसे और 60 सेंटीमीटर तक लंबे हो सकते हैं, जो शाखाओं से लटकते हैं। हालांकि, इसका कच्चा फल जहरीला हो सकता है।

बालम खीरा के औषधीय उपयोग

पथरी (किडनी और मूत्राशय),
बालम खीरा पथरी को गलाने में प्रभावी माना जाता है। इसके सूखे फलों का चूर्ण बनाकर इसका उपयोग किडनी स्टोन के घरेलू उपचार में किया जाता है। यह पथरी को छोटे टुकड़ों में तोड़कर मूत्र मार्ग से निकालने में मदद करता है।

उपयोग विधि:
सूखे फलों को पीसकर चूर्ण बनाएं। इस चूर्ण को दिन में एक -दो बार आधी चम्मच की मात्रा में पानी के साथ लें। मात्रा और सेवन के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह लें।

पाचन समस्याएं (कब्ज और पेट दर्द)
इसके फल में फाइबर और पानी की मात्रा अधिक होती है, जो कब्ज से राहत दिलाने में मदद करता है। यह पेट की बीमारियों को ठीक करने में भी सहायक है।

उपयोग विधि:
बालम खीरा का जूस बनाकर इसमें थोड़ा नमक और नींबू का रस मिलाएं। इसे दिन में 1-2 बार सीमित मात्रा (आधी चम्मच) में पिएं।

त्वचा रोग और एंटी-एजिंग:
बालम खीरा में बायोएक्टिव यौगिक और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो मुंहासों, त्वचा की सूजन और उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करने में मदद करते हैं। इसके बीज त्वचा कैंसर के इलाज में भी उपयोग किए जाते हैं।

उपयोग विधि:
सूखे फलों या छाल का पाउडर बनाकर पेस्ट तैयार करें और प्रभावित त्वचा पर लगाएं। जूस का उपयोग त्वचा को शुद्ध करने के लिए किया जा सकता है।

मलेरिया और संक्रामक रोग:
बालम खीरा में एंटी-मलेरियल और एंटी-अमीबिक गुण होते हैं, जो मलेरिया और अमीबियासिस जैसे परजीवी संक्रमणों से लड़ने में मदद करते हैं। इसके तने में क्लोरोक्वीन यौगिक होता है, जो मलेरिया के उपचार में उपयोगी है।

उपयोग विधि:
इसके जूस को दिन में दो बार थोड़ी मात्रा में पिया जा सकता है, लेकिन केवल चिकित्सक की सलाह पर।

सूजन और घाव:
इसके छाल का पेस्ट सूजन, मच्छरों या सांप के काटने के बाद होने वाली समस्याओं में राहत देता है।

उपयोग विधि:
छाल को पीसकर पेस्ट बनाएं और प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं।

कैंसर (पारंपरिक उपयोग):
कुछ दावों के अनुसार, बालम खीरा का उपयोग गले और त्वचा के कैंसर जैसे रोगों में राहत देने के लिए किया गया और परिणाम सुखद रहे , हालांकि वैज्ञानिक प्रमाण सीमित हैं।

उपयोग विधि:
इसके लिए विशेषज्ञ की देखरेख में चूर्ण या जूस का उपयोग किया जाता है।

सेवन की विधि

*जूस: बालम खीरा का जूस बनाकर इसमें नींबू का रस और थोड़ा नमक मिलाकर पिया जा सकता है। दिन में 1-2 बार आधी चम्मच से अधिक नहीं लेना चाहिए।

*चूर्ण: सूखे फलों को पीसकर चूर्ण बनाएं। इसे पानी या शहद के साथ 1-2 ग्राम की मात्रा में लें।

*पेस्ट: छाल या फल का पेस्ट बनाकर त्वचा पर लगाएं।

सावधानियां

कच्चा फल जहरीला: बालम खीरा का कच्चा फल विषाक्त हो सकता है, इसलिए इसका उपयोग केवल संसाधित रूप (जूस, चूर्ण, या पेस्ट) में करें।

सीमित मात्रा: दिन में दो बार से अधिक और आधी चम्मच से ज्यादा इसका सेवन न करें।

चिकित्सक की सलाह: गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं, या गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोगों को इसका सेवन करने से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक या डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।

साइड इफेक्ट्स: अधिक मात्रा में सेवन से सिरदर्द, उल्टी या अन्य समस्याएं हो सकती हैं।

बालम खीरा एक शक्तिशाली औषधीय फल है, जो पथरी, पाचन समस्याओं, त्वचा रोगों, मलेरिया और सूजन जैसी कई स्वास्थ्य समस्याओं में लाभकारी हो सकता है। हालांकि, इसके उपयोग से पहले आयुर्वेदिक विशेषज्ञ या चिकित्सक की सलाह अनिवार्य है, क्योंकि गलत मात्रा या कच्चे फल का सेवन नुकसानदायक हो सकता है। सही विधि और मात्रा में इसका उपयोग स्वास्थ्य के लिए रामबाण हो सकता है।
यशपाल सिंह आयुर्वेद रतन

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