wahbharat

पहले भी जारी होते रहे हैं सिक्के और डाक टिकट

कृतिका राजपूत

कुछ लोगों को कल से दौरा पड़ा हुआ है कि आरएसएस के सौ साल होने पर भारत सरकार डाक टिकट और सिक्का कैसे जारी कर सकती है?

तो उनको ये बताना जरूरी है कि भारत सरकार मुहम्मद इकबाल पर डाक टिकट जारी कर चुकी है. वे पाकिस्तान के मूल संस्थापक हैं. जिन्ना को पाकिस्तान का ख्याल बाद में आया. पाकिस्तान ने उन पर दस से ज्यादा डाक टिकट जारी किए हैं. भारत सरकार ने भी उनकी शान में 1988 में राजीव गांधी के समय एक डाक टिकट जारी कर दिया.कांग्रेस सरकार जिन्ना वाली मुस्लिम लीग के नेता मोहम्मद इस्माइल पर भी डाक टिकट जारी कर चुकी है. पाकिस्तान के लिए लंबी लड़ाई लड़ने के बाद वे कभी पाकिस्तान नहीं गए क्योंकि उनका बिजनेस यहीं भारत में था.इसके अलावा मनमोहन सरकार ने हसरत मोहानी पर भी डाक टिकट जारी किया. मजेदार ये है कि पाकिस्तान ने हसरत मोहानी को “पाकिस्तान का संस्थापक” बताते हुए डाक टिकट जारी किया है.सोनिया-मनमोहन सरकार ने दारूल उलूम देवबंद के मौलाना और जमाते इस्लामी के संस्थापक हुसैन अहमद मदनी की याद में 2012 को डाक टिकट जारी किया था.वे भारत को तुर्की के खलीफा के मार्गदर्शन में इस्लामिक देश बनाने के रेशमी रुमाल आंदोलन के कारण गिरफ्तार किए गए थे. वे खिलाफत आंदोलन में ये कहकर आए कि ब्रिटेन ने भारत की हुकूमत मुसलमानों से छीनी है. वे भी भारत में रह गए.वैसे तो नेहरू जी के समय में ही उनको पद्म भूषण दे दिया गया था.

तो हर सरकार की अपनी प्राथमिकता होती है कि किसका सम्मान करें. कांग्रेस ने मुस्लिम लीग के नेताओं और पाकिस्तान के संस्थापको पर डाक टिकट जारी किया, वर्तमान सरकार ने आरएसएस के सौ साल होने पर.हर पार्टी की सरकार अपने मूल समर्थकों का ख्याल रखती है.

वैसे इंदिरा गांधी ने विनायक दामोदर सावरकर की स्मृति में डाक टिकट जारी किया था. लेकिन वह दूसरी कांग्रेस थी।

कृतिका राजपूत की वाँल से

Exit mobile version