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गलत के लिए भी आप ही जिम्मेदार होंगे

Sarvesh Kumar Tiwari

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पुराने लोग कहते थे- प्रतिष्ठा कमाने में पूरा जीवन लग जाता है, पर उसे गंवा देने में समय नहीं लगता। एक गलत निर्णय सारे जीवन के किये धरे पर पानी फेर देता है।
सोनम वांगचुक अपने निर्माण, अपने प्रकृति हित, समाजहित में किये गए कार्यों को लेकर देश का सम्मान पाते रहे हैं। यह सामान्य सी बात है। राजनीति भले अंधी हो, देश का आम जनमानस अंधा नहीं है। वह अच्छे लोगों की कद्र करता है, उनका सम्मान करता है। सोनम का भी सम्मान रहा है। लेकिन…
आज का सच तो यही है न कि लद्दाख में पसरी अशांति की जड़ सोनम वांगचुक हैं। उन्ही के अंदोलन को हैक कर के उपद्रवियों ने वहाँ आगजनी की, सरकारी संपत्ति जलाई… वहाँ चार लोग मारे गए, असंख्य घायल हुए। तो क्या इतने बड़े उपद्रव के जिम्मेवार व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं किया जाना चाहिये?
राह चलते एक मुर्गी बाइक के नीचे आ कर मर जाती है तो इस देश का कानून बाइक सवार को जेल भेजता है। उसे थाने से अपनी बाइक छुड़ा लेने में कभी कभी वर्षों लगते हैं। उसी देश में हुए उतने बड़े उपद्रव पर क्या कानून केवल इसलिए चुप्पी साध ले कि इसकी शुरुआत करने वाला व्यक्ति वैज्ञानिक है?
यदि आप एक ऐसा लोकतंत्र चाहते हैं जहां एक वैज्ञानिक जब चाहे तब देश में आगजनी करा सके, एक राजनीतिज्ञ जब चाहे तब तोड़ फोड़ करा सके, एक प्रभावशाली व्यक्ति कभी भी कुछ भी कर सके, तो उसे लोकतंत्र मत कहिये भाई साहब। आप स्वयं नहीं जानते कि आप जो चाह रहे हैं उसे क्या कहना चाहिये।
जिस दिन लदाख में हिंसा हुई, उसी दिन सोनम ने अपना अनशन समाप्त कर दिया। अर्थात वे भी मानते थे कि जो हुआ वह गलत हुआ। फिर आप उसे सही ठहराने पर क्यों तुले हैं?
मैं सोनम के राष्ट्रप्रेम को कठघरे में खड़ा नहीं कर रहा। पर क्या यह सही नहीं कि उस आंदोलन में राष्ट्रीय सम्पत्ति का नुकसान करने निकले अधिकांश लड़कों के आदर्श बंग्लादेश और नेपाल के आंदोलनकारी थे, और वे लद्दाख को नेपाल या बंग्लादेश जैसी दशा में पहुँचाने के उद्देश्य से ही निकले थे। फिर इस अपराध की जवाबदेही तय क्यों न हो? क्या आप इस आतंक का समर्थन केवल इसलिए करेंगे कि यहाँ की वर्तमान सरकार आपको पसन्द नहीं है?
मैं सोनम वांगचुक की मांगों को पूरी तरह समझने का फेसबुकिया दावा नहीं करता, सो उसे पूरा करने या ना करने को लेकर कोई मत देना नहीं चाहता। यह जरूर है कि सत्ता को उनकी मांगों पर विचार करना चाहिये, और यदि सचमुच उसे पूरा करने में कोई विशेष खतरा नहीं तो पूरा किया भी जाना चाहिए। लेकिन अपनी मांगों को लेकर आगजनी करने को स्वीकार किया जाने लगे तो देश दस दिनों तक भी नहीं चलेगा। मौका मिले तो मेरे गाँव के चार लोग केवल इस बात के लिए आग लगा देंगे कि उनका विवाह नहीं हो रहा है। सबकी मांगों को पूरा करने का सामर्थ्य सरकार तो क्या ‘गॉड’ के पास भी नहीं…
एक बात और! आज जितने लोग सोनम को महानतम वैज्ञानिक बता कर उनके समर्थन में खड़े हैं, क्या सचमुच वे सभी उनको पहले से जानते भी थे? क्या उनका समर्थन केवल इस कारण नहीं है कि आज सोनम उनको अपने राजनैतिक एजेंडे के हिसाब से फायदेमंद दिख रहे हैं?
बात विज्ञान की नहीं है, बात अपराध की है। और अपराध कोई गरीब करे या चार सौ पेटेंट वाला अमीर, अपराध अपराध ही होता है!

−सर्वेश कुमार तिवारी

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