
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्री जगत प्रकाश नड्डा ने आज लखनऊ में किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के 21 वें वार्षिक दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए स्नातक छात्रों को बधाई दी और भारत में चिकित्सा विज्ञान शिक्षा और रोगी देखभाल को बढ़ावा देने में केजीएमयू के योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा, “केजीएमयू को 2025 की एनआईआरएफ रैंकिंग में 8वां स्थान मिला है और इसके 12 संकाय सदस्यों को स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा शीर्ष 2 प्रतिशत वैज्ञानिकों में शामिल किया गया है। यह एक उल्लेखनीय उपलब्धि है।”
श्री नड्डा ने पिछले दशक में भारत के स्वास्थ्य सेवा और चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में हासिल की गई उल्लेखनीय प्रगति का उल्लेख करते हुए कहा कि जहां पिछली शताब्दी के अंत में देश में केवल एक एम्स था वहीं आज पूरे भारत में 23 एम्स संस्थान हैं। यह हर क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा और चिकित्सा प्रशिक्षण का विस्तार करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
उन्होंने कहा कि पिछले 11 वर्षों में देश में मेडिकल कॉलेजों की संख्या 387 से बढ़कर 819 हो गई है। इसी प्रकार, स्नातक मेडिकल सीटों की संख्या 51,000 से बढ़कर 1,19,000 और स्नातकोत्तर सीटों की संख्या 31,000 से बढ़कर 80,000 हो गई है। श्री नड्डा ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के निर्देशानुसार, 2029 तक स्नातक और स्नातकोत्तर दोनों स्तरों पर 75,000 अतिरिक्त सीटें जोड़ी जाएंगी, जिनमें से 23,000 से अधिक सीटें एक वर्ष में ही जोड़ी जा चुकी हैं।
श्री नड्डा ने इस बात का भी उल्लेख किया कि आज देश में 18 लाख से अधिक आयुष्मान आरोग्य मंदिर कार्यरत हैं जो लोगों को व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना, आयुष्मान भारत – पीएमजेएवाई योजना के तहत भारत की 40 प्रतिशत से अधिक आबादी यानी 62 करोड़ से अधिक लोगों को पांच लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा कवर मिल रहा है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा “बुनियादी शिक्षा हर किसी का जन्मसिद्ध अधिकार है, लेकिन व्यावसायिक शिक्षा एक विशेषाधिकार है जो समाज केवल कुछ ही लोगों को प्रदान करता है।” उन्होंने यह उल्लेख किया कि सरकार प्रत्येक एमबीबीएस छात्र पर 30 से 35 लाख रुपये खर्च करती है और नए डॉक्टरों से आग्रह किया कि वे अपने पेशेवर करियर की शुरुआत करते ही समाज के प्रति अधिक जिम्मेदारियां निभाएं।
श्री नड्डा ने अपने संबोधन के समापन में, स्नातक छात्रों से अकादमिक और शोध क्षेत्र में सक्रिय योगदान देने और अपने पेशेवर और नैतिक आचरण में उत्कृष्टता के माध्यम से केजीएमयू की प्रतिष्ठित विरासत को बनाए रखने का आग्रह किया। उन्होंने उन्हें आजीवन सीखने वाले और नवप्रवर्तक बने रहने, चिकित्सा विज्ञान को आगे बढ़ाने और करुणा के साथ समाज की सेवा करने के लिए प्रोत्साहित किया।
श्री ब्रजेश पाठक ने युवा डॉक्टरों को उनकी उपलब्धियों पर बधाई देते हुए कहा कि केजीएमयू 120 वर्षों से अधिक समय से चिकित्सा शिक्षा, शोध और मानवता की सेवा के क्षेत्र में एक मिसाल कायम कर रहा है। उन्होंने उत्तर प्रदेश के चिकित्सा क्षेत्र में हुई प्रगति का जिक्र करते हुए कहा “2017 में सरकारी क्षेत्र में केवल 17 और निजी क्षेत्र में 23 मेडिकल कॉलेज थे और आज राज्य में कुल 81 पूरी तरह से कार्यरत मेडिकल कॉलेज हो गए हैं।” उन्होंने आगे कहा “आज सभी 75 जिलों में डायलिसिस और सीटी स्कैन की सुविधा उपलब्ध है, एनएचएम के माध्यम से 5,000 से अधिक आबादी वाले क्षेत्रों में आयुष्मान आरोग्य मंदिर स्थापित किए गए हैं, और अतिरिक्त आईसीयू बेड के माध्यम से तृतीयक चिकित्सा सुविधाओं को मजबूत किया गया है।
इस अवसर पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल, उप मुख्यमंत्री एवं चिकित्सा शिक्षा, चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ब्रजेश पाठक, केन्द्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज कुमार, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह और केन्द्र सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर अजय कुमार सूद, केजीएमयू की कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद (पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित), केजीएमयू की डीन और विश्वविद्यालय विधानसभा एवं कार्यकारी परिषद की सदस्य प्रो. अपजीत कौर तथा केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।