
भारत ने जब अटल सरकार के जमाने में पोहकरण में परमाणु विस्फोट किया था तो सफलता मिलने पर सूचना के लिए एक कोड निर्धारित था । वह कोड था “buddha is smiling” अर्थात बुद्ध मुस्कुरा रहे हैं । जैसे ही महान वैज्ञानिक डॉ एपीजी अब्दुल कलाम का यह सफलता संदेश रेडियो से प्रसारित हुआ , देश में खुशी की लहर दौड़ गई । जो लोग दुनिया के खुशी इंडेक्स में भारत को नीचे दिखाते हैं , उन्हें पर्वकाल में भारत का दीदार करना चाहिए ।
वैसी ही लहर जीएसटी कम होने के बाद इस समय देश में फैली है । देख लीजिए देश में नेक्स्ट जनरेशन रिफॉर्म्स की शुरुआत हो चुकी है । नतीजा सामने है । दशहरे पर 4.5 लाख करोड़ और दिवाली पर 6 लाख करोड़ का खरीद कारोबार देश में हुआ । यह पाकिस्तान सहित 48 देशों की जीडीपी से ज्यादा है । नवरात्र में दुर्गा पूजा , गरबा ,दशहरा , करवा चौथ और अब दीपावली में भारतीय अर्थव्यवस्था ने जबरदस्त उड़ान भरी है ।
अभी छठ पूजा का विशाल पर्व सामने है । देखते जाइए , देवोत्थान एकादशी से प्रारंभ होने वाला विवाह सीजन एक बार फिर भारतीय अर्थव्यवस्था को सातवें आसमान पर उठाएगा । अनुमान है कि शादी ब्याह का यह दौर एक बार फिर से इंडियन इकोनॉमी को हाई स्पीड प्रदान करेगा । वैश्विक चुनौतियों के बीच प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 208 प्रतिशत बढ़ना मजबूत भारतीय अर्थव्यवस्था का संकेत है । मुहूर्त कारोबार ने निवेशकों की पूंजी मात्र 1 घंटे में 1.50 लाख करोड़ बढ़ा दी है ।
त्यौहारों और विवाहों का सीजन भारतीय अर्थव्यवस्था को सदा से ऊंची उड़ान देता आया है । इस बार तो मालामाल कर दिया है । कुछ ही दिनों में स्वदेशी का मुद्दा भी खासी लोकप्रियता हासिल कर रहा है । दो दिन पहले मैं अपनी 7 वर्षीय पौत्री के साथ पटाखों की एक बड़ी शॉप पर आतिशबाजी लेने गया । हम खरीदारी कर रहे थे कि दुकानदार ने पूछा चाईनीज दे दूं । मैं कुछ बोलता उससे पहले ही बालिका बोल उठी कि नहीं अंकल इंडियन ।
कल्पना नहीं की थी कि परिवार में होने वाली बातों का छोटी बच्ची पर भी इतना असर पड़ेगा ? मतलब भारत स्वदेशी की ओर बढ़ेगा तो कायाकल्प हो जाएगा । तब ट्रंप की धमकियां भी बेअसर हो जाएंगी । देखिए एक दशक पहले तक जो आबादी हमारे लिए अभिशाप थी , वही अब वरदान बन गई है । 145 करोड़ का बाजार है हमारे पास । अपनी इसी शक्ति के दम पर हम जीत जाएंगे , जरूर जीत जाएंगे एक दिन ?
यही कहेंगे –
बुद्धा इज़ लाफिंग
इंडिया इज लाफिंग
….. कौशल सिखौला