सरकार बनाकर गिराना कांग्रेस की नीति

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देश के वर्तमान विपक्ष को यह बात कभी समझ नहीं आएगी । हां जनता खूब समझ रही है । गौर करेंगे तो पाएंगे कि कांग्रेस जिस भी सरकार को समर्थन देकर पीएम बनाया , कुछ ही दिनों में उसे गिरा भी दिया । हम राज्यों की बात नहीं करते चूंकि सूची लम्बी हो जाएगी ।

केंद्र सरकार के उदाहरणों से समझ लीजिए । कांग्रेस ने इस शर्त पर चौधरी चरण सिंह , चंद्रशेखर , देवगौड़ा , इंद्रकुमार गुजराल आदि की सरकारें बनवाई कि भाजपा को अलग रखना पड़ेगा । समय समय पर बनी चारों सरकारें गिर गई चूंकि कांग्रेस ने कुछ ही महीनों में एक एक एककर चारों सरकारों को कुछ ही महीनों में गिरा दिया । कांग्रेस की हमेशा डिमांड रही है कि विपक्ष उनका पीएम या सीएम बनवाए तो वह यूपीए , महागठबंधन अथवा इंडी गठबंधन बनाए ।

यही वजह है कि हाल के बिहार चुनाव में कांग्रेस ने तेजस्वी को कभी भी सीएम उम्मीदवार घोषित नहीं किया । यहां तक कि बड़े नेताओं ने बिहार जाना ही छोड़ दिया । मतदान के करीब जाकर समर्थन दिया । इसके विपरीत बीजेपी ने आपातकाल के बाद जनता पार्टी सरकार बनवाई , कांग्रेस के पुराने नेता मोरारजी भाई को पीएम बनाया । बाद में कांग्रेस के बागी विश्वनाथ प्रताप सिंह को पीएम बनाया । वीपी सिंह यदि मंडल न लाते तो बीजेपी कमंडल न लाती । लेकिन वीपी सरकार अपने कुकर्मों से गिर गई ।

देश में आज जितनी भी पार्टियां हैं लगभग उन सभी का जन्म कांग्रेस से लड़ते हुए हुआ है । यहां तक कि डॉ श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने जनसंघ की स्थापना भी कांग्रेसवाद के खिलाफ लड़ते हुए की थी । मतलब यह कि जिन पार्टियों का जन्म कांग्रेस से लड़ते हुए हुआ वे सभी आज कांग्रेस से मिलकर बीजेपी के साथ लड़ रही हैं । अजीब चक्र है न ? मतलब तब कांग्रेस से नफ़रत थी तो जन्म लिया अब बीजेपी नफरत है तो मिट जाने को तैयार ?

हमारे कुछ मित्र कहते हैं कि हम कांग्रेस के निंदक हैं । ऐसा नहीं , कांग्रेस नहीं उसके नेताओं की छद्मवादिता निराश करती है। अरे भाई देश की जनता जिन्हें बार बार चुन रही है , उस जनता को तो चोर मत ठहराओ ? लोकतंत्र की असली मालिक सरकार नहीं , जनता है । चूंकि जनता विपक्ष को हराकर बीजेपी को वोट देती है तो जनता द्वारा चुनी गई सरकार को आप चोर चोर चिल्लाओगे ? अपने कर्म देखिए कि आपने किस तरह चंद्रशेखर , चरण सिंह , देवगौड़ा और गुजराल की सरकारों को बीच रास्ते गिराया था ? इतनी पिटाई के बाद कम से कम अब तो बाज आइए , कुछ सोचिए , कुछ समझिए । वरना यूँ ही सत्ता को ढूंढते रह जाएंगे….?

,,,,, कौशल सिखौला

वरिष्ठ पत्रकार

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