बॉलीवुड की नृत्य सम्राज्ञी : हेलन

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भारतीय सिनेमा के सुनहरे इतिहास में कुछ नाम ऐसे हैं जो केवल अपनी कला से नहीं, बल्कि अपनी शख्सियत से भी अमर हो गए। हेलन ऐसा ही एक नाम है — जिन्होंने नृत्य को अभिनय की आत्मा बना दिया। उनकी अदा, नृत्य की लय, और मंच पर उनकी ऊर्जा ने उन्हें “बॉलीवुड की कैबरे क्वीन” का दर्जा दिलाया। हेलन केवल एक नर्तकी नहीं थीं, वे भारतीय फिल्म संगीत और नृत्य के बदलते स्वरूप की प्रतीक बन गईं।


प्रारंभिक जीवन

हेलन का पूरा नाम हेलन ऐन रिचर्डसन खान है। उनका जन्म 21 नवंबर 1938 को बर्मा (अब म्यांमार) में हुआ था। उनके पिता एंग्लो-इंडियन थे और माँ बर्मीज़ थीं। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जब जापानी सेना ने बर्मा पर हमला किया, तब हेलन का परिवार वहां से भारत भाग आया। लंबी कठिन यात्रा के बाद वे कलकत्ता (अब कोलकाता) पहुंचे।

कठिन परिस्थितियों में पली-बढ़ी हेलन को पढ़ाई पूरी करने का अवसर नहीं मिला, लेकिन नृत्य के प्रति उनका रुझान बचपन से ही था। घर की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए उन्होंने बहुत कम उम्र में नृत्य करना शुरू किया।


फिल्मी करियर की शुरुआत

हेलन का फिल्मी सफर 1951 में शुरू हुआ, जब वे मात्र 13 वर्ष की थीं। उन्होंने सबसे पहले समूह नर्तकी (group dancer) के रूप में फिल्मों में काम किया।
उनकी पहली बड़ी सफलता मिली फिल्म “आवारा” (1951) के गीत “गाने वाले से होशियार” में बैकग्राउंड डांसर के रूप में।

लेकिन 1958 की फिल्म “हावड़ा ब्रिज” में गीत “मेरा नाम चिन चिन चू” ने उन्हें रातोंरात प्रसिद्धि दिला दी। इस गीत में हेलन की ऊर्जा, नृत्य की लचक और उनकी अनोखी अदाएं दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर गईं। तभी से वे हिंदी सिनेमा की पहली ग्लैमरस डांसर के रूप में स्थापित हो गईं।


1960–70 का स्वर्णिम दौर

1960 और 1970 के दशक को हेलन के करियर का स्वर्णिम युग कहा जा सकता है। उन्होंने एक के बाद एक सुपरहिट फिल्मों में नृत्य और अभिनय किया। उनके प्रसिद्ध गीतों में शामिल हैं —

“पिया तू अब तो आ जा” (कारवां, 1971)

“ये मेरा दिल” (डॉन, 1978)

“महबूबा महबूबा” (शोले, 1975)

“आज जाने की ज़िद न करो” (कैमियो प्रस्तुति)

“मोनिका, ओ माय डार्लिंग” (कारवां)

इन गीतों में हेलन की नृत्य शैली भारतीय शास्त्रीय नृत्य और पश्चिमी नृत्य दोनों का अनोखा मिश्रण थी। उनके नृत्य में लय, सौंदर्य, और आत्मविश्वास का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।


अभिनय में विविधता

हेलन को केवल कैबरे डांसर कहना उचित नहीं होगा। उन्होंने कई फिल्मों में महत्वपूर्ण अभिनय भूमिकाएँ भी निभाईं।
जैसे —

“लैला मजनू”,

“इम्तिहान”,

“शोले”,

“डॉन”,

“हम किसी से कम नहीं”,

“अमर अकबर एंथनी”।

इन फिल्मों में हेलन ने सशक्त और प्रभावशाली सह भूमिकाएँ निभाईं। उनके संवादों की अदायगी में भी वही निखार था जो उनके नृत्य में दिखाई देता था।


संघर्ष और आत्मसम्मान

हेलन का जीवन केवल शोहरत से नहीं, बल्कि संघर्ष से भी भरा रहा। शुरुआती वर्षों में उन्हें सामाजिक आलोचना का सामना करना पड़ा क्योंकि उस दौर में “कैबरे डांसर” को सम्मान की दृष्टि से नहीं देखा जाता था।
लेकिन हेलन ने अपनी मेहनत, प्रतिभा और शालीनता से समाज की उस सोच को बदल दिया।

वे कभी किसी विवाद में नहीं रहीं और अपनी मर्यादा के भीतर रहकर काम करती रहीं। यही कारण है कि आज उन्हें केवल एक नर्तकी नहीं, बल्कि एक कला-साधिका के रूप में सम्मान दिया जाता है।


सलमान खान परिवार से जुड़ाव

हेलन ने प्रसिद्ध पटकथा लेखक और गीतकार सलीम खान से विवाह किया, जो सलमान खान के पिता हैं। विवाह के बाद भी हेलन का फिल्मी सफर कुछ वर्षों तक जारी रहा। सलीम खान के परिवार ने हमेशा उन्हें सम्मान और अपनापन दिया।

आज वे सलमान खान, अलविरा, अर्पिता, और अर्बाज़ खान के परिवार का अभिन्न हिस्सा हैं।


पुरस्कार और सम्मान

हेलन को उनके अद्वितीय योगदान के लिए कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुए।

फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड (1999)

पद्मश्री (2009) – भारत सरकार द्वारा कला के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए

लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड (IIFA, Zee Cine Awards)

इन सम्मानों ने हेलन को भारतीय सिनेमा की “लिविंग लीजेंड” का दर्जा दिलाया।


बाद के वर्ष और पुनः आगमन

फिल्मों से धीरे-धीरे दूरी बनाने के बाद भी हेलन ने अभिनय से पूरी तरह नाता नहीं तोड़ा।
उन्होंने 2000 के दशक में “हम दिल दे चुके सनम”, “मोहब्बतें”, “क्वीन” और कुछ वेब सीरीज़ में भी छोटी भूमिकाएँ निभाईं।

उनकी उपस्थिति चाहे कुछ ही मिनटों की क्यों न हो, पर हर बार दर्शकों को उनकी विनम्रता और गरिमा ने प्रभावित किया।


निष्कर्ष

हेलन भारतीय सिनेमा की वह शख्सियत हैं जिन्होंने नृत्य को ग्लैमर से आगे बढ़ाकर एक कला का रूप दिया। उन्होंने उस समय महिलाओं को आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी होने की प्रेरणा दी जब समाज में यह आसान नहीं था।

उनकी जिंदगी यह संदेश देती है कि “प्रतिभा और परिश्रम किसी भी सीमित परिभाषा को तोड़ सकते हैं।”

आज भी जब “पिया तू अब तो आ जा” या “ये मेरा दिल” जैसे गीत बजते हैं, तो दर्शकों के मन में हेलन की वही चमकती हुई मुस्कान और नृत्य की छवि ताज़ा हो उठती है।

हेलन सिर्फ एक नर्तकी नहीं, बल्कि भारतीय सिनेमा की नृत्य आत्मा हैं — जिन्होंने अपने लयबद्ध कदमों से पीढ़ियों को मोहित कर दिया।

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