बच्चों और युवाओं का दुश्मन कुपोषण नहीं ,मोटापा है

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बाल मुकुन्द ओझा
यूनिसेफ की एक ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक बच्चों और युवाओं को अब कुपोषण के स्थान पर मोटापा ने जकड़ लिया है, जिसके दुष्परिणामों से पूरी दुनिया चिंतित है। यूनिसेफ ने अपनी 2020 से 2022 तक की एक रिपोर्ट जारी करते हुए बताया कि मोटापा ने कुपोषण को पीछे छोड़ दिया है। कम वज़न का स्थान मोटापा ने ले लिया है। मोटापा के कारण डायबिटीज, ह्रदय रोग और कैंसर जैसी असाध्य बीमारियों का खतरा लगातार बढ़ता ही जा रहा है। रिपोर्ट में 2035 तक मोटापे को बड़ी चुनौती बताई गई है। आज दुनियाभर में दस में से एक बच्चा या किशोर मोटापे का शिकार है।
विश्व मोटापा एटलस 2024 के अनुमानों के मुताबिक 2035 तक लगभग 330 करोड़ व्यस्क मोटापे से ग्रस्त होंगे। साथ ही 5 से 19 साल की आयु सीमा के 77 करोड़ से अधिक किशोर और युवाओं को मोटापा घेर लेगा। भारत की बात करें तो विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक 2022 तक सवा सात प्रतिशत से अधिक व्यस्क मोटापे की चपेट में थे। नेशनल फैमिली हेल्थ और मेडिकल पत्रिका लेसेन्ट आदि के अनेक प्रमाणिक सर्वेक्षणों में भी कहा गया है कि हमारे देश में पेट के मोटापे की समस्या सर्वाधिक है। यह समस्या महिलाओं में 40 और पुरुषों में 12 प्रतिशत पाई गई है। स्वास्थ्य के प्रति इस गंभीर खतरें को हमने समय रहते सख्ती से नहीं रोका तो यह देश में नशे से भी अधिक भयावह स्थिति उत्पन्न कर देगा और इसके जिम्मेदार केवल केवल हम ही होंगे।
आयातित और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के अत्यधिक सेवन ने देश के नौनिहालों से लेकर किशोर, युवा और बुजुर्ग तक को अपने आगोश में ले लिया है। इसके फलस्वरूप देश और दुनियाभर में मोटापे की समस्या गंभीर रूप से उत्पन्न हो गई है। विशेषकर वयस्क आबादी इसकी चपेट में आ गई है। प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों को हानिकारक इसलिए माना जाता है क्योंकि इनमें स्वाद और स्वाद को बेहतर बनाने के लिए बहुत सारे कृत्रिम योजक या रसायन होते हैं। आप प्रत्येक पैकेज के पीछे लगे लेबल को पढ़कर किसी विशेष खाद्य उत्पाद को बनाने में प्रयुक्त सामग्री की पहचान कर सकते हैं।
भारत की बात करे तो हमारे यहां मोटापा बड़ी समस्या बन गया है। शरीर में जब एक्स्ट्रा फैट जमा हो जाता है, तब यह मोटापे का रूप ले लेता है। यही मोटापा लोगों को कम उम्र में ही बीमारियों का मरीज बना देता है। मोटापे की बीमारी फिजिकल हेल्थ के साथ-साथ मेंटल हेल्थ पर भी असर डालती है। हमारे देश में मोटापे की समस्या हर उम्र के लोगों में फैल रही है और मोटापे के कारण ही अन्य लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों का खतरा भी बढ़ रहा है।
स्वास्थ्य संगठनों और चिकित्सकों का मानना है पिछले कुछ वर्षों से आयातित और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के अत्यधिक सेवन ने देश के नौनिहालों से लेकर किशोर, युवा और बुजुर्ग तक को अपने आगोश में ले लिया है। इसके फलस्वरूप देश और दुनियाभर में मोटापे की समस्या गंभीर रूप से उत्पन्न हो गई है। विशेषकर वयस्क आबादी इसकी चपेट में आ गई है। प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों को हानिकारक इसलिए माना जाता है क्योंकि इनमें स्वाद और स्वाद को बेहतर बनाने के लिए बहुत सारे कृत्रिम योजक या रसायन होते हैं। आप प्रत्येक पैकेज के पीछे लगे लेबल को पढ़कर किसी विशेष खाद्य उत्पाद को बनाने में प्रयुक्त सामग्री की पहचान कर सकते हैं। एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत एक स्वास्थ्य संकट का सामना कर रहा है। इसमें कुल रोगों का 56.4 प्रतिशत हिस्सा असंतुलित आहार के कारण है। अनहेल्दी खाने की आदतें, जिनमें नमक, चीनी और वसा से भरपूर प्रोसेस्ड फूड का सेवन शामिल है। फास्ट-फूड चेन और पैकेज्ड स्नैक्स की आसान उपलब्धता के कारण यह आदतें तेजी से बढ़ रही हैं।
देश में मोटापा की बढ़ती समस्या पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चिंता जायज है। उन्होंने कहा कि आज की तारीख में बहुत से लोग मोटापा से त्रस्त हैं। मोदी ने कहा कि आंकड़े कहते हैं कि हमारे देश में मोटापे की समस्या तेजी से बढ़ रही है। मोटापे की वजह से डायबिटीज और ह्रदय रोग जैसी बीमारियों का रिस्क बढ़ रहा है। हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि इस समस्या के बीच मुझे इस बात का भी संतोष है कि आज देश फिट इंडिया मुवमेंट के माध्यम से फिटनेस और हेल्दी लाइफस्टाइल के लिए जागरूक हो रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि मोटापा दूर करने के लिए अपने खाने में अनहेल्दी फैट और तेल को थोड़ा कम करें। मोदी की टिप्स के अनुसार रोजाना थोड़ा समय निकालकर एक्सरसाइज जरूर करें।यह शरीर में जमा फैट को कम करने में मदद करेगा। रोजाना वॉक पर जाएं और वर्कआउट करें। फिजिकली एक्टिव रहने से मोटापा बढ़ने का रिस्क कम होता है।
बाल मुकुन्द ओझा


वरिष्ठ लेखक एवं पत्रकार
, मालवीय नगर, जयपुर

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