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गली −मोहल्ले तक पहुंचा डिजिटल पेमेंट्स

बाल मुकुन्द ओझा

देश में वित्तीय लेनदेन के लिए डिजिटल माध्यमों का इस्तेमाल लगातार बढ़ता ही जा रहा है। डिजिटल पेमेंट का मतलब ऐसे पेमेंट्स से है, जिनमें नकद की बजाय पैसे का लेन-देन डिजिटल माध्यमों जैसे डेबिट कार्ड, मोबाइल ऐप या इंटरनेट बैंकिंग के जरिए होता है।  यह प्रोसेस तेज, सुरक्षित और पारदर्शी होती है, जिससे ग्राहक और व्यापारी दोनों को ट्रांजैक्शन को ट्रैक करने में आसानी होती है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के मुताबिक दीपावली के त्योहार पर जीएसटी दरों में कटौती के बाद खरीदारी में बड़ा इजाफा हुआ है। यूपीआई से एक दिन में रिकॉर्ड ₹1.02 लाख करोड़ का लेनदेन हुआ है। इस दिन कुल 75.4 करोड़ लेनदेन किए गए। बोस्टन  कंसल्टिंग ग्रुप  और फोन पे की रिपोर्ट के अनुसार, 2026 तक भारत का डिजिटल पेमेंट्स मार्केट 10 बिलियन डॉलर से ज्यादा का हो जाएगा।  pwc की रिपोर्ट के मुताबिक, कारोबारी साल 25 से कारोबारी साल 30 के बीच डिजिटल ट्रांजैक्शन वॉल्यूम 617.3 बिलियन और वैल्यू 907.3 ट्रिलियन रुपए तक पहुंच सकती है। किर्नी-अमेज़ॅन पे रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक भारत का रिटेल डिजिटल पेमेंट मार्केट 7 ट्रिलियन डॉलर को पार कर जाएगा।

त्योहारी सीजन ने केवल बाजारों को गुलज़ार किया है अपितु डिजिटल पेमेंट्स के आंकड़ों में भी बंपर उछाल ला दिया है। हर हाथ में मोबाइल ने अपना कमाल दिखाया है। लोगों ने जब में नकद राशि रखनी बंद करदी है। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, अक्टूबर महीने में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) के जरिए औसतन हर दिन 94,000 करोड़ रुपये के लेनदेन का रिकार्ड लेनदेन दर्ज़ हुआ । यही रफ़्तार रही तो डिजिटल पेमेंट्स में भारत एक नया रिकार्ड बनाने में सफल होगा। बताया जा रहा है इस डिजिटली भुगतान में जीएसटी सुधार के साथ दिवाली और बोनस सीजन बड़ा हाथ रहा है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक त्योहार की खरीदारी, बोनस और डिस्काउंट्स के बीच लोगों ने बड़ी मात्रा में ऑनलाइन पेमेंट्स किए हैं।  मोबाइल इंटरनेट की आसान उपलब्धता और हर गली-मोहल्ले में QR कोड के ज़रिए पेमेंट की सुविधा ने UPI को हर वर्ग के लोगों तक पहुंचा दिया है। विश्लेषकों के मुताबिक, अगर यही रफ्तार बरकरार रही, तो अक्टूबर में कुल ट्रांजैक्शन वैल्यू 28 लाख करोड़ रुपये के पार जा सकती है, जो अब तक का सबसे उच्चतम स्तर होगा।

हमारा देश डिजिटल क्रांति के नये युग में प्रवेश कर गया है। देश में लोग तेजी से डिजिटल लेनदेन को अपना रहे हैं। लोगों का डिजिटल भुगतान करने में विश्वास बढ़ा है और इसे प्राथमिकता दे रहे हैं। तेजी से बढ़ता डिजिटल लेनदेन बढ़ती हुई खपत को दर्शाता है। यह डिजिटल पेमेंट इकोसिस्टम के लिए भी अच्छा है। देश में डिजिटल पेमेंट का चलन हर साल तेजी से बढ़ रहा है। गांव हो या शहर, आज लोग कैश की बजाय फोन से पेमेंट करना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड की एक रिपोर्ट में भारत को फास्ट पेमेंट्स का बादशाह बताया गया है। देश में हर महीने 18 अरब से ज्यादा ट्रांजेक्शन और 24 लाख करोड़ रुपये का लेन-देन हो रहा है जो कैशलेस होने की दिशा में एक क्रान्तिकारी कदम है। भारत में डिजिटल पेमेंट की शुरुआत साल 2016 में हुई थी। इसके बाद लगातार देश इस क्षेत्र में अपनी बढ़त बनाये हुए है। भारत डिजिटल पेमेंट में दुनिया में नंबर वन बन गया है और इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को फायदा मिल रहा है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक आज UPI देश के 85 प्रतिशत डिजिटल ट्रांजेक्शन को हैंडल करता है। इतना ही नहीं, ग्लोबल रियल-टाइम पेमेंट्स में भारत की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत के करीब है। यानी दुनिया का आधा डिजिटल पेमेंट भारत के UPI से हो रहा है। रिपोर्ट के अनुसार 491 मिलियन लोग और 65 मिलियन व्यापारी अब UPI का इस्तेमाल कर रहे हैं।  675 बैंक इस सिस्टम से जुड़े हैं, जिससे कोई भी, कहीं भी, किसी भी बैंक के जरिए आसानी से पेमेंट कर सकता है। यह कदम UPI को दुनिया का सबसे बड़ा रियल-टाइम पेमेंट सिस्टम बनाती है।

सरकार डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए RBI  और NPCI, फिनटेक कंपनियों, बैंकों और राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम कर रही है। छोटे शहरों और गांवों में भी लोग अब डिजिटल पेमेंट को तेजी से अपना रहे हैं। यूपीआई जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म ने छोटे दुकानदारों, रेहड़ी-पटरी वालों  ,चाय पान की दुकानों,  फुटकर सब्जी विक्रेताओं और गांव के लोगों को भी डिजिटल पेमेंट में सक्षम बनाया है। इससे नकद लेनदेन कम हुआ है और लोग तेजी से बैंकिंग सिस्टम से जुड़ रहे हैं। डिजिटल पेमेंट अब गांव और दूर-दराज इलाकों तक पहुंच चुका है। इसका लाभ सीधे तौर पर समाज के निचले तबके के लोगों को मिल रहा है।

देश में यूपीआई ट्रांजैक्शन करने वालों का आंकड़ा दिन-ब-दिन तेजी से बढ़ता ही जा रहा है। आज डिजिटल ट्रांजैक्शन के कई मोड उपलब्ध हैं और इसका इस्तेमाल करने वाले लोगों की तादात में जबरदस्त इजाफा हो रहा है। यह संकेत दर्शाता है है कि भारत का डिजिटल भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र तेजी से सशक्त हो रहा है।

बाल मुकुन्द ओझा

वरिष्ठ लेखक एवं पत्रकार

डी 32, मॉडल टाउन, मालवीय नगर, जयपुर

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