केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भारत 6जी मिशन के अंतर्गत शीर्ष परिषद बैठक की अध्यक्षता की

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केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने आज भारत 6जी मिशन के अंतर्गत शीर्ष परिषद की बैठक की अध्यक्षता और भारत 6जी एलायंस की प्रगति की समीक्षा की।बठक में केंद्रीय संचार राज्य मंत्री डॉ. चंद्रशेखर पेम्मासानी, सचिव (दूरसंचार) डॉ. नीरज मित्तल, सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. अजय सूद, प्रमुख मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी, शिक्षा जगत, अनुसंधान एवं विकास संस्थानों, दूरसंचार सेवा प्रदाताओं, उद्योग जगत के प्रमुखों और भारत 6जी गठबंधन के सदस्यों ने भाग लिया। इस उच्च-स्तरीय बातचीत में 2030 तक वैश्विक 6जी क्षेत्र में अग्रणी बनने की दिशा में देश की तीव्र प्रगति पर बल दिया गया।

केंद्रीय मंत्री श्री सिंधिया ने बैठक को संबोधित करते हुए उभरती संचार प्रौद्योगिकियों में भारत को अग्रणी बनाने के लिए 6जी नवाचार को गति देने हेतु सरकार की अटूट प्रतिबद्धता की पुष्टि की। उन्होंने भारत 6जी गठबंधन के सात कार्य समूहों के बीच बेहतर तालमेल के महत्व पर बल दिया और साथ ही सहयोग को बढ़ावा देने, टीम वर्क को मज़बूत करने और अपने प्रयासों में समन्वय सुनिश्चित करने के लिए नियमित रूप से बैठकें करने का पुरज़ोर आग्रह किया।

केंद्रीय मंत्री सिंधिया ने परिषद को संबोधित करते हुए गठबंधन को उसकी तीव्र वृद्धि के लिए बधाई दी और इस बात पर बल दिया कि भारत को अब आत्मविश्वास के साथ वैश्विक नेतृत्व की ओर बढ़ना चाहिए। उन्होंने 6जी मिशन की चार प्रमुख प्राथमिकताओं को रेखांकित किया: निरंतर प्रगति जारी रखना, संपूर्ण मूल्य श्रृंखला की गहन जांच करना, जटिल तकनीकी चुनौतियों को समाधान योग्य घटकों में विभाजित करना और प्रत्येक कार्य समूह के लिए मापनीय तिमाही लक्ष्य निर्धारित करना। उन्होंने भारत 6जी गठबंधन के साथ घनिष्ठ समन्वय, नियमित प्रगति समीक्षा और स्वतंत्र मूल्यांकन के महत्व पर बल दिया। इसका उद्देश्‍य प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कल्पना के अनुसार यह सुनिश्चित करना है कि 6जी का लाभ ग्रामीण समुदायों सहित देश भर के प्रत्येक नागरिक तक पहुंचे।

केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि उद्योग, उद्यमियों और शिक्षा जगत के बीच मज़बूत सहयोग के साथ, भारत 6जी बौद्धिक संपदा और मानकों में वैश्विक अग्रणी बनने की दिशा में आत्मविश्वास से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि भारत केवल वैश्विक रुझानों का अनुसरण करने के बजाय, दूरसंचार प्रौद्योगिकियों के भविष्य को आकार देने के लिए प्रतिबद्ध है।

केंद्रीय संचार राज्य मंत्री डॉ. चंद्रशेखर पेम्मासानी ने बी6जीए द्वारा स्पेक्ट्रम, एआई-नेटिव नेटवर्क, ग्रीन टेलीकॉम, उभरते अनुप्रयोगों और आरएफ सेंसिंग को कवर करने वाली आठ तकनीकी रिपोर्टों और श्वेतपत्रों के विमोचन पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “ये उपलब्धियां देश के एक प्रौद्योगिकी कार्यान्वयनकर्ता से एक प्रौद्योगिकी निर्माता के रूप में ऐतिहासिक परिवर्तन का प्रतीक हैं।”

सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. अजय कुमार सूद ने उभरती हुई तकनीकी पहलों को एक मिशन-मोड ढांचे में स्पष्ट रूप से परिभाषित उद्देश्यों के साथ आगे बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया। इसका उद्देश्‍य भारत को मानक-निर्धारण, उपयोग-मामले विकास और भविष्य की तकनीक की रूपरेखा तैयार करने में वैश्विक नेतृत्व प्राप्त करने में सक्षम बनाना है। उन्होंने एआई और 6जी के प्रति राष्ट्रीय दृष्टिकोण में साइबर सुरक्षा सम्‍बंधी विचारों को एकीकृत करने के महत्वपूर्ण महत्व को रेखांकित किया, और कहा कि सुरक्षित आर्किटेक्चर आधारभूत होने चाहिए। अब एक दूर की अवधारणा के बजाय एक व्यावहारिक वास्तविकता बन चुके क्वांटम संचार की तीव्र प्रगति पर प्रकाश डालते हुए प्रो. सूद ने विशेषज्ञों से क्वांटम प्रौद्योगिकियों, अगली पीढ़ी की संचार प्रणालियों और साइबर सुरक्षा के अभिसरण की जांच करने और यह निर्धारित करने का आग्रह किया कि उनकी संयुक्त गति देश के तकनीकी भविष्य को कैसे आकार दे सकती है।

सचिव (तकनीकी) डॉ. नीरज मित्तल ने पिछली समीक्षा के प्रमुख विचार-विमर्शों को याद किया, इनमें परिष्कृत स्पेक्ट्रम समय-सीमा, भारतीय सिलिकॉन रोडमैप, 2027-28 तक स्वदेशी 6जी बीटीएस और 6जी एसओसी की समय-सीमा, स्थिरता सम्‍बंधी केपीआई और बढ़ी हुई अंतर्राष्ट्रीय पहुंच शामिल हैं। उन्होंने आईटीयू आईएमटी-2030 (6जी) ढांचे में भारत के योगदान, “सर्वव्यापी कनेक्टिविटी” के समावेशन और भारत की क्षमताओं की वैश्विक मान्यता को मज़बूत करने पर प्रकाश डाला। डॉ. मित्तल ने अनुसंधान, मानकों, परीक्षण और परिनियोजन को एकीकृत करने और राष्ट्रीय 6जी टेस्टबेड, बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) निर्माण, उपकरण विकास और सिलिकॉन इको-सिस्‍टम के विकास में तेज़ी लाने की आवश्यकता पर बल दिया।

सरकार ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत 1 लाख करोड़ रुपये के अनुसंधान, विकास और नवाचार (आरडीआई) कोष को मंज़ूरी दी है। यह भारत के सबसे बड़े सार्वजनिक अनुसंधान सहायता ढांचों में से एक है। एएनआरएफ के अंतर्गत स्थापित, यह कोष भविष्य के 6जी विकास के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों – एआई-नेटिव नेटवर्क, सेमीकंडक्टर, फोटोनिक्स,  सेंसिंग, साइबर सुरक्षा और उपग्रह-स्थलीय एकीकरण – में अग्रणी अनुसंधान को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ावा देगा।

देश के 5जी नवाचार इको-सिस्‍टम की तीव्र प्रगति को प्रदर्शित करने के लिए, केंद्रीय मंत्री ने तीन पुस्तिकाएं जारी कीं। इनमें 100 5जी उपयोग केस लैब्स की स्थापना, प्रदर्शन और प्रभाव का दस्तावेजीकरण किया गया है। साथ में, ये पुस्तिकाएं बुनियादी ढांचे की तैनाती से लेकर व्यावहारिक प्रयोग, प्रोटोटाइप विकास और वास्तविक दुनिया के अनुप्रयोगों तक प्रयोगशालाओं के विकास पर प्रकाश डालती हैं, यह दर्शाती हैं कि कैसे इस पहल ने एक जीवंत अनुसंधान और नवाचार इको-सिस्‍टम के लिए एक मजबूत, उद्योग-संरेखित नींव रखी है। संग्रह ” 5जी उपयोग केस लैब: बुनियादी ढांचे से नवाचार तक ” उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रयोगशालाओं के निर्माण और सफल संचालन को दर्शाता है; ” 5जी लैब बुक – संस्करण 1 : 5जी कोर, 5जी एनआर और उपयोग के मामलों में प्रयोग” एंड-टू-एंड 5जी सिस्टम पर काम करने वाले शोधकर्ताओं और छात्रों के लिए तकनीकी, प्रयोग-उन्मुख मार्गदर्शन प्रदान करता है।

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