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अब अमेरिका नही ऑस्ट्रेलिया ,यूरोप ब्रिटेन जाओ

− कौशल सिखौला

टैरिफ के बाद अब ट्रंप का 88 लाख का वीजा ? हद है भाई ! बन्दा पूरा बदला लेने पर उतारू है । किस बात का बदला ? उसी का बदला जब भारत ने सीजफायर के झूठ पर ट्रंप को बेनकाब कर दिया , उसी बात का बदला । छोड़ो भी अमेरिका के पीछे पूरी तरह दीवाना होना । ऑस्ट्रेलिया यूरोप या ब्रिटेन जाओ । वैसे अपने देश में भी बहुत बड़े बड़े शिक्षण संस्थान हैं , बड़ी बड़ी कंपनियां हैं । यहीं रह लो भाई । थोड़ा कम खा लेंगे , थोड़ा कम पी लेंगे । अपनी धरती अपना वतन , अपनी मिट्टी अपना चमन । ट्रंप में इतनी अकड़ कि रोजाना कोई न कोई फितरत , कोई न कोई बेवफाई । डोनाल्ड ट्रंप ! अच्छा सिला दिया हमारी मुहब्बत का । देखें , अभी किस हद तक गिरते हैं ?

आश्चर्य की बात है कि 88 लाख सालाना का H -1B वीजा भी सिर्फ भारत पर लगाया गया है । उसी तरह जैसे सर्वाधिक 50% टैरिफ भारत पर लगाया था । पल में तोला पल में माशा के सिद्धांत पर चलते हुए ट्रंप इस कार्यकाल में गिरगिट की तरह रंग बदल रहे हैं । इस बात से बेखबर हैं कि भारत की तो छोड़ो , उनके अपने देश अमेरिका में उनके खिलाफ कितना जबरदस्त माहौल बना हुआ है । दुनिया ने वैसे भी ट्रंप को सीरियसली लेना बंद कर दिया है । वे बार −बार भारत की आत्मशक्ति को पहचान तो रहे हैं , लेकिन ऊपर से कठोर बने रहना चाहते हैं ।

हमारे एलओपी साहब अलबत्ता बड़े खुश हैं । टैरिफ और अब वीजा को लेकर उन्होंने पीएम को कमजोर पीएम बताकर अपनी पार्टी में तालियां बजवाई । लम्बे अरसे से चीन भारत को कमजोर देखना चाहता रहा । अब उसे पता चल गया है कि यह उसकी भूल थी । अतः चीन दोस्ती का हाथ बढ़ा रहा है । ट्रंप की कारगुज़ारियों को देखकर लगता है कि वे भी उसी राह पर चल पड़े हैं जहां से चीन ने शुरुआत की थी । भारत जानता है कि अमेरिका मतलबी देश है । अमेरिका ने विशुद्ध मतलबों को लेकर भारत से दोस्ती निभाई । अब दुश्मनी भी उन्हीं स्वार्थों के चलते निभा रहा है ।

जहां तक अमेरिका की नीतियों का सवाल है वे कभी स्थाई नहीं रही । भारत को इसका लम्बा अनुभव है । अमेरिका की दोस्ती के पीछे सदा वाणिज्य रहा है । यह संयोग ही कहा जाएगा कि इस बार भारत में भी वह एक गुजराती ” बनिए ” से टकरा गया । ट्रंप कईं बार मोदी को टफ नेगोशिएटर बता चुके हैं । अपनी खीज और कुछ न बिगाड़ पाने की घुटन में ट्रंप ने भारत की सबसे तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था को डैड इकॉनमी बता दिया था । इसका समर्थन हमारे एलओपी साहब ने भी कर दिया था । उसी समर्थन के दम पर ट्रंप अब भारतीय यूथ और मेधा से खेल रहे हैं । खुद अमेरिका के अर्थशास्त्री और विदेश नीति एक्सपर्ट इसे ट्रंप का आत्मघाती कदम बता रहे हैं । जाहिर है भारतीय युवा के सामने ट्रंप ने एक और चुनौती तो पेश कर ही दी है ।

. कौशल सिखौला

वरिष्ठ पत्रकार

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