हेमा मालिनी: ड्रीम गर्ल

Date:

16 अक्तूबर जन्म दिवस पर

​हेमा मालिनी: ‘ड्रीम गर्ल’ जिसने भारतीय सिनेमा को एक नया आयाम दिया
​भारतीय सिनेमा के इतिहास में कुछ ही व्यक्तित्व ऐसे हैं जिन्होंने अपनी बहुमुखी प्रतिभा, अद्वितीय सुंदरता और दशकों तक चली शानदार यात्रा से दर्शकों के दिलों पर राज किया है। इन्हीं में से एक हैं हेमा मालिनी, जिन्हें प्यार से ‘ड्रीम गर्ल’ के नाम से जाना जाता है। एक सफल अभिनेत्री, प्रशिक्षित शास्त्रीय नृत्यांगना, फिल्म निर्देशक, निर्माता और सक्रिय राजनेता के रूप में, हेमा मालिनी ने भारतीय कला और सार्वजनिक जीवन के कई क्षेत्रों में अमिट छाप छोड़ी है।
​प्रारंभिक जीवन और अभिनय की शुरुआत
​हेमा मालिनी का जन्म 16 अक्टूबर, 1948 को अम्मानकुडी, मद्रास (अब चेन्नई), तमिलनाडु में हुआ था। एक तमिल भाषी परिवार में पली-बढ़ी, उन्हें बचपन से ही कला और संस्कृति का माहौल मिला। उनकी माँ, जया चक्रवर्ती, एक फिल्म निर्माता थीं, जिन्होंने उनकी कलात्मक यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
​अभिनय में आने से पहले, हेमा मालिनी ने भरतनाट्यम, कुचिपुड़ी और ओडिसी जैसे शास्त्रीय नृत्यों में गहन प्रशिक्षण प्राप्त किया। नृत्य में उनकी महारत बाद में उनके फिल्मी करियर की एक पहचान बन गई।
​हेमा मालिनी ने 1960 के दशक के अंत में तमिल फिल्म ‘इधु साथियम’ (1962) में एक नर्तकी के रूप में अपनी शुरुआत की, लेकिन हिंदी सिनेमा में उनकी पहली बड़ी सफलता 1968 में आई। हिंदी फिल्म ‘सपनों का सौदागर’ में उन्होंने राज कपूर के साथ मुख्य भूमिका निभाई। यह फिल्म भले ही बॉक्स ऑफिस पर बहुत सफल न हुई हो, लेकिन राज कपूर ने ही उन्हें ‘ड्रीम गर्ल’ का उपनाम दिया, जो हमेशा के लिए उनके साथ जुड़ गया।
​भारतीय सिनेमा की ‘ड्रीम गर्ल’ का उदय
​1970 और 1980 का दशक हेमा मालिनी के करियर का स्वर्ण युग था। उन्होंने उस समय के लगभग सभी बड़े अभिनेताओं के साथ काम किया, जिनमें धर्मेंद्र, राजेश खन्ना, देव आनंद और अमिताभ बच्चन शामिल थे।
​उनकी कुछ सबसे यादगार फिल्में हैं:

​सीता और गीता (1972): इस फिल्म में दोहरी भूमिका में उनके प्रदर्शन ने उन्हें फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार दिलाया।

​शोले (1975): बसंती के रूप में उनका चुलबुला और साहसी चरित्र आज भी भारतीय सिनेमा के सबसे प्रतिष्ठित किरदारों में से एक है। फिल्म के संवाद “चल धन्नो!” भारतीय संस्कृति का हिस्सा बन गए हैं।

​किनारा (1977), खुशबू (1975) और महबूबा (1976): इन फिल्मों में उन्होंने गंभीर और भावनात्मक भूमिकाओं में अपनी अभिनय क्षमता का प्रदर्शन किया।

​ड्रीम गर्ल (1977): इस फिल्म ने उनके उपनाम को और भी लोकप्रिय बना दिया।

​उनकी ऑन-स्क्रीन केमिस्ट्री विशेष रूप से अभिनेता धर्मेंद्र के साथ काफी लोकप्रिय हुई, जिसके बाद 1980 में दोनों ने विवाह कर लिया।
​नृत्य और कला के प्रति समर्पण
​अभिनय के शिखर पर रहते हुए भी, हेमा मालिनी ने अपनी शास्त्रीय नृत्य कला को कभी नहीं छोड़ा। वह एक उत्कृष्ट नृत्यांगना बनी रहीं और देश-विदेश में नियमित रूप से प्रदर्शन करती रहीं। उन्होंने पौराणिक कथाओं और भारतीय संस्कृति पर आधारित कई नृत्य नाटिकाओं का निर्माण और निर्देशन भी किया है, जिनमें ‘दुर्गा’, ‘राधा रास बिहारी’, और ‘मीरा’ प्रमुख हैं। उनका कला के प्रति यह समर्पण उनकी बहुमुखी प्रतिभा को दर्शाता है।
​राजनीतिक सफर
​2000 के दशक में, हेमा मालिनी ने फिल्मों से धीरे-धीरे हटकर राजनीति में कदम रखा। उन्होंने 2004 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शामिल होकर सक्रिय रूप से राजनीति शुरू की। 2014 और 2019 में, वह उत्तर प्रदेश के मथुरा निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा सांसद चुनी गईं। एक राजनेता के रूप में, वह अपने निर्वाचन क्षेत्र के विकास और सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने के लिए लगातार काम कर रही हैं।
​पुरस्कार और सम्मान
​उनके कलात्मक योगदान के लिए, हेमा मालिनी को कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मानों से नवाजा गया है।

​पद्म श्री (2000): भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला चौथा सर्वोच्च नागरिक सम्मान।

​फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड (2000)।

​उन्हें विभिन्न विश्वविद्यालयों द्वारा मानद डॉक्टरेट की उपाधियाँ भी प्रदान की गई हैं।

​विरासत
​हेमा मालिनी की विरासत केवल बॉक्स ऑफिस सफलता या राजनीतिक प्रभाव तक सीमित नहीं है। उन्होंने भारतीय सिनेमा में महिला नायिकाओं के लिए एक उच्च मानक स्थापित किया। उनकी सुंदरता, प्रतिभा और कला के प्रति समर्पण ने उन्हें भारतीय कला और संस्कृति की एक जीवित किंवदंती बना दिया है। ‘ड्रीम गर्ल’ के रूप में, उन्होंने पीढ़ियों को प्रेरित किया है, और एक अभिनेत्री, नृत्यांगना और राजनेता के रूप में उनका प्रभाव भारतीय समाज पर हमेशा बना रहेगा।

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