
योग साधना का लक्ष्य सिर्फ़ अधिक अभ्यास करना नहीं, बल्कि विश्राम के माध्यम से निरोगी एवं ऊर्जावान बनना है। योग में विश्राम सक्रिय ऊर्जा पैदा करने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
अधिक अभ्यास के क्रम में जब मांसपेशियों को बार-बार और केवल खिंचाव का अभ्यास दिया जाता है, तो उनकी स्वाभाविक स्मृति में संतुलन की जगह केवल तनाव अंकित हो जाता है।मांसपेशियों में बना यह निरंतर खिंचाव, विशेष रूप से उन लोगों में जो योग या व्यायाम के अभ्यास में भी अधिक करने को ही लक्ष्य मानते हैं, हृदय पर अतिरिक्त दबाव उत्पन्न करता है। दीर्घकाल में यह स्थिति हृदयघात (Heart Attack) जैसे गंभीर परिणाम ला सकती है। मैंने ऐसे अनेक योग अभ्यासियों को देखा है, जो अत्यंत अनुशासित अभ्यास के बावजूद अचानक हृदय संबंधी समस्याओं से ग्रस्त हो जाते हैं।
अधिक निरंतर अभ्यास अर्थात खिंचाव को ही साधना का उद्देश्य न मानें। वास्तविक साधना वहाँ है जहाँ मांसपेशियाँ अपने मूल, अपने भीतर के “शून्य बिंदु” — शिथिलता — की ओर लौट सकें। तभी वे न केवल शारीरिक संतुलन की ओर लौटेंगी, बल्कि हृदय को भी तनाव से मुक्त करके जीवन को दीर्घकालीन स्थिरता और शांति प्रदान करेंगी।
विशेषकर योग में, जहाँ अभ्यास को आध्यात्मिक विश्राम की ओर ले जाने का अवसर होना चाहिए, वहाँ भी यदि केवल प्रतियोगिता ही प्राथमिक बन जाए, तो इसका परिणाम विनाशकारी हो सकता है।
संक्षेप में, योग हमें यह सिखाता है कि हम अपने शरीर और मन को इस तरह से संतुलित करें कि हम कम ऊर्जा खर्च करके भी अधिक शक्तिवान और जीवंत महसूस कर सकें। इसलिए, योग अभ्यास का अंतिम उद्देश्य और अधिक आसन करना ही नहीं, बल्कि विश्राम के माध्यम से ऊर्जा का संचार करना है।
शवासन ,योग निद्रा एक गहन विश्राम और निर्देशित ध्यान तकनीक है जिसे तनाव, चिंता और अनिद्रा को कम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह लेटकर अभ्यास करने पर जागृति और नींद के बीच एक शांत, आरामदायक अवस्था में पहुँचाती है जो प्रतिभागी को अधिक ऊर्जावान बनाती है । योग थकाने वाला नहीं ,और अधिक स्फूर्ति देने वाला,तरोताजा करने वाला होता हैं l
− स्वास्थय सेतु