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भाई-बहन के प्यार का अनमोल उपहार है भाई दूज

बाल मुकुन्द ओझा

दिवाली और गोवर्धन पूजा के बाद देश में भाई दूज का त्योहार हर्षोल्लास से मनाया जाता है। राखी की तरह ही भाई दूज भी भाई-बहन के प्यार और रिश्ते का प्रतीक है। इस दिन को भाई दूज या भैय्या दूज भी कहते हैं। इस साल भाई दूज का त्योहार 23 अक्टूबर, को मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार, 23 अक्टूबर 2025 को तिलक लगाने का सबसे शुभ समय दोपहर 1 बजकर 13 मिनट से 3 बजकर 28 मिनट तक रहेगा। यह शुभ काल 2 घंटे 15 मिनट तक रहेगा, जिसमें बहनें अपने भाइयों को तिलक कर सकती हैं और उनके कल्याण की कामना करते हुए पूजा कर सकती हैं। माना जाता है कि इस दिन विधि-विधान से पूजा करने से भाई-बहन के ऊपर से अकाल मृत्यु का संकट टल जाता है।

भाई दूज का त्योहार भाई-बहन के रिश्ते को समर्पित होता है। भाईदूज एक ऐसा पर्व है जो भाई-बहन के प्रेम और स्नेह का प्रतीक माना जाता है। भाई दूज पर बहने अपने भाईयों को तिलक लगाती हैं। फिर भाई की आरती उतार कर उनकी लंबी उम्र की कामना करती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर यमुना जी ने यमराज को अपने घर पर टीका किया था और भोजन कराया था। इसी पूजा के बाद से ही यमराज को सुख – समृद्धि की प्राप्ति हुई और तभी से भाई दूज का पर्व मनाने की परंपरा चली आ रही है।

यह त्योहार देश भर में धूमधाम से मनाया जाता है। इस पर्व को मनाने की विधि हर जगह एक जैसी नहीं है। उत्तर भारत में जहां यह चलन है कि इस दिन बहनें भाई को अक्षत और तिलक लगाकर नारियल देती हैं वहीं पूर्वी भारत में बहनें शंखनाद के बाद भाई को तिलक लगाती हैं और भेंट स्वरूप कुछ उपहार देती हैं। इस दिन भाई बहनों से मिलने उनके घर जाते हैं और बहने भी भाइयों के माथे पर तिलक कर उनकी लंबी आयु की कामना करती है।  उनकी आरती उतारती हैं।  वहीं, भाई भी बहनों के प्रति प्यार दिखाते हुए उन्हें उपहार देते हैं। 

धार्मिक कथा के अनुसार सूर्य देवता की पत्नी का नाम संज्ञा था तथा इनकी दो संताने थी। इनके पुत्र का नाम यमराज तथा पुत्री का नाम यमुना। यमदेव बहन यमुना से अलग रहते थे, लेकिन मिलने के लिए आते रहते थेद्य जब यम देव ने यमपुरी नगरी का निर्माण किया तो उनकी बहन यमुना भी उनके साथ रहने लगी। भाई यम के द्वारा यमपुरी में पापियों को दंड देते देख यमुना काफी दुखी होती थी। इसलिए वह यमपुरी का छोड़कर गो लोक में रहने चली गयी। कुछ समय बाद जब यमराज स्वयं गोलोक गए, तब उनकी भेट यमुना जी से हुई।

पौराणिक कथा के अनुसार देवी यमुना अपने भाई यमराज से बहुत प्रेम करती थी लेकिन वे दोनों लंबे समय तक मिल नहीं पाते थे। एक बार यम अचनाक दिवाली के बाद बहन यमुना से मिलने पहुंच गए।  खुशी में यामी ने तमाम तरह के पकवान बनाए और भाई यम के माथे पर तिलक किया। इससे खुश होकर उन्होंने यमुना से वरदान मांगने को कहा। इस पर यमुना ने अपने भाई से कहा कि वे चाहती हैं कि यम हर साल उनसे मिलने आएं और आज के बाद जो भी बहन अपने भाई के माथे पर तिलक करे उसे यमराज का डर न रहे। यमराज ने यमुना को ये वरदान दिया और उस दिन से भाई दूज का त्योहार मनाया जाने लगा। मान्यता है कि जो बहनें अपने भाई के तिलक करती हैं उनकी उम्र लंबी होती है।

बाल मुकुन्द ओझा

वरिष्ठ लेखक एवं पत्रकार

डी-32, मॉडल टाउन, मालवीय नगर, जयपुर

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