
बॉलीवुड और टीवी जगत के मशहूर कॉमेडी एक्टर सतीश शाह का शनिवार को निधन हो गया। 74 साल की उम्र में उन्होंने मुंबई में अपनी आखिरी सांस ली। वह लंबे समय से किडनी से जुड़ी गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे और किडनी फेलियोर के कारण उनका देहांत हो गया। मशहूर प्रोड्यूसर और आईएफटीडीए (IFTDA) के प्रेसिडेंट अशोक पंडित ने इस बात की पुष्टि की है। अशोक पंडित ने अपने टविट में कहा, जी हां, सतीश शाह नहीं रहें। वो मेरे अच्छे मित्र थे। किडनी फेलियर के चलते उनका निधन हो गया है। अचानक उन्हें दर्द होने लगा और उनकी तबीयत खराब हो गई। उन्हें दादर शिवाजी पार्क के हिंदुजा अस्पताल के जाया गया। वही उनका निधन हो गया।
भारतीय फिल्म और टेलीविजन जगत के प्रसिद्ध हास्य कलाकार सतीश शाह का नाम उन चंद अभिनेताओं में लिया जाता है, जिन्होंने अपने अभिनय से हंसी को एक नई पहचान दी। उनका करियर चार दशक से भी अधिक लंबा रहा है, जिसमें उन्होंने सैकड़ों फिल्मों और टीवी धारावाहिकों में यादगार भूमिकाएँ निभाईं। सतीश शाह केवल एक अभिनेता नहीं, बल्कि हास्य अभिनय की एक संस्था हैं, जिन्होंने आम आदमी के जीवन के हल्के पलों को बड़े ही सहज ढंग से पर्दे पर उतारा।
सतीश शाह का जन्म 25 जून 1951 को मुंबई में हुआ था। उन्होंने सेंट ज़ेवियर्स कॉलेज, मुंबई से स्नातक की शिक्षा प्राप्त की और बाद में भारतीय फ़िल्म एवं टेलीविज़न संस्थान (FTII), पुणे से अभिनय की औपचारिक ट्रेनिंग ली। यह वही संस्थान है जहाँ से कई दिग्गज कलाकारों ने अभिनय की बारीकियाँ सीखी हैं। सतीश शाह ने अपने करियर की शुरुआत 1970 के दशक के अंत में की और बहुत जल्द अपनी हाजिरजवाबी और कॉमिक टाइमिंग से दर्शकों का दिल जीत लिया।
उनकी पहचान सबसे पहले दूरदर्शन के मशहूर धारावाहिक “ये जो है ज़िंदगी” (1984) से बनी। इस धारावाहिक में उन्होंने हर एपिसोड में अलग-अलग किरदार निभाए और दर्शकों को अपने बेहतरीन हावभाव और संवाद अदायगी से मंत्रमुग्ध कर दिया। यह शो आज भी भारतीय टेलीविज़न इतिहास के सबसे लोकप्रिय कॉमेडी धारावाहिकों में गिना जाता है।
फ़िल्मों में सतीश शाह ने 1980 और 1990 के दशक में एक से बढ़कर एक भूमिकाएँ निभाईं। उन्हें हमने “जाने भी दो यारो” (1983) में ‘मुंबई नगर निगम के कमिश्नर डी’मेलो’ के रोल में देखा, जो भारतीय सिनेमा की सबसे बेहतरीन सटायर फिल्मों में से एक मानी जाती है। इसके अलावा “माइन प्यार किया”, “हम आपके हैं कौन”, “दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे”, “ओह डार्लिंग! ये है इंडिया”, “दिल ने जिसे अपना कहा” और “कल हो न हो” जैसी फिल्मों में उन्होंने अपने अभिनय से दर्शकों को खूब हँसाया।
सतीश शाह का हास्य कभी हल्का नहीं होता, बल्कि समाज के व्यवहार और मानव स्वभाव की गहरी समझ से उपजा होता है। उनके चेहरे के भाव और संवाद की लय में एक खास तरह का यथार्थ झलकता है। यही कारण है कि वे केवल कॉमेडी के नहीं, बल्कि चरित्र अभिनय के भी माहिर कलाकार हैं।
टेलीविजन पर उनकी एक और यादगार भूमिका रही “सरभाई वर्सेज़ सरभाई” में ‘इंद्रवदन सरभाई’ की। यह शो भारतीय सिटकॉम की श्रेणी में क्लासिक माना जाता है। उनकी व्यंग्यात्मक बातें और सहज हंसी ने उन्हें घर-घर में लोकप्रिय बना दिया।
सतीश शाह ने हिंदी के अलावा गुजराती सिनेमा और रंगमंच में भी योगदान दिया है। वे कई सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय रहते हैं और युवा कलाकारों को प्रेरित करते हैं।
अपने लंबे और सफल करियर में सतीश शाह ने यह साबित किया कि कॉमेडी केवल मज़ाक नहीं, बल्कि एक कला है जो संवेदनशीलता और समझदारी की माँग करती है। उनकी उपस्थिति भारतीय मनोरंजन जगत के लिए सदैव प्रेरणास्रोत बनी रहेगी।
सतीश शाह भारतीय हास्य जगत के ऐसे कलाकार हैं, जिन्होंने दर्शकों के दिलों में मुस्कान बिखेरते हुए अभिनय को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया है। उनका नाम सदा भारतीय सिनेमा के स्वर्ण अक्षरों में दर्ज रहेगा।