पक्षियों को भी खुले आसमान में जीने का अधिकार है

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                                     बाल मुकुन्द ओझा

 राष्ट्रीय पक्षी दिवस प्रतिवर्ष 12 नवंबर को मनाया जाता है। देशभर में राष्ट्रीय पक्षी दिवस भारत के प्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी और प्रकृतिवादी डॉ. सलीम अली की जयंती के अवसर पर मनाया जाता है। सलीम अली को पक्षी मानव के नाम से भी जाना जाता था। उन्होंने पक्षियों से सम्बंधित अनेक पुस्तकें लिखी थीं जिनमें  बर्ड्स ऑफ इंडिया सबसे लोकप्रिय पुस्तक है। पद्मविभूषण से नवाजे गये परिंदों के इस मसीहा को प्रकृति संरक्षण की दिशा में किए गए प्रयासों के लिए कभी भुलाया नहीं जा सकता है ।

जिस भूखंड की जलवायु जीवन के अनुकूल हो और वहाँ पर हरी-भरी वनस्पतियाँ पाई जाती हों, वहाँ पशु-पक्षी और जीव-जन्तुओं का पाया जाना एक नैसर्गिक सत्य है। किसी भी भूखंड में विचरण करने वाले पशु-पक्षी और जीव-जन्तुओं की उपस्थिति से वहाँ की जलवायु का अनुमान लगाया जा सकता है। पंख वाले या उड़ने वाले किसी भी जन्तु को पक्षी कहा जाता है। आसमान में उड़ते पक्षी किसी का भी मन मोह लेते है। रंग बिरंगे पक्षियों को देखकर तन और मन दोनों प्रफुलित हो जाता है। जीव विज्ञान में इस श्रेणी के जन्तुओं को पक्षी कहते हैं।

भारत में अलग अलग प्रजातियों के पक्षी मिल जाते है। इनमे से ज्यादातर पक्षी भारत के  होते है लेकिन कुछ पक्षी प्रवासी भी होते है जो दूसरे देशों से लम्बी यात्रा करके भारत में मौसम विशेष में आते है। पक्षियों को हिंदू धर्म में देवता और पितर माना गया है। पौराणिक आख्यान के मुताबिक जिस दिन आकाश से पक्षी लुप्त हो जाएंगे उस दिन धरती से मनुष्य भी लुप्त हो जाएगा। हिन्दू धर्म में पक्षियों को मारना बहुत बुरा माना जाता है। कहते है पक्षी को मौत के घाट उतारने का मतलब पितरों के मारने के सामान है। बताया जाता है दुनियाभर में लगभग 10 हजार तरह के पक्षी होते हैं। भारत में ही लगभग 1200 प्रजातियां पायी जाती है। इनमें से बहुत सी प्रजातियां लुप्त हो गई है और अनेक लुप्त होने के कगार पर है। इनमें राष्ट्रीय पक्षी मोर, गौरेया, कौवा, कबूतर, बाज, चील, मुर्गी, तोता, शामा, राजहंस, उल्लू, बाज, कमल, तितली,  पक्षी, नीलकंठ, नवरंग,सारस, आदि सर्वत्र देखने को मिल जाते है। मोर को भारत के सभी राज्यों में आमतौर पर देखा जा सकता है। मोर भारत का राष्ट्रीय पक्षी है। यह रंग बिरंगा पक्षी दिखने में बेहद खूबसूरत होता है परंतु यह अधिक दूर तक नहीं उड़ सकता। मोर प्राचीन काल से ही शिष्टता और सुंदरता का प्रतीक माना गया है और मोर पंख को मुकुट और सिंहासनों पर लगाया जाता रहा है। इसी भांति तीतर पक्षी अपना घोंसला जमीन पर ही बनाता हैं। बतख पक्षी अपना बिना सिर घुमाये पीछे की तरफ भी देख सकता हैं। कोयल आपना घोंसला कभी नहीं बनाती हैं। कबूतर को शांति का प्रतीक माना जाता है। दुनिया में सबसे ज्यादा पाया जाने वाला पक्षी मुर्गा हैं। शुतुरमुर्ग पक्षी की आंख उसके दिमाग से भी बड़ी होती है। शुतुरमुर्ग पक्षी घोड़े से भी ज्यादा तेज दौड़ सकता हैं। पेंगुइन एक ऐसा पक्षी है यो तैरते समय पंखों का इस्तेमाल करता है। उल्लू एकमात्र एक ऐसा पक्षी है जो नीला रंग पहचान सकता है। दुनिया में तोतों की 350 से भी अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं।  शुतुरमुर्ग संसार का सबसे बड़ा पक्षी है जिसका वजन 150 किलोग्राम से भी अधिक होता है। इसका अंडा भी सबसे बड़ा होता है।  चील पक्षी आग और धुंआ को देखकर आकर्षित होता है। पक्षियों के दांत नहीं होते वह अपना भोजन चोंच से ही खाते हैं।

बताया जाता है पक्षी है तो संसार का अस्तित्व है। हमें हमेशा पक्षियों के प्रति प्रेम और सद्भाव से पेश आना चाहिए । वह भी हमारी तरह खुशी और दुःख के भाव महसूस करतें हैं । वे बोल नहीं सकतें पर उनकी अपना बोली है। कहीं लोग पक्षी पालतें हैं। पिंजरें में पक्षियों को रखकर पालना गलत है। पक्षी स्वभाव से आजाद है उनको आजाद छोड़ना ही सही होगा है। यदि हम किसी पीड़ित पक्षी को देखें तो उसकी मदद करनी चाहिए। पक्षियों के चिकित्सक के पास ले जाकर उसकी इलाज करवाना बड़े पुण्य का काम होगा। पक्षी भी पीड़ा महसूस करतें हैं। बहुत कम लोगों में पक्षी के प्रति प्रेम भावना जीवित हैं। अगर किसी में यह न भी हो तो कम से कम उन्हें तंग न करें। किसी छोटे बच्चे को किसी प्राणी पर अन्याय करते हुए देखें तो उन्हें रोकें और समझाएं।

 बाल मुकुन्द ओझा

 वरिष्ठ लेखक एवं पत्रकार

   डी 32, मॉडल टाउन, मालवीय नगर, जयपुर

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