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खांसी के सिरप का क़हर

दवा हमारी रोजमर्रा की जरूरतों में शामिल है। सिरदर्द, जुकाम और बुखार की गोलियाँ और खांसी की दवा का घरों में रखना इस बात का संकेत है कि लोगों को डॉक्टरों, अस्पतालों और मेडिकल स्टोर से मिलने वाली दवाओं पर पूरा भरोसा है। दवा रोग से मुक्त होने के लिए ली जाती है, लेकिन जब दवा ज़हर बन जाए और बीमार को ठीक करने की बजाय उसकी मौत का कारण बन जाए, तो बहुत तकलीफ होती है। मध्य प्रदेश और राजस्थान में कफ सिरप ज़हर बन गया और देखते ही देखते पांच वर्ष से कम उम्र के कई बच्चों की मौत हो गई। मध्य प्रदेश में 16 और राजस्थान में तीन बच्चे मौत का शिकार हुए। इसके बाद मध्य प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु, केरल, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश आदि राज्यों में कफ सिरप बनाने वाली कंपनियों के सिरप और अन्य उत्पादों पर प्रतिबंध लगा दिया गया। इनमें कोल्ड्रिफ, डेक्सट्राॅमिथरफेन और नेक्सा डीएस कफ सिरप शामिल हैं। केंद्र के औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने कोल्ड्रिफ कफ सिरप बनाने वाली कंपनी श्रीसन फार्मास्युटिक्स के खिलाफ सख्त कार्रवाई शुरू कर दी।
राजस्थान में कायसन फार्मा के डेक्सट्राॅमिथरफेन कफ सिरप से बच्चों की मौत हुई, जबकि मध्य प्रदेश में तमिलनाडु में बने श्रीमन फार्मा के कफ सिरप कोल्ड्रिफ के इस्तेमाल से बच्चे मौत का ग्रास बने। कोल्ड्रिफ में खतरनाक रसायन डाइएथिलीन ग्लाइकॉल (डीईजी) की मात्रा तय सीमा से ज्यादा पाई गई। मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, राजस्थान और केरल की सरकारों ने दवा के निर्माण और बिक्री पर प्रतिबंध लगाते हुए कंपनियों से स्पष्टीकरण मांगा है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने जांच के आदेश देते हुए कहा कि दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। कफ सिरप बनाने वाली फैक्ट्री कांचीपुरम में है। प्रकरण की जांच के लिए तमिलनाडु सरकार को पत्र लिखा और वहां से रिपोर्ट मिलने के बाद इस पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया गया। तमिलनाडु सरकार ने सिरप के नमूनों में मिलावट मिलने के बाद पूरे राज्य में सिरप की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया और संयंत्र में उत्पादन बंद करा दिया। राजस्थान सरकार ने जयपुर के कायसन फार्मा प्लांट में निर्मित सभी 19 दवाओं के वितरण पर पाबंदी लगा दी। राज्य के दवा नियंत्रक राजाराम शर्मा को निलंबित किया गया। मध्य प्रदेश में दो ओषधि निरीक्षक गौरव शर्मा व शरद कुमार जैन और खाद्य एवं ओषधि प्रशासन के उप निदेशक शोभित कोस्टा को निलंबित और राज्य के ओषधि नियंत्रक दिनेश मौर्य का तबादला कर दिया गया। केरल की स्वास्थ्य एवं कल्याण मंत्री वीना जाॅर्ज के मुताबिक अन्य राज्यों से रिपोर्ट आने के बाद राज्य में कोल्ड्रिफ सिरप की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया। विशेषज्ञों का कहना है कि डीईजी एक विषैला और हानिकारक रसायन है। कोल्ड्रिफ सिरप में डीईजी रसायन की मात्रा 48.6 प्रतिशत डब्ल्यू/वी पाई गई, जो अनुमत सीमा 0.1 से बहुत ज्यादा है। डाइएथिलीन ग्लाइकॉल बेहद खतरनाक रसायन है। यह मीठा, रंगहीन, गंधहीन होता है और मुख्य रूप से पेंट और प्लास्टिक के निर्माण में औद्योगिक विलायक के रूप में उपयोग में आता है। दवाओं में इसका इस्तेमाल पूरी तरह से प्रतिबंधित है, लेकिन दवा कंपनियाँ अपने मुनाफे के लिए इसे प्रोपीलीन ग्लाइकाॅल के साथ मिलाती हैं। यह रसायन सुरक्षित है, लेकिन काफी मंहगा है। इसलिए इसे सस्ते, किंतु जहरीले डाइएथिलीन ग्लाइकाॅल में मिलाया जाता है। शरीर में जाने के बाद डीईजी और ईजी विषैले यौगिकों में टूट जाते हैं। ये गुर्द, यकृत और तंत्रिका तंत्र को हानि पहुंचाते हैं। बच्चों में उल्टी, पेट दर्द और पेशाब कम होना इसके आरंभिक लक्षण हैं। बाद में गुर्दे कार्य करना बंद कर देते हैं और रोगी की मौत हो जाती है। चूंकि बच्चे अपने शरीर के भार के हिसाब से काफी कमजोर और असुरक्षित होते हैं, इसलिए इस विषाक्त रसायन की थोड़ी मात्रा भी उनके लिए लेने वाली हो सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बार बार डीईजी और ईजी से दूषित खांसी के शरबत के विषय में चेतावनी जारी की। संगठन ने दो-स्तरीय नई परीक्षण विधियां भी विकसित कीं। सरकारों से निगरानी बढ़ाने, घटिया दवाओं को हटाने और दवा आपूर्ति श्रंखलाओं पर सख्त जांच सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया है।
देश में कफ सिरप से मौतों का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी ऐसे मामले सामने आए हैं। फार्मा कंपनियों पर विषाक्त कफ सिरप की बिना पर मासूमों की जान जाने के आरोप लगते रहे हैं। तीन वर्ष पूर्व गाम्बिया में हरियाणा की कंपनी मेडेन फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड में तैयार दवा पर डब्ल्यूएचओ ने डीईजी और ईजी होने की चेतावनी दी थी। गाम्बिया में कफ सिरप के कारण 70 मासूम बच्चों की मौत होने के बाद काफी हंगामा हुआ था, जबकि नोएडा के मेरीन बायोटेक में निर्मित कफ सिरप में मिलावट से उज्बेकिस्तान में कई मौतें हुई थीं। इन वाकियात के बाद दुनिया भर में काफी बदनामी हुई, लेकिन इन दर्दीले वाकियात से कोई सबक नहीं लिया गया। 1972 में चेनई में कफ सिरप में डाइएथिलीन ग्लाइकाॅल की मिलावट के कारण 14 बच्चों की मौत हुई, तो 1986 में मुंबई के जेजे अस्पताल में मिलावटी ग्लिसरीन के इस्तेमाल से 14 लोगों का निधन हुआ। 2020 में जम्मू व कश्मीर के ऊधमपुर जिले में डिजिटल लेबोरेटरीज द्वारा बनाए गए डाइएथिलीन ग्लाइकाॅल की मिलावट वाले कफ सिरप से 12 बच्चों की मौत हुई थी।
भारत न सिर्फ अपने देश बल्कि अन्य निम्न और मध्यम आय वाले देशों को भी सस्ती दवाओं की आपूर्ति करता है। ऐसे में इस प्रकार की घटनाएं देश की छवि को खराब करने के अलावा आर्थिक और सामाजिक रूप से भी हानिकारक हो सकती हैं। इनसे जनता के विश्वास के अलावा दवाओं की वैश्विक प्रतिष्ठा को भी नुकसान पहुँच सकता है। ये घटनाएँ दवा कंपनियों द्वारा दवाओं के निर्माण, वितरण और परीक्षण की पूरी प्रक्रिया में खामियों को उजागर करती हैं। 24 अगस्त को मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के परासिया ब्लॉक में पहला मरीज मिला और सात नवंबर को उसकी मौत हो गई। जब छिंदवाड़ा में पाँच साल से कम उम्र के कई बच्चों की मौत हो गई, तब अधिकारियों को कुछ गड़बड़ का अंदेशा हुआ। प्रारंभिक जांच में कुछ पता नहीं चला। अभिभावकों के पोस्टमार्टम नहीं कराने से भी मामला उलझा रहा, लेकिन जब सभी बच्चों के गुर्दों के काम नहीं करने की जानकारी हुई, तब इसे कफ सिरप से जोड़कर देखा गया। सवाल यह है कि इस किस्म की घटनाओं के लिए कौन जिम्मेदार है? क्या भविष्य में मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ पर प्रतिबंध लग जाएगा? इन वाकियात में रसायनों के अनुपात को बिगाड़ते हुए ज्यादा मुनाफा कमाने में लिप्त दवा बनाने वाली कंपनियों का इलाज किस के पास है? क्या दवाइयों की जांच के नाम पर महज खानापूर्ति और दवा सही होने के झूठे प्रमाण पत्र देने वाले अधिरियों के विरुद्ध भी कार्रवाई होगी? अब फार्मास्युटिकल्स इंडस्ट्री और रेगुलेट्री संस्थाओं की जवाबदेही सुनिश्चित करने का समय आ गया है। चिकित्सकों और फार्मासिस्टों को भी बच्चों को सिरप या एंटीबायोटिक लिखने से पहले उचित एहतियात की आवश्यकता है। हाल की घटनाओं के बाद प्रभावित रियासतों की हुकूमतों ने विवादित सिरपों पर प्रतिबंध लगाते हुए जांच के आदेश दिए हैं। केद्र सरकार की ओर से भी एडवाइजरी जारी करने के अलावा तहकीकात के लिए एक कमेटी बनाई गई है। उम्मीद की जानी चाहिए कि यह कार्रवाई ठोस परिणाम और बदलाव का संबल बनेगी।


       
एमए कंवल जाफरी
वरिष्ठ पत्रकार
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