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बंगला देश में दीपू चंद्र दास को जिंदा जलाया

अंधविश्वास और क्रूरता की पराकाष्ठा: की त्रासदी

​बांग्लादेश के दिनाजपुर जिले के कुचिंदा क्षेत्र में मानवता को शर्मसार कर देने वाली एक घटना सामने आई है। इसने पूरे दक्षिण एशिया के नागरिकों को झकझोर कर रख दिया। एक हिंदू युवक, दीपू चंद्र दास, को भीड़ द्वारा बर्बरतापूर्वक जला दिया गया। यह घटना केवल एक व्यक्ति की हत्या नहीं थी, बल्कि यह सामाजिक असहिष्णुता, कट्टरवाद और कानून-व्यवस्था की विफलता का एक नग्न प्रदर्शन था। दीपू चंद्र दास को जिस क्रूर तरीके से निशाना बनाया गया, उसने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और समाज में पनप रहे हिंसक उन्माद पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े कर दिए हैं।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, सैकड़ों की संख्या में लोग कुचिंदा क्षेत्र में एकत्र हुए। दीपू को पकड़ा गया और उस पर प्रहार किए गए। पीट− पट कर उसे मार डाला। फिर पेड़ पर लटकाकार उसे आग के हवाले कर दिया गया। जिस समय यह जघन्य अपराध हो रहा था, वहां मौजूद सुरक्षा बल या तो कम संख्या में थे या भीड़ को रोकने में असमर्थ रहे। यह स्थिति दर्शाती है कि जब भीड़ उन्मादी हो जाती है, तो न्याय प्रणाली और मानवीय संवेदनाएं दम तोड़ देती हैं। बांग्लादेश में पिछले कुछ समय में अल्पसंख्यकों के विरुद्ध हिंसा की घटनाओं में वृद्धि हुई है। अक्सर किसी मंदिर या पवित्र ग्रंथ के अपमान की झूठी खबर फैलाकर भीड़ को उकसाया जाता है, जिसके बाद बेगुनाह लोग दीपू चंद्र दास की तरह शिकार बन जाते हैं।

बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के लोग लंबे समय से अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित रहे हैं। दीपू चंद्र दास की हत्या ने इस डर को आतंक में बदल दिया है। जब किसी को केवल उसकी पहचान के आधार पर सार्वजनिक रूप से जला दिया जाता है, तो वह पूरे समुदाय को संदेश देता है कि वे सुरक्षित नहीं हैं।
तकनीक के इस युग में, फेसबुक और व्हाट्सएप जैसे मंच नफरत फैलाने के हथियार बन गए हैं। बिना किसी जांच-परख के साझा की गई एक पोस्ट किसी की जान ले सकती है। कुचिंदा की घटना इसी डिजिटल कट्टरवाद का परिणाम है।ऐसी घटनाओं में अक्सर देखा गया है कि प्रारंभिक जांच के बाद मामले ठंडे बस्ते में चले जाते हैं। यदि दोषियों को तुरंत और सार्वजनिक रूप से दंडित नहीं किया जाता, तो यह भीड़ के मनोबल को और बढ़ाता है।

बांग्लादेश के मयमनसिंह जिले में गुरुवार रात ईशनिंदा के आरोपों के बाद एक हिंदू युवक को भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला और उसके शव को आग लगा दी। यह घटना देश में जारी अशांति और अल्पसंख्यकों और मीडिया संस्थानों पर हमलों को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच घटी है। यह घटना भालुका उपज़िला के स्क्वायर मास्टर बारी के दुबालिया पारा इलाके में घटी। पुलिस ने पीड़ित की पहचान दीपू चंद्र दास के रूप में की है, जो एक स्थानीय कपड़ा कारखाने में काम करता था और उस इलाके में किराएदार के रूप में रहता था। (जैमिनी)

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