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नेपाल आंदोलन की जमीनी हकीकत

−मुकुन्द हरि

अभी करीब आधे घंटे तक नेपाल में अपने एक सूत्र से बातें होती रहीं क्योंकि वहां की जमीनी हकीकत और नेपाली जनों की सोच को जानना, समझना जरूरी लगा।

दरअसल, कम से कम एक साल पहले से ही वहाँ के भ्रष्ट राजनेताओं और उनकी अकूत संपत्ति और उनके बच्चों के विदेश में पढ़ने को लेकर जनाक्रोश पनप चुका था।

आठ तारीख को जेन जेड ने जो प्रदर्शन किया, उसकी पूर्व सूचना सोशल मीडिया के माध्यम से तीन-चार दिन पहले ही पूरे नेपाल में फैल चुकी थी। और नेपाल की कम्युनिस्ट सरकार ने जिन सोशल मीडिया के माध्यमों पर रोक लगाई, वो अमेरिकी थे किन्तु किसी चीनी सोशल मीडिया पर रोक नहीं लगाई।

नेपाल के लोग यह समझ चुके हैं कि इन कम्युनिस्टों ने नेपाल को चीन की कठपुतली बना दिया है और भारत को केवल ब्लैक मेल करते रहना इन नेताओं की प्रवृत्ति बन चुकी है।मामला इतना इसलिए बिगड़ा कि गोलीबारी की गई। इससे दर्जनों लोग मारे गए।

इसी अराजकता की आड़ में नेपाल के काठमांडू, धरान, पोखरा जैसे कई शहरों की जेलों में कैदियों ने खुद आग लगाई और जेल से भाग निकले।अकेले काठमांडू में 3 जेलें हैं और वहां से करीब 1200 कैदी भी भाग्र गए। बिहार बोर्डर पर 10 कैदियों को हमारे सीमा सुरक्षा बल के जवानों ने पकड़ा।

नेपाल की सेना ने भारत सरकार से भारतीय सेना भेजने का अनुरोध किया लेकिन भारत ने स्पष्ट कहा कि ये आपकी आंतरिक परेशानी है। यदि हम अपनी सेना को वहां भेजेंगे तो वहां की जनता, भारत को अपना विरोधी मानेगी।

यही गलती राजीव गांधी से हुई या करवाई गई थी, जब उन्होंने श्री लंका में शांति सेना भेजी थी। गनीमत से, इस बार भारत सरकार ने इसे दुहराया नहीं।

के पी शर्मा ओली की पहचान, नेपाल में पुराने तस्कर की रही है।

उसके काठमांडू समेत नेपाल में कम से कम 4 मकान हैं और अभी उसके जिस घर में आक्रोशित लोगों ने आग लगाई, आग बुझने के बाद वहां से 2 किलो सोना बरामद हुआ है और उसके एक निकटतम सम्बन्धी के घर से 80 किलो सोना बरामद हुआ है।

सोचिए, कि वहां क्या चल रहा था !

नेपाल के लोगों के मुताबिक, इस जनाक्रोश के पीछे अमरीका के साथ पुष्प दहल प्रचंड के माओवादी नेता और दामाद का हाथ होने की भी बात सामने आई है।

हालांकि, प्रचंड की अपनी बेटी का घर भी जलाया गया है और उसमें एक व्यक्ति का जला हुआ शव मिला है, जिसकी पहचान नहीं हो पाई है।

इस जनाक्रोश के पीछे पाकिस्तान का हाथ होने से फिलहाल नेपाली लोग नकार रहे हैं क्योंकि उनके मुताबिक पाकिस्तान खुद बदहाल है और ऐसे जनाक्रोश की फंडिंग करना अब उसके वश की बात नहीं है।

बांग्लादेश में जो हुआ, वह भी अमरीका ने ही करवाया था। जो बाइडेन ने तो अलग से बांग्लादेश में अनरेस्ट के लिए फंडिंग करवाई थी, जिसे बाद में ट्रंप ने रोक दिया।

आज शाम 5 बजे से कल सुबह 6 बजे तक पूरे नेपाल में कर्फ्यू लागू है।

एक अच्छी बात यह है कि भारत या भारतीय लोगों के प्रति किसी नकारात्मक भावना की कोई बात अभी तक नेपाल से सामने नहीं आई है।

दूसरी बात यह हो रही है कि नेपाल की सेना, आंदोलनकर्ता मिलकर आगे का रास्ता निकालने का प्रयास कर रहे हैं।

वहां, एक अंतरिम सरकार बनाने पर चर्चा हो रही है, जिसमें पार्टी विहीन और सिविल सोसाइटी के पढ़े-लिखे लोगों को जगह देने की बात चल रही है।

साथ ही, राजा को पुनः एक संवैधानिक संरक्षक के तौर पर स्थान देने और नेपाल को पुनः हिन्दू राष्ट्र घोषित करने जैसे विषयों पर भी चर्चाएं हो रही हैं।

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