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क्या वन्देमातरम को कांग्रेस ने छोटा किया था

क्या वन्देमातरम को काटकर छोटा करने का काम कांग्रेस पार्टी ने किया था ? क्या ऐसा करने से ही देश के विभाजन की नींव पड़ी थी ? यह आरोप चूंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केवड़िया में सरदार पटेल की 150वीं जयंती के आयोजन में बोलते हुए लगाया तो मामला गंभीर है ।

वास्तव में वन्देमातरम जैसे स्वाधीनता आंदोलन की प्रेरणा को बीच से काटकर छोटा करना जिन्ना एंड कंपनी के दबाव में हुआ । बाद में राष्ट्रीय स्वाभिमान से भरा यह राष्ट्रगीत आधे से भी कम रह गया । किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि वन्देमातरम जैसा राष्ट्र स्वाभिमानी गीत भी कभी भारत के बंटवारे की जड़ बन सकता है ।

वन्देमातरम मातृभूमि की वंदना का गीत है । यह गीत बंगाल के प्रसिद्ध राष्ट्रभक्त कवि साहित्यकार पंडित बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय ने लिखा था । उन्होंने अपने विश्वविख्यात उपन्यास आनंदमठ में भी इसका प्रयोग किया । गुरु रवींद्रनाथ ठाकुर ने इसे बार बार गाया । बंगाल की कलाभूमि पर लिखा गया यह गीत बंगाल से निकलकर सारे देश में फैल गया । धीरे धीरे वन्देमातरम स्वाधीनता आंदोलन का पर्याय बन गया ।

हिन्दू मुस्लिम सिक्ख ईसाई हरेकजुबान पर वन्देमातरम सरस्वती बनकर बैठ गया । वन्देमातरम गाते देशवासी अंग्रेजों की लाठी गोलियां खाते , जेलों में यातनाएं झेलते और सूली पर चढ़ जाते ।
क्रांतिकारियों ने वन्देमातरम गा गाकर समर्पित युवाओं की फौज खड़ी कर दी । उसी दौर में जिन्ना और कुछ इस्लामिक इल्मियों को वन्देमातरम से हिन्दुत्व की बू आने लगी ।

बात बढ़ती गई । तब कांग्रेस ने 1937 के अधिवेशन में वन्देमातरम को काटकर मात्र एक छंद तक सीमित कर दिया । बाद में उतना ही राष्ट्रीय गीत कांग्रेस अधिवेशनों में गया जाने लगा , आंदोलनों में गाया जाने लगा और आजादी के बाद उतना ही आकाशवाणी तथा दूरदर्शन पर बजने लगा । बंकिम बाबू के गीत के टुकड़े कांग्रेस ने कर दिए ।

प्रधानमंत्री के अनुसार ऐसा करने से ही मुस्लिम लीग ने अलग पाकिस्तान की आवाज उठानी शुरू कर दी । यही आवाज आगे चलकर देश के विभाजन का कारण बनी । खैर ! जो हुआ सो हुआ । वन्देमातरम को राष्ट्रगान बनाने के बजाय राष्ट्रगीत बनाया , जन गण मन को राष्ट्रगान बनाया । काश ऐसा न हुआ होता । वन्देमातरम गीत आज भी देश की आत्मा है , सदा सर्वदा तक रहेगा भी ।
,,,,,,,,,कौशल सिखौला

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