मोटापे का इलाज शॉर्टकट से नहीं किया जा सकता: डॉ. जितेंद्र सिंह

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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान और प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि वर्तमान में उपलब्ध वजन घटाने वाली या मोटापा कम करने वाली दवाओं का उपयोग बहुत ही विवेकपूर्ण तरीके से किया जाना चाहिए।

स्वयं एक प्रख्यात मधुमेह विशेषज्ञ और चिकित्सा के प्रोफेसर राज्यमंत्री. जितेंद्र सिंह कहा कि मोटापा एक जटिल, दीर्घकालिक और बार-बार होने वाला विकार है, न कि केवल एक सौंदर्य संबंधी या जीवनशैली से जुड़ी चिंता। उन्होंने भारत की सबसे गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक के रूप में उभरी इस समस्या से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए समग्र समाज के दृष्टिकोण का आह्वान किया।

डॉ. क्यौंग कोन किम, डॉ. वोल्कान युमुक, डॉ. महेंद्र नरवारिया, डॉ. बीएम मक्कर, डॉ. बंशी साबू और अन्य सहित क्षेत्र के कुछ प्रमुख विशेषज्ञों की उपस्थिति में आयोजित दो दिवसीय “एशिया ओशिनिया कॉनफ्रेंस ऑन ऑबेसिटी” (एओसीओ) के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए मंत्री ने कहा कि डॉक्टरों, शोधकर्ताओं, नीति निर्माताओं और अन्य हितधारकों का एक मंच पर एकत्रित होना ही भारत में मोटापे की महामारी की बढ़ती गंभीरता को दर्शाता है। एक उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि जिस प्रकार अर्थशास्त्र इतना गंभीर विषय है कि इसे केवल एक अर्थशास्त्री के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता, उसी प्रकार मोटापा भी इतना गंभीर विषय है कि इसे केवल एक चिकित्सक या महामारी विज्ञानी के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता, क्योंकि इसकी गहरी सामाजिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय जड़ें हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत में गैर-संक्रामक रोगों में चिंताजनक वृद्धि देखी जा रही है जो किसी न किसी रूप में मोटापे से जुड़े हैं और इनका कुल मृत्यु दर में लगभग 63 प्रतिशत का योगदान है। उन्होंने बताया कि टाइप 2 मधुमेह, हृदय रोग और कुछ प्रकार के कैंसर जैसी स्थितियां मोटापे से जुड़ी हैं, जिनमें केंद्रीय या आंतरिक मोटापा भी शामिल है, जो विशेष रूप से भारतीयों में प्रचलित है और शरीर के कुल वजन से परे भी स्वतंत्र स्वास्थ्य जोखिम पैदा करता है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि 2014 से स्वास्थ्य राष्ट्रीय नीति निर्माण के केंद्र में आ गया है और सरकार रोकथाम, किफायती और शीघ्र जांच पर ध्यान केंद्रित कर रही है। उन्होंने आयुष्मान भारत, व्यापक जांच कार्यक्रमों और स्वदेशी टीकों के विकास सहित निवारक स्वास्थ्य देखभाल में भारत के बढ़ते वैश्विक नेतृत्व को इस बदलाव के उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने आयुष मंत्रालय के माध्यम से पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों को एकीकृत करने पर सरकार के जोर का भी उल्‍लेख किया।

मंत्री जी ने मोटापे की रोकथाम से जुड़े बढ़ते व्यवसायीकरण और भ्रामक सूचनाओं के प्रति आगाह किया और चेतावनी दी कि अवैज्ञानिक दावे और तथाकथित त्वरित समाधान अक्सर लोगों को गुमराह करते हैं और उन्हें प्रमाण-आधारित देखभाल से दूर करते हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि केवल औपचारिक अनुमोदन ही नैदानिक ​​अभ्यास में पूरी सच्चाई नहीं बताते, और याद दिलाया कि कैसे पूर्व के दशकों में रिफाइंड तेलों के व्यापक उपयोग से अनपेक्षित दीर्घकालिक स्वास्थ्य परिणाम सामने आए। जनहित की रक्षा की आवश्यकता पर बल देते हुए, उन्होंने मिथकों और गलत सूचनाओं का मुकाबला करने के लिए विशेष रूप से आधुनिक मीडिया और डिजिटल प्लेटफार्मों के जिम्मेदार उपयोग के माध्यम से निरंतर प्रयासों का आह्वान किया।

युवा पीढ़ी तक पहुंचने की आवश्यकता पर जोर देते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि जन जागरूकता को चिकित्सा सम्मेलनों और विशेषज्ञ चर्चाओं तक सीमित नहीं रखना चाहिए। उन्होंने कहा, “हमें न केवल जानकार लोगों से बात करनी चाहिए, बल्कि उन लोगों से भी बात करनी चाहिए जो यह नहीं जानते कि वे नहीं जानते।” उन्होंने आगे कहा कि 2047 तक एक विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए भारत के युवाओं के स्वास्थ्य और ऊर्जा की रक्षा करना आवश्यक है।

इस कार्यक्रम के दौरान, मंत्री ने एआईएएआरओ मोटापा रजिस्ट्री का भी शुभारंभ किया जो व्यवस्थित डेटा संग्रह, प्रमाण-आधारित अंतर्दृष्टि और दीर्घकालिक नीतिगत समर्थन के माध्यम से भारत के मोटापा अनुसंधान तंत्र को मजबूत करने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण पहल है।

दो दिवसीय एशिया ओशिनिया कॉनफ्रेंस ऑन ऑबेसिटी (एओसीओ) एशिया और ओशिनिया में मोटापा संबंधी समाजों का प्रतिनिधित्व करने वाली क्षेत्रीय संस्था, एशिया ओशिनिया एसोसिएशन फॉर द स्टडी ऑफ ऑबेसिटी (एओएएसओ) का प्रमुख सम्मेलन है। भारत में, यह सम्मेलन ऑल इंडिया एसोसिएशन फॉर एडवांसिंग रिसर्च इन ऑबेसिटी (एआईएएआरओ), जो राष्ट्रीय मोटापा समाज और एओएएसओ का सदस्य है, द्वारा एओएएसओ के सहयोग से और आईएईपीईएन इंडिया और ओएसएसआई के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है। सम्मेलन का उद्देश्य वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करके, अनुसंधान सहयोग को बढ़ावा देकर और मोटापे के प्रमाण-आधारित प्रबंधन को मजबूत करके चिकित्सकों, शोधकर्ताओं और नीति निर्माताओं को सशक्त बनाना है।

राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों को एक साथ लाकर, एओसीओ मोटापे को न केवल एक चिकित्सीय बल्कि एक सामाजिक चुनौती का समाधान करना चाहता है जिसके लिए समन्वित कार्रवाई, निरंतर जागरूकता और सूचित सार्वजनिक भागीदारी की आवश्यकता है।

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