‘एजुकेट गर्ल्स’ को वर्ष 2025 के रेमन मैग्सेसे पुरस्कार

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लड़कियों की शिक्षा के लिए काम करने वाली भारतीय संस्था ‘एजुकेट गर्ल्स’ को वर्ष 2025 के रेमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेताओं में शामिल किया गया है। एशिया का प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त करने वाली पहली भारतीय संस्था बनकर इसने इतिहास रच दिया है।यह संस्था दूरदराज के गांवों में स्कूल न जाने वाली लड़कियों की शिक्षा के माध्यम से सांस्कृतिक रूढ़िवादिता को दूर करने का प्रयास करती है।

एशिया के सबसे बड़े अवार्ड का नाम रेमन मैग्सेसे अवार्ड (Ramon Magsaysay Award) है। रेमन मैग्सेसे अवार्ड की तुलना दुनिया के सबसे बड़े अवार्ड नोबेल अवार्ड से की जाती है। दुनिया के ज्यादातर नागरिकों का स्पष्ट मत है कि एशिया में रेमन मैग्सेसे अवार्ड की हैसियत वही है जो विश्व में नोबेल अवार्ड की है।

‘एजुकेट गर्ल्स ’भारत की बेटियों को शिक्षित करने का काम कर रही है। भारत की जो बेटियां किसी भी कारण से शिक्षा प्राप्त करने से वंचित रह जाती हैं उन बेटियों को शिक्षा का अधिकार दिलाने का बीड़ा ‘एजुकेट गल्र्स’ ने उठा रखा है। ‘एजुकेट गर्ल्स’ की स्थापना सफीना हुसैन ने की थी। शुरूआती दिनों में संस्था मुस्लिम समाज में अधिक सक्रिय थी। धीरे-धीरे इस संस्था ने भारत के हर वर्ग में कामकाज शुरू कर दिया।

एजुकेट गर्ल्स की संस्थापक सफीना हुसैन ने कहा – यह उपलब्धि हमारी टीम, बालिका स्वयंसेवकों, पार्टनर्स, समर्थकों और सबसे बढक़र उन बच्चियों के नाम है, जिन्होंने अपनी सबसे बड़ी ताकत, शिक्षा को फिर से हासिल किया। आने वाले दस वर्षों में एजुकेट गर्ल्स एक करोड़ से भी ज़्यादा शिक्षार्थियों तक पहुँचने का है।

एजुकेट गर्ल्स की सीईओ गायत्री नायर लोबो ने कहा – हमारे लिए शिक्षा सिर्फ़ विकास का साधन नहीं, बल्कि हर लडक़ी का बुनियादी अधिकार है। यह सम्मान इस बात का प्रमाण है कि जब सरकार, कॉरपोरेट, डोनर्स और समुदाय मिलकर काम करते हैं, तो गहरी सामाजिक और संरचनात्मक चुनौतियों को बदला जा सकता है। हम भारत सरकार के प्रयासों और सहयोग के लिए आभारी हैं, जिन्होंने इस मिशन को संभव बनाया।

2007 में स्थापित एजुकेट गर्ल्स आज तक 30,000 से अधिक गाँवों में अपनी पहुँच बना चुकी है। 55,000 से ज्यादा सामुदायिक स्वयंसेवकों के सहयोग से संस्था ने 20 लाख से अधिक बशिक्षा से जोडऩे के लिए प्रेरित किया है और 24 लाख से ज्यादा बच्चों की पढ़ाई को बेहतर बनाया है। आने वाले समय में एजुकेट गर्ल्स का लक्ष्य एक करोड़ से अधिक बच्चों तक पहुँचना है, ताकि शिक्षा के माध्यम से गऱीबी और अशिक्षा के चक्र को तोड़ा जा सके। एजुकेट गर्ल्स एक सामाजिक संस्था है जो राज्य सरकारों के साथ मिलकर ग्रामीण और शैक्षिक रूप से पिछड़े इलाकों में लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देती है। इसका काम ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’, ‘शिक्षा का अधिकार अधिनियम’ और राष्ट्रीय शिक्षा नीति के उद्देश्यों के अनुरूप है। 2007 से अब तक, संस्था ने राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार के 30 हज़ार से अधिक गांवों में 20 लाख से ज़्यादा लड़कियों का स्कूल में दाखिला करवाने मे मदद की है। इसके साथ ही 55,000 से अधिक सामुदायिक वालंटियर्स का नेटवर्क भी खड़ा किया है।

यह पुरस्कार हर साल 31 अगस्त को फिलीपींस के पूर्व राष्ट्रपति रेमन मैग्सेसे की जयंती पर दिया जाता है। आरएमएएफ का न्यासी बोर्ड एक गोपनीय नामांकन प्रक्रिया और अपनी जांच के बाद विजेताओं का चयन करता है। विजेताओं को एक प्रमाण पत्र और एक पदक प्रदान किया जाता है।

सफीना हुसैनके नेतृत्व में एक छोटी स्थानीय टीम ने राजस्थान के पाली जिले के 50 स्कूलों में प्रारंभिक परीक्षण परियोजना का संचालन किया । यह 50-स्कूल परियोजना राजस्थान शिक्षा पहल (आरईआई) के तत्वावधान में शुरू की गई थी। यह पहल 2008 में 500 स्कूलों से शुरू होकर 2013 में 4,425 से अधिक स्कूलों तक पहुँच गई, जिसका उद्देश्य ग्रामीण राजस्थान में लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देना था और सफीना ने एक स्थायी मॉडल तैयार किया जहाँ पूरा समुदाय लड़कियों को सरकारी स्कूलों में दाखिला दिलाने के लिए हाथ से काम करता है और सामुदायिक भागीदारी के कारण यह पहल सफल हुई। 

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