मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सड़क सुरक्षा को सबसे बड़ी चुनौती मानते हुए आदेश दिए कि परिवहन विभाग को अब सभी बस चालकों का हर तीन महीने में अनिवार्य मेडिकल और फिटनेस टेस्ट कराना होगा। खासतौर पर आंखों की नियमित जांच जरूरी होगी, ताकि दृष्टि दोष के कारण यात्रियों की जान जोखिम में न पड़े।
शनिवार को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान लखनऊ में परिवहन विभाग की विभिन्न सेवाओं के शुभारंभ, डिजिटल लोकार्पण और शिलान्यास कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि यात्री की जान बचाना विभाग की सकारात्मक छवि बनाता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में लापरवाही से गाड़ी चलाने की छूट किसी को नहीं दी जा सकती।लापरवाही से होने वाली मौतें न केवल बदनामी लाती हैं बल्कि आर्थिक नुकसान भी कराती हैं।
उन्होने सड़क सुरक्षा पर जोर दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके लिए बड़े स्तर पर जन-जागरूकता अभियान चलाना होगा। इसमें आइआइटी खड़गपुर जैसी तकनीकी संस्थाओं की मदद, पुलिस और अन्य विभागों का सहयोग, तथा स्कूलों में ट्रैफिक नियमों पर शिक्षा को शामिल करना होगा। हेलमेट, सीट बेल्ट, नशे में ड्राइविंग और ओवर स्पीडिंग जैसी स्थितियों पर कड़े नियम लागू होंगे और मीडिया के जरिए इनका व्यापक प्रचार किया जाएगा।मुख्यमंत्री ने कहा कि कानून कभी-कभी कठोर लगता है लेकिन यही नागरिकों की सुरक्षा और जीवन की गारंटी है। कार्यक्रम में बताया कि पुलिस द्वारा विकसित एप से दुर्घटना संभावित क्षेत्रों की पहचान की गई, जिससे कई जगह हादसों की संख्या महीने में 18 से घटकर सिर्फ तीन रह गई है।
परिवहन और नगर विकास विभाग अगर गांव-गांव बेहतर पब्लिक ट्रांसपोर्ट और कनेक्टिविटी दें तो न केवल प्रदूषण घटेगा, बल्कि करीब तीन लाख रोजगार भी पैदा होंगे। उन्होंने इलेक्ट्रिक बसों को पर्यावरण संरक्षण और बेहतर यात्रा अनुभव का साधन बताते हुए कहा कि चार्जिंग स्टेशनों के लिए निजी क्षेत्र की भागीदारी जरूरी है।
साथ ही, पुराने वाहनों की स्क्रैपिंग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए ताकि प्रदूषण और हादसों का खतरा कम हो। ड्राइविंग ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट को मजबूत बनाने और विभाग को जवाबदेही के साथ काम करने की नसीहत दी। परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने कहा कि आने वाले समय में इलेक्ट्रिक बसें गांव-गांव तक पहुंचेंगी।कार्यक्रम में महापौर सुषमा खर्कवाल, प्रमुख सचिव अमित गुप्ता, परिवहन आयुक्त ब्रजेश नारायण सिंह सहित कई जनप्रतिनिधि और अधिकारी मौजूद रहे।