अब नेता बदले बिना इंडी गठबंधन नही चलेगा

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एक बात पक्की है कि इंडी गठबंधन को बनाए रखना है तो गठबंधन का नेता बदलना पड़ेगा । खड़गे या राहुल गांधी से तो अब सहयोगी दलों ने ही मुंह मोड़ लिया है । शिवसेना उद्धव के प्रवक्ता आनंद दुबे और प्रियंका चतुर्वेदी ने कल साफ साफ कह दिया कि दो – चार सीटें लेनी वाली कांग्रेस के साथ कोई तालमेल हो पाना मुश्किल है । शिवसेना उद्धव के प्रवक्ता आनंद दुबे आजकल टीवी पर ही राहुल गांधी की मिमिक्री करने लगे हैं । उधर बंगाल में टीएमसी लगातार मांग कर रही है कि इंडी अलायंस का नेता बदला जाए । यूँ भी ममता बंगाल में किसी घटक के साथ गठबंधन नहीं करतीं ।

यूपी से भी ऐसी मांगें उठ रही हैं और अखिलेश को नेता बनाने का सवाल उठाया जा रहा है । महाराष्ट्र में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अबु आजमी ने कल ही साफ किया कि भविष्य में महाराष्ट्र में कांग्रेस के साथ नहीं जाएंगे । उत्तराखंड की हालत सबके सामने है जहां कांग्रेस के भीतर भारी राजनीति है । वहीं पार्टी मजबूत नेतृत्व के संकट से जूझ रही है । अब रही तमिलनाडु की बात जहां अगले साल चुनाव हैं वहां डीएमके की ही हालत बढ़िया नहीं , कांग्रेस की क्या कहें ।

एक बात बहुत खास है । वह है SIR का असर । यदि वैध अवैध रास्तों से बांग्लादेशी रोहिंग्या लगातार भाग रहे हैं तो SIR की इससे बड़ी उपलब्धि और क्या होगी ? ममता इसीलिए तो मचल रही हैं। उधर चारों ओर से निराश कांग्रेस अब अपनी आखिरी ऑक्सीजन दिल्ली में SIR के खिलाफ बड़े प्रदर्शन के माध्यम से लेना चाहती है । आपको शायद पता न हो कि असम में ऐसा पहले ही हो चुका है , अभी भी चल रहा है । रही बात दक्षिण की तो दक्षिण भारत में रोहिंग्या नहीं हैं , बांग्लादेशी जरूर हैं ।

वहां SIR का इतना असर नहीं होगा । वैसे जहां भी होता है , हो जाए । 1971 के युद्ध से पहले 1 करोड़ से अधिक शरणार्थी पूर्वी पाकिस्तान से आए थे । धीरे धीरे लाखों आते रहे जिन्हें कांग्रेस उत्तर भारतीय राज्यों में बसाती रही , वोटबैंक बनाती रही । बंगाल और असम को छोड़िए सुदूर कश्मीर में फारूख अब्दुल्ला और कांग्रेस ने इन्हें बसाया , वोटबैंक बनाया । तभी तो बदली देश की डेमोग्राफी ? SIR के डर से अब कांग्रेस , ममता , लालू , अखिलेश , केजरीवाल का वोटबैंक भाग रहा है तो तकलीफ़ हो रही है , होगी ही ?

देश में SIR इससे पहले भी 9 बार हो चुकी है । कभी ऐसा हल्ला नहीं मचाया कांग्रेस ने जो आज कपड़े फाड़ रही है । बांग्लादेशी तो इंदिरा गांधी के राज में ही आए । वोटबैंक बढ़ाने का काम भी कांग्रेस ने उन्हें वोटर बनाकर शुरू किया । तो क्या तब कांग्रेस के निर्देश पर चुनाव आयोग ने वोट चोरी की थी जो बांग्लादेशियों को बाहर नहीं भेजा ? ऐसा ही हुआ होगा शायद ? तभी तो कांग्रेस SIR से बुरी तरह कांप रही है । खैर , अब तो इंडी वाले चोर चोर चिल्लाने का असर बिहार में देख चुके हैं । आगे कहां कहां देखेंगे आने वाले दिनों में पता चल जाएगा ।

,,,,,,कौशल सिखौला

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