राजनीति के फलते फूलते और दरकते सियासी परिवार

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बाल मुकुन्द ओझा

कभी देश के प्रधानमंत्री के पद के नज़दीक पहुंचे लालू प्रसाद यादव का सियासी परिवार अब बिखरने के कगार पर है। बिहार चुनाव में करारी हार के बाद लालू परिवार की एकता छिन्न भिन्न हो गई है। बिहार में परिवारवाद कोई नया मुद्दा नहीं है मगर सबसे शक्तिशाली परिवार में अंदरूनी झगड़ा खुलकर सामने आ गया है। लालू परिवार में जयचंदों को लेकर भी सियासत गर्म हो रही है। चुनाव से पहले बड़े बेटे तेज प्रताप को परिवार से निकाल बाहर कर दिया गया था। चुनाव के बाद हार की जिम्मेदारी तय करने के मामले में लालू को किडनी देने वाली बेटी रोहिणी आचार्य ने रोते हुए घर छोड़ दिया और परिवार से नाता तोड़ने और राजनीति छोड़ने का ऐलान किया। उन्होंने आरोप लगाया था कि चुनाव हारने के बाद उनके भाई तेजस्वी यादव और उनके दो करीबी सहयोगी संजय यादव और रमीज ने उन्हें अपमानित किया है। रोहिणी ने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें चप्पल उठा कर मारने की भी कोशिश की।  कल एक बेटी, एक बहन, एक शादीशुदा महिला, एक मां को जलील किया गया, गंदी गालियां दी गयीं, मारने के लिए चप्पल उठाया गया, मैंने अपने आत्मसम्मान से समझौता नहीं किया, सच का समर्पण नहीं किया, सिर्फ और सिर्फ इस वजह से मुझे बेइज्जती झेलनी पड़ी। कल एक बेटी मजबूरी में अपने रोते हुए मां-बाप बहनों को छोड़ आयी, मुझसे मेरा मायका छुड़वाया गया. मुझे अनाथ बना दिया गया। आप सब मेरे रास्ते कभी ना चलें, किसी घर में रोहिणी जैसी बेटी – बहन पैदा ना हो ।

देश में उत्तर से लेकर दक्षिण तक राजनीतिक परिवारों में सियासी फूट और कलह का लंबा इतिहास रहा है। देश में अनेक सियासी परिवार जहां फले फुले है वहां अनेक परिवार टूट फूट का शिकार होकर दरकते भी गए है। इस समय देश में डेढ़ दर्ज़न परिवार राजनीति में सक्रीय है। इनमें अनेक बड़े परिवार समय के साथ फलते फूलते और बिखरते रहे। देश के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित नेहरू गांधी परिवार में भी स्व. संजय गांधी की पत्नी मेनका और बेटे वरुण गांधी ने परिवार से अलग राह पकड़कर भाजपा का दामन थाम रखा है। दूसरा बड़ा परिवार पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल का है जिसकी चौथी पीढ़ी इस समय सियासी समर में संघर्षरत है। हरियाणा में देवीलाल की विरासत की जंग में परिवार बिखर गया। देवीलाल के बेटे और पूर्व मुख्यमंत्री स्व.ओपी चौटाला के दोनों बेटों ने सियासत की अलग अलग पगडंडियां पकड़ रखी है। पूर्व केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान के निधन के बाद उनका परिवार भी बिखर गया है। बेटे और भाई ने अलग अलग राह पकड़ रखी है। इसी भांति यूपी में सोने लाल पटेल के परिवार के सदस्यों की राह भी जुदा जुदा है। इनमें एक सदस्य मोदी मंत्री मंडल में शामिल है तो दूसरा मोदी विरोधी धड़े के साथ है। कल तक मुलायम सिंह यादव का परिवार भी अलग थलग था। भाई शिवपाल और बेटे अखिलेश की राह अलग अलग थी  मगर शिवपाल फिर अपने भतीजे के साथ हो गए है मगर परिवार के एक बहू अपर्णा आज भी भाजपा खेमे से जुडी है। आंध्र में पूर्व मुख्यमंत्री रामाराव का परिवार भी बिखरा हुआ है। महाराष्ट्र में बाल ठाकरे ने अपने भतीजे राज ठाकरे के स्थान पर अपने बेटे उद्धव को पार्टी की सत्ता सौंप दी थी। भतीजे राज ने अपने चाचा से बगावत कर अलग पार्टी बना ली थी। शरद पवार का उदहारण भी हमारे सामने है। उन्होंने अपने भाई के स्थान पर बेटी को तरजीह दी थी। राजनीति के चाणक्य समझे जाने वाले शरद पवार के भतीजे अजीत ने अपने चाचा को पटकनी देकर भाजपा सरकार में उप मुख्यमंत्री का पद संभाल परिवार को तोड़ दिया था ।

आंध्र प्रदेश में वाईएस राजशेखर रेड्डी की मौत के बाद परिवार में भाई जगनमोहन रेड्डी और बहन वाईएस शर्मिला में भी टकराव हुआ। 2021 में बहन शर्मिला ने अपनी अलग पार्टी बनाई। इसके बाद उन्होंने लोकसभा चुनाव से पहले अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय कर लिया। KCR के नाम से चर्चित के. चंद्रशेखर राव की पार्टी में कलह खुलकर सामने आ चुकी है। पूर्व मुख्यमंत्री की बेटी के. कविता को भाइयों के खिलाफ आवाज उठाने का खामियाजा भुगतना पड़ा है। एच.डी. देवेगौड़ा के परिवार के भीतर सत्ता और टिकट वितरण को लेकर समय-समय पर मतभेद सामने आते रहे हैं। खासकर उनके बेटे एच.डी. कुमारस्वामी और एच.डी. रेवन्ना के बीच कई बार सार्वजनिक मंचों पर भी असहमति देखी गई है। तमिलनाडू में एम. करुणानिधि के निधन के बाद उनकी राजनीतिक विरासत के लिए परिवार में घमासान हुआ। करुणानिधि के दो बेटों एम.के. स्टालिन और एम.के. अलागिरी के बीच पार्टी के उत्तराधिकार को लेकर लंबे समय तक विवाद रहा। करूणानिधि ने बड़े बेटे अलागिरी को पार्टी से अलग कर स्टालिन को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था। पिता के इस एक्शन से बड़ा बेटा राजनीति के बियावान में खो गया। अंत में अलागिरी को पार्टी और परिवार से बाहर का रास्ता दिखाया गया।

बाल मुकुन्द ओझा

वरिष्ठ लेखक एवं पत्रकार

डी . 32 मॉडल टाउन, मालवीय नगर, जयपुर

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