ये है राष्ट्रवाद

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−कौशल सिखौला

वरिष्ठ पत्रकार

जो लोग राष्ट्रवाद का नाम सुनते ही झुलस जाते हैं , एक बार फिर देख लिया न राष्ट्रवाद ? दिक्कत यह है कि कुछ ज्वलनशील लोग राष्ट्रवाद का शब्द सुनते ही उसे हिन्दुत्व से जोड़ने लगते हैं । पता नहीं उन्हें पाकिस्तान पर भारत की जीत से पता चला या नहीं कि राष्ट्रवाद क्या होता है ?

जब पाकिस्तान को एक बार हराया तो राष्ट्रवाद उभरा । दूसरी बार हराया तो फिर से राष्ट्रवाद का उल्हास एक जुनून बनकर गली गली फैल गया । और फिर फाइनल में पाकिस्तान को जो धोया तो ऐसा धोया कि सारा पाकिस्तान पूरी रात कूक मार कर रोया । और भारत ? भारत पर दो दिनों से जुनून छाया हुआ है । राष्ट्रवाद का सैलाब ऐसा उमड़ा हुआ है कि गलियों मोहल्लों तक फैल गया है । तब तक फैला रहेगा जब तक कि हमारी एशियन ट्रॉफी और व्यक्तिगत गोल्ड मेडल लेकर भागा पीसीबी अध्यक्ष मोहसिन बीसीसीआई को उन्हें वापस नहीं भिजवा देता ।

याद दिला दें कि पीसीबी अध्यक्ष मोहसिन नकवी पाकिस्तान का गृहमंत्री भी है । पाकिस्तान के तमाम आतंकी ठिकाने उसी कट्टरवादी की अगुवाई में चल रहे हैं । बताइए ! भारत के यशस्वी कप्तान सूर्य कुमार यादव पहलगाम के उस हत्यारे के हाथों ट्रॉफी कैसे ले लेते ? पहलगाम के खून से रंगे उसके हाथ से हाथ कैसे मिलाते ? इसीलिए तो एक बार भी आतंकिस्तान से आई पाक टीम से हाथ नहीं मिलाया ?

सूर्य कुमार यादव उर्फ सूर्या ने सच्चे राष्ट्रवादी होने का परिचय दिया है । उन लोगों का यहां हम नाम भी नहीं लेना चाहते जो भगवान कृष्ण के वंशज तो हैं पर राष्ट्रवाद का नाम लेते ही उबल पड़ते हैं , इतिहास या सनातन की बात करने पर जिन्हें मिर्ची लग जाती है । क्रिकेट हो , हाकी हो , कबड्डी हो या ओलंपिक खेल । भारत जब भी विजयी होता है , 145 करोड़ देश वासियों के 290 करोड़ हाथ हिन्दुस्तान का जयकारा लगाते हुए आसमान की ओर उठ जाते हैं ।

हां , कुछ हैं सिरफिरे जो पाकिस्तान की हार पर आंसू बहाते हैं । भारत की जीत पर इस बार भी कुछ बड़े लोग इसलिए चुप रहे कि कहीं उनका वोट बैंक नाराज न हो जाए ? बहुत से इसलिए चिढ़ गए चूंकि प्रधानमंत्री ने ट्वीटकर इस जीत को मैदान पर हुए सिंदूर से जोड़ दिया ? हालांकि देश ने दिखा दिया कि राष्ट्रीय अवसरों पर देश में न कोई जाति है और न कोई धर्म है । बस एक राष्ट्र है भारत , एकध्वज है तिरंगा । यही तो परम राष्ट्रवाद है । जिनमें नहीं हैं तो घर बैठो , राष्ट्रवादियों से चिढ़ते क्यों हो ? सूर्या ! तुम्हें फिर से साधुवाद , तुमने देश को एक जुट दिखाई देने का एक और अवसर दिया ।

….कौशल सिखौला

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