युद्धोन्मादी दौर में गांधी के विचार आज भी प्रासंगिक

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बाल मुकुंद ओझा

 गांधी जयंती, 2 अक्टूबर को देशभर में प्रार्थना सभाओं, विभिन्न कार्यक्रमों के साथ राजधानी दिल्ली में गांधी प्रतिमा के सामने श्रद्धांजलि अर्पित कर मनाई जाती है। महात्मा गांधी की समाधि पर राष्ट्रपति, प्रधान मंत्री सहित बड़े बड़े नेता प्रार्थना सभा में शामिल होकर अपनी श्रद्धांजलि देते है। गांधी की याद में रघुपति राघव राजा राम गाकर औपचारिकता का निर्वहन करते हैं। आज भी देश और दुनिया में वंचित, शोषित और पीड़ित समुदाय अपने अधिकारों के संघर्ष के लिए महात्मा गांधी के बताये आंदोलन की राह पर चलकर अपना हक हासिल करते हैं। यह गाँधी के विचारों की सबसे बड़ी जीत है। दो अक्टूबर, अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस  के रूप में भी मनाया जाता है। आज देश और दुनिया में युद्ध, नक्सलवाद, आतंकवाद, हिंसा और प्रतिहिंसा के बादल मंडरा रहे हैं, ऐसे युद्धोन्मादी दौर में गांधी के आदर्श और सिद्धांत सबके लिए और भी ज्यादा प्रासंगिक हो गए हैं।

आजादी के 78 वर्षों के बाद नई पीढ़ी के मन में यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि देश को शांति और अहिंसा के मार्ग पर ले जाने वाले गाँधी के विचारों की हत्या किसने की। झूठी सौगंध खाने वाले लोग कौन है और उनके मनसूबे क्या है। गोडसे के नाम की ताली हम कब तक पीटते रहेंगे। आखिर देश गाँधी के बताये मार्ग से क्यों भटका। आज सम्पूर्ण विश्व भारतवासियों से पूछ रहा है कि संसार को अहिंसा का पाठ पढा़ने वाले बापू के देश में बात बात पर मार काट क्यों मच रही है। हमें इस पर गहराई से चिंतन और मनन करने की जरूरत है। गांधी जयंती के मौके पर हम देश के लिए अपनी जान गंवाने वाले शहीदों को याद करते हैं। साथ ही हम उन महान पुरुषों को भी याद करते हैं जिन्होंने देश को आजाद कराने के लिए अपना बलिदान दिया।

सच तो यह है कि गांधी जयंती के अवसर पर अहिंसा दिवस पर हम कश्मे खाते है उनके पदचिन्हों पर चलने की मगर हमारा आचरण इसके सर्वथा विपरीत होता है। आज सम्पूर्ण देश में गांधी जयंती पर अहिंसा दिवस भी मनाया जाता है। अब यह भी कागजी हो गया है। देश में कुछ असामाजिक संगठन, विभिन्न नामों से देश की शांति भंग करने पर उतारू है। ये लोग आतंकवादियों की शह पर हमारी एकता छिन्न भिन्न कर सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ रहे है। कश्मीर की स्थिति किसी से छिपी नहीं है। पाकिस्तान छद्म युद्ध पर उतारू है। कुछ सियासी तत्व नेपाल, बांग्ला देश का हवाला देकर लोकतान्त्रिक देश में आग भड़काने का प्रयास भी कर रहे है। ऐसे में अहिंसा की बाते बेमानी हो गयी है।

 महात्मा गांधी त्याग और बलिदान की मूर्ति थे। सादा जीवन और उच्च विचार उनका आदर्श था और वे भारतीय जनमानस में सदैव प्रेरणा के स्त्रोत रहेंगें। अहिंसा और सादगी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के व्यक्तित्व के प्रमुख अलंकार थे। उनके ये दोनों गुण आज भी आमजन को एक गौरवशाली जीवन की प्रेरणा देते हैं।

एक गांधी जी थे जिन्होंने सत्य ओर अहिंसा का पाठ पढ़ाया, आत्मविश्वास ओर आत्मनिर्भरता से जीना सिखाया। आज के दिन हमें उनके बतायें मार्ग पर चलने का संकल्प लेना चाहिए। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने सादगी, सच्चाई और अहिंसा के मार्ग पर चलकर देश की आजादी के आंदोलन में अपनी ऐतिहासिक और निर्णायक भूमिका निभाई। उन्होंने देश को स्वावलम्बन के रास्ते पर चलने की प्रेरणा दी और ग्राम स्वराज के साथ-साथ सुशासन और सुराज का भी मार्ग दिखाया।

बाल मुकुन्द ओझा

वरिष्ठ लेखक एवं पत्रकार

डी 32, मॉडल टाउन, मालवीय नगर, जयपुर

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