भारतवर्ष प्राचीनतम सनातन हिन्दू राष्ट्र

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पश्चिम ने जब चलना भी नहीं सीखा था तब आर्यभट्ट , वराहमिहिर , गौतम और कणाद परमाणु के बीज मंत्र रच रहे थे , ब्रह्मांड के रहस्य खोल रहे थे , संसार को शून्य का ज्ञान देकर गणित सिखा रहे थे ? भारतवर्ष अनादि आर्यभूमि है , ज्ञान भूमि है , जगत की प्राचीनतम संस्कृति है । पश्चिम ने जब आँखें भी नहीं खोली थी , हमारे ऋषि तब से वेद , उपनिषद और पुराणों की रचना कर रहे हैं ।

भारतवर्ष भरत भूमि है , प्राचीनतम सनातन हिन्दू राष्ट्र है । आक्रांताओं ने एक हजार वर्षों तक हमें लूटा , काटा , जनेऊ तोड़े , तलवार की नोक पर धर्मांतरण कराया । अंग्रेजों और पुर्तगालियों ने भारत को लूट लूटकर खाली कर दिया लेकिन न सनातन सभ्यता नष्ट हुई और न सनातन संस्कृति । सनातन भारत कल भी था , आज भी है और कल भी रहेगा । कुछ तो बात है जो मिटती नहीं हस्ती हमारी ।

लेकिन आज जो लोग संविधान की लाल किताब जेब में उठाए घूमते हैं , उनसे कुछ पूछना चाहते हैं । यह कैसा संविधान है जो ईसाई धर्मावलंबियों को ईसाई धर्म के धार्मिक संस्थान चलाने की इजाजत देता है ? यह कैसा संविधान है जो इस्लाम धर्म मानने वालों को इस्लामिक शिक्षा देने के लिए मदरसे चलाने की इजाज़त देता है । लेकिन इस देश के मूल सनातन हिन्दू धर्म को धार्मिक ज्ञान पढ़ाने की इजाजत नहीं देता ?

सनातन सिद्धांतों के मूल पाठ पाठ्यक्रमों में शामिल न करने के पीछे अंग्रेजों की मंशा तो समझ आती है ।
आजादी मिलने के बाद अपार सनातन ज्ञान देश के नौनिहालों को क्यों नहीं पढ़ता गया ? कौन रोक रहा था देश के पहले और दूसरे प्रधानमंत्री , शिक्षा मंडी को ? जब मदरसा बोर्ड बना , क्रिश्चियन कॉन्वेंट बोर्ड बना तब सनातन शिक्षा बोर्ड क्यों नहीं बना ?

संस्कृत शिक्षण संस्थान थोड़ी बहुत कर्मकाण्ड की शिक्षा तो देते हैं । लेकिन वेद पुराण सहित विशुद्ध धार्मिक ज्ञान देने का प्रबन्ध आजादी के बाद प्राइमरी विद्यालयों में क्यों नहीं किया गया ? जब अल्पसंख्यकों को धार्मिक शिक्षा देने की इजाजत दी गई तो देश के मूल धर्मावलंबी समाज के लिए सनातन शिक्षा का प्रबन्ध 1947 के बाद क्यों नहीं हुआ ? दुनिया के अनेक विश्विद्यालयों में हमारे प्राचीन ग्रंथों पर शोध हो रहे हैं । और हम अभागे सेक्युलर चश्में चढ़ाकर अनूठा ज्ञान बांटते हुए भी डर रहे हैं ?

मतलब भारत सदा सदा से ज्ञानवान रहा , बुद्धि का भंडार रहा , बुद्धिवाद का जन्मदाता रहा । भारत को संस्कृत पठन पाठन की भारी जरूरत है । सनातन धर्मग्रंथ कितने महान हैं जरा नासा से पूछिए , जर्मनी से पूछिए । जो बच्चे मदरसों और चर्चों में पढ़ते हैं उन्हें भी सनातन ग्रंथों के ज्ञान से अवगत कराइए । कॉन्वेंट और पब्लिक स्कूलों के बच्चों को भी । यकीन मानिए , मस्तिष्क और मन मंदिर के कपाट खुल जाएंगे । सनातन ज्ञान की जरूरत केवल हिंदुओं को ही नहीं , भारत में रहने वाले सभी धर्मावलंबियों को है । आधुनिक ज्ञान के साथ प्राचीन ज्ञान विज्ञान का पाठन बच्चों को कराइए , निश्चय ही भारत विकसित राष्ट्र बन जाएगा ।

…….कौशल सिखौला

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