बोतलबंद पानी कितना खरा  कितना खोटा

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बाल मुकुन्द ओझा

आजकल बोतल का पानी पीने का रिवाज व्यापक रूप से प्रचलन में है। घर हो या बाहर हर जगह बोतल का पानी सर्व सुलभ है। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर में हर मिनट बोतल बंद पानी की 10 लाख बोतलें खरीदी जाती हैं। इस पर अनेकों शोध होकर बोतल बंद पानी को स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बताया गया है। प्लास्टिक की पानी की बोतलों के उपयोग पर लगातार चेतावनियों के बावजूद यह कम होने का नाम नहीं ले रही है। Royal Society of Chemistry की एक ताज़ा रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि लोग रोज़ पानी, जूस और सॉफ्ट ड्रिंक जैसे चीजें प्लास्टिक बोतलों में पीते हैं। इन बोतलों में किसी भी ड्रिंक को पीना शरीर को नुकसान कर रहा है। लंबे समय तक नैनोप्लास्टिक के संपर्क में रहने पर पेट की सेल्स और आंतों की बाहरी दीवार कमजोर हो रही है, ये कण शरीर के रेड ब्लड सेल्स पर भी अटैक कर रहे हैं। लंबे समय तक संपर्क में रहने से शरीर में सूजन भी हो रही है। इससे पूर्व नैनो विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान मोहाली की टीम ने अपने शोध में पाया है कि एक बार इस्तेमाल होने वाली प्लास्टिक की बोतलों से बनें अति-सूक्ष्म प्लास्टिक कण व्यक्ति के शरीर के लिए फायदेमंद सूक्ष्म जीवों और कोशिकाओं को गंभीर हानि पहुंचा सकते है।

भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण ने पैक्ड मिनरल वाटर को हाई रिस्क फूड की कैटेगरी में शामिल कर दिया है। आजकल यात्रा सहित अन्य मौकों पर प्लास्टिक बोतल का उपयोग आम बात हो गई है। दिसंबर 2024 में भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने प्लास्टिक वाटर बोतल और मिनरल वॉटर बोतल को ‘हाई-रिस्क फूड’ की कैटेगरी में शामिल कर दिया है। इसका मतलब यह है कि अब इन इन प्रोडक्ट्स के निर्माण और बिक्री पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी।

हाई-रिस्क फूड श्रेणी में वे खाद्य पदार्थ आते हैं जो आसानी से प्रदूषित हो सकते हैं और स्वास्थ्य के लिए खतरे का कारण बन सकते हैं। इसमें डेयरी उत्पाद, मांस, सीफूड, शिशु आहार, रेडी-टू-ईट फूड्स और अब पैक्ड पानी भी शामिल हैं। एक हालिया अध्ययन में यह खुलासा हुआ है कि पैक्ड पानी में अत्यधिक मात्रा में नैनो-प्लास्टिक पार्टिकल्स पाए जाते हैं। 2024 में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार एक लीटर बॉटल्ड पानी में औसतन 2,40,000 प्लास्टिक कण होते हैं, जिनमें से 90 प्रतिशत नैनो-प्लास्टिक होते हैं। यह नैनो-प्लास्टिक इतने छोटे होते हैं कि उन्हें माइक्रोस्कोप से भी नहीं देखा जा सकता। ऐसे में जब आप इस पानी को पीते हैं तो शरीर में प्लास्टिक पहुंचता है और खून में मिलकर गंभीर परिणाम को पैदा कर सकते हैं।

विशेषज्ञों ने को चेतावनी दी है कि प्लास्टिक की बोतलों में पानी पीने से बचें और यदि संभव हो तो ग्लास या स्टेनलेस स्टील की बोतलों का इस्तेमाल करें। लेकिन यदि प्लास्टिक की बोतल का ही चुनाव करना पड़े, तो सुनिश्चित करें कि वह बीपीए-मुक्त हो. इसके अलावा, प्लास्टिक की बोतल को उच्च तापमान से दूर रखें, क्योंकि गर्मी के संपर्क में आने पर बीपीए नामक रसायन पानी में घुल सकता है, जो स्वास्थ्य के लिए खतरे का कारण बन सकता है।

अमेरिका में हुए नए अध्ययन में सामने आया है कि दुकानों में बिकने वाले बोतलबंद पानी में लाखों छोटे-छोटे प्लास्टिक के कण होते हैं, जो शरीर की कोशिकाओं को प्रभावित कर सकते हैं। शोध में स्पष्ट रूप से  इस पानी को जहरीला बताया। रिपोर्ट में बताया गया है पानी की बोतल में मिलियन की संख्या में छोटे प्लास्टिक के टुकड़े होते हैं जो शरीर के विभिन्न अंगों को हानि पहुंचा सकते हैं। वैज्ञानिकों ने पहली बार दोहरे लेजर का उपयोग करके माइक्रोस्कोप द्वारा पता लगाया है कि बोतलबंद पानी के औसत लीटर में दो मिलियन से अधिक छोटे नैनोप्लास्टिक के अदृश्य टुकड़े होते हैं। कोलंबिया एंड रटगर्स यूनिवर्सिटीज के शोधकर्ताओं पता लगाया है कि तीन कॉमन बोतलबंद वाटर ब्रांड के प्रत्येक के पांच नमूनों को देखते हुए पाया एक लीटर पानी में 110,000 से 400,000 प्लास्टिक के टुकड़े थे, जो औसतन लगभग 240,000 हैं। ऐसे कण हैं जिनका आकार एक माइक्रोन से भी कम है। एक इंच में 25,400 माइक्रोन होते हैं – जिन्हें माइक्रोमीटर भी कहा जाता है क्योंकि यह एक मीटर का दस लाखवां हिस्सा होता है। एक इंसान का बाल लगभग 83 माइक्रोन चौड़ा होता है। अध्ययनों में थोड़े बड़े माइक्रोप्लास्टिक्स पाए गए थे जिनकी रेंज 5 मिलीमीटर से लेकर एक चौथाई इंच से भी कम, एक माइक्रोन तक है। अध्ययन में पाया गया कि बोतलबंद पानी में माइक्रोप्लास्टिक की तुलना में लगभग 10 से 100 गुना अधिक नैनोप्लास्टिक पाए गए।

बाल मुकुन्द ओझा

वरिष्ठ लेखक एवं पत्रकार

डी 32, मॉडल टाउन, मालवीय नगर, जयपुर

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