उपराष्ट्रपति गुजरात में सरदार @150 यूनिटी मार्च – पदयात्रा के समापन समारोह में शामिल हुए

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भारत के उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन आज गुजरात के एकता नगर स्थित स्टैच्यू ऑफ यूनिटी में सरदार @150 यूनिटी मार्च-राष्ट्रीय पदयात्रा के समापन समारोह में शामिल हुए।

सभा को संबोधित करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि इस ऐतिहासिक राष्ट्रीय पदयात्रा के समापन में भाग लेना उनके लिए अत्यंत सम्मान की बात है। उन्होंने कहा कि पदभार ग्रहण करने के बाद महात्मा गांधी और सरदार वल्लभभाई पटेल की पावन धरती की यह उनकी पहली आधिकारिक यात्रा है।

उन्होंने 26 नवंबर – संविधान दिवस – से शुरू होने वाली पदयात्रा के महत्व पर प्रकाश डाला और कहा कि 1,300 से अधिक पदयात्राओं में 14 लाख से अधिक युवाओं की भागीदारी सरदार वल्लभभाई पटेल द्वारा जलाई गई एकता की अमिट ज्योति को दर्शाती है।

अपनी पदयात्रा जिसमें 19,000 किलोमीटर की रथ यात्रा और तमिलनाडु, केरल और आंध्र प्रदेश में नदियों को जोड़ने, आतंकवाद के उन्मूलन, समान नागरिक संहिता को लागू करने, अस्पृश्यता को समाप्त करने और मादक पदार्थों की रोकथाम जैसे मुद्दों पर की गई कई पदयात्राएं शामिल हैं – के अनुभवों को याद करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि ऐसी यात्राएं लोगों से जुड़ने और एकता एवं राष्ट्रीय उद्देश्य का संदेश फैलाने का सशक्त माध्यम हैं।

उन्होंने 560 से अधिक रियासतों के एकीकरण में सरदार पटेल की ऐतिहासिक भूमिका को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा:

“हमारा राष्ट्र अखंड भारत की मजबूत नींव रखने और उसके एकीकरण के लिए लौह पुरुष का सदैव ऋणी रहेगा।”

उपराष्ट्रपति ने इस बात पर ज़ोर दिया कि सरदार पटेल की एक मजबूत और आत्मनिर्भर भारत की परिकल्‍पना प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में साकार हो रही है।

उन्होंने पिछले दशक में आर्थिक, सामाजिक, सैन्य और रणनीतिक रूप से भारत की तीव्र प्रगति के साथ-साथ विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में इसकी निरंतर यात्रा का उल्लेख किया।

युवाओं को संबोधित करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि वे भारत के भविष्य की शक्ति हैं और एकता, अनुशासन और राष्ट्रीय उद्देश्य से निर्देशित होकर, वे राष्ट्र को नवाचार और विकास में एक वैश्विक नेता बना सकते हैं।

युवाओं से ‘नशे को ना’ कहने का आह्वान करते हुए, उन्होंने उन्हें सोशल मीडिया का जिम्मेदारी से उपयोग करने और डिजिटल साक्षरता और साइबर सुरक्षा में योगदान देने की सलाह दी।

इस कार्यक्रम में महिलाओं की सशक्त उपस्थिति को स्वीकार करते हुए, उपराष्ट्रपति ने नारी शक्ति वंदन अधिनियम के परिवर्तनकारी प्रभाव का उल्‍लेख किया जिसने राष्ट्र का ध्यान महिला सशक्तिकरण से हटकर महिला-नेतृत्व वाले विकास पर केंद्रित कर दिया है।

राष्ट्रीय सुरक्षा पर बोलते हुए, उन्होंने कहा कि भारत की रक्षा क्षमताएँ कई गुना बढ़ी हैं। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर को एक निर्णायक क्षण बताया जिसने अपनी संप्रभुता की रक्षा और सीमा पार आतंकवाद का मुकाबला करने के राष्ट्र के संकल्प को प्रदर्शित किया।

उन्होंने चार नई श्रम संहिताओं का एक बड़े सुधार के रूप में उल्‍लेख किया, जो सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास के आदर्शों को दर्शाते हैं और भारत के श्रम ढांचे को एक आधुनिक, पारदर्शी और श्रमिक-केंद्रित प्रणाली में बदल रहे हैं।

अपने संबोधन का समापन करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि जैसे-जैसे राष्ट्र इस राष्ट्रव्यापी पदयात्रा का समापन विश्‍व की सबसे ऊँची प्रतिमा पर कर रहा है, यह न केवल सरदार पटेल की विरासत को बल्कि नए भारत की भावना को भी श्रद्धांजलि देता है। उन्होंने आगे कहा कि इस अमृत काल में, जब राष्ट्र विकसित भारत @2047 की ओर दृढ़ता से आगे बढ़ रहा है, सरदार पटेल के आदर्श इसके मार्गदर्शक के रूप में काम करते रहेंगे।

इससे पहले, पदभार ग्रहण करने के बाद राज्य की अपनी पहली यात्रा पर, उपराष्ट्रपति को एकता नगर में गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। उन्होंने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पर सरदार वल्लभभाई पटेल को पुष्पांजलि भी अर्पित की।

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