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“जलते पुतले, बढ़ते रावण: दशहरे का बदलता अर्थ”

“पुतलों का दहन नहीं, मन और समाज के भीतर छिपी बुराइयों का संहार ही दशहरे का असली संदेश है।” दशहरे पर रावण के पुतले जलाना...

धरती की सज़ा: हमने किया क्या?

सितम्बर का महीना है, लेकिन धूप ऐसी तपा रही है जैसे जून की झुलसाती गर्मी हो। लोग पसीने से बेहाल, बिजली कट रही है...

त्यौहारों की मिठास और मिलावट का सच: खुशियां या खतरा?

भारत देश में त्यौहारों का मौसम हमेशा रौनक और रंगीनियों से भरा होता है। दशहरा से लेकर दीपावली तक, हर घर में खुशियों की...

ढाक के तीन पात : भाषा, संस्कृति और प्रतीक का रहस्य

डॉ मेनका त्रिपाठी भाषा विज्ञान की दुनिया अनेक रहस्यो की परत खोलती है,ढाक के तीन पात का मुहावरा हम सबने सुना है, लेकिन बहुत कम...

संघ, गांधी और लद्दाख के सोनम वांगचुक

अरुण कुमार त्रिपाठीऐसा कम होता है लेकिन इस साल हो रहा है। इस साल ‘पूर्णमासी के दिन सूर्यग्रहण’ लग रहा है। महात्मा गांधी की...

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