Ashok Madhup

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Exclusive articles:

“लोकतंत्र की रीढ़ या बाज़ार का शोर? प्रेस की स्वतंत्रता की परीक्षा”

राष्ट्रीय प्रेस स्वतंत्रता दिवस (16 नवंबर) प्रेस की स्वतंत्रता लोकतंत्र की सबसे महत्वपूर्ण शर्त है। जब पत्रकार निर्भय होते हैं, तब नागरिक सुरक्षित होते हैं। लेकिन आज...

लोकतंत्र में मतदाता सूची की शुचिता का प्रश्न और एसआईआर की अनिवार्यता

भारत में चुनाव केवल राजनीतिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि लोकतंत्र का सबसे जीवंत उत्सव है। मतदान जनता को अपनी आवाज़ सुनाने और नीतिगत दिशा तय...

राजस्थान में तीसरे मोर्चे के झंडाबरदार

बाल मुकुन्द ओझा राजस्थान विधानसभा के अंता उप चुनाव ने तीसरे मोर्चे की नींव खड़ी करदी है। राज्य की राजनीति एक बार फिर नए समीकरणों...

राष्ट्रीय प्रेस दिवस : कलम आज उनकी जय बोल

                                               बाल मुकुन्द ओझा                              राष्ट्रीय प्रेस दिवस यानि भारतीय पत्रकारिता दिवस 16 नवम्बर को मनाया जाता है। पत्रकारिता दिवस पर आज राष्ट्र कवि रामधारी...

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साफ़ छुपते भी नहीं, सामने आते भी नहीं

व्यंग्य आलोक पुराणिकचांदनी चौक जाना जैसे कई पीढ़ियों के इतिहास...

शेख हसीना को मृत्युदंड: दक्षिण एशियाई कूटनीति में भारत की नई चुनौती

बांग्लादेश के न्यायिक संकट और भारत का कूटनीतिक संतुलन  शेख...

भारत सरकार के श्रम सुधारों के नए युग में पत्रकार क्यों छूट गए पीछे ?

भारत सरकार द्वारा श्रम कानूनों में किए गए व्यापक...

बिहार के बाद बंगाल में भी भाजपा ने फूंका चुनावी बिगुल

बाल मुकुन्द ओझा बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की बंफर...
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