Ashok Madhup

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Exclusive articles:

“बुराई पर विजय: क्या रावण सच में मर गए?

क्या दशहरे का संदेश खो गया है? दशहरा बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है, लेकिन आज रावण दहन केवल मनोरंजन बन गया है।...

ये है राष्ट्रवाद

−कौशल सिखौला वरिष्ठ पत्रकार जो लोग राष्ट्रवाद का नाम सुनते ही झुलस जाते हैं , एक बार फिर देख लिया न राष्ट्रवाद ? दिक्कत यह...

सदाचार-सत्य की विजय का महापर्व है दशहरा

बाल मुकुन्द ओझा सत्य पर असत्य की जीत का सबसे बड़ा त्योहार दशहरा देशभर में 2 अक्टूबर को मनाया जाएगा।  हिंदू पंचांग के अनुसार, 1...

“जलते पुतले, बढ़ते रावण: दशहरे का बदलता अर्थ”

“पुतलों का दहन नहीं, मन और समाज के भीतर छिपी बुराइयों का संहार ही दशहरे का असली संदेश है।” दशहरे पर रावण के पुतले जलाना...

धरती की सज़ा: हमने किया क्या?

सितम्बर का महीना है, लेकिन धूप ऐसी तपा रही है जैसे जून की झुलसाती गर्मी हो। लोग पसीने से बेहाल, बिजली कट रही है...

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मुंशी प्रेमचंद की कलम ने अन्याय और नाइंसाफी के खिलाफ बुलंद की आवाज

( बाल मुकुन्द ओझा आज उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की पुण्य...

बढ़ती छात्र आत्महत्याएँ: कानून हैं, लेकिन संवेदना कहाँ है?

भारत में बढ़ती छात्र आत्महत्याएँ एक गहरी सामाजिक और...

महर्षि वाल्मीकि: शिक्षा, साधना और समाज का सच

(गुरु का कार्य शिक्षा देना है, किंतु उस शिक्षा...

हार्ट अटैक

भारत में 3000 साल पहले एक बहुत...
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