हमारे हिंदू धर्म के त्योहार जीवन शैली और विज्ञान से कैसे जुड़े हुए हैं। ये जो छोटे-छोटे पौधे आप देख रहे हैं इन्हें नवरात्रि के शुरू में किसान का साल भर से रखा हुआ अनाज का बीज टैस्ट करने के लिए उगाया जाता था कि अब रवि की फसल बुआई की जानी है किंतु एक साल से जो बीज रखा है उसकी जांच तो कर ली जाए कि उसमें अंकुरण की क्षमता है या सीलन इत्यादि से खराब तो नहीं हो गया है।
दशहरे के बाद अब किसान अनुकूल मौसम आने के कारण रवि की फसल की बुवाई करने में जुट गया है। चार माह बरसात का चौमासा गुजर जाने के बाद घरों में सीलन बरसात के कीट पतंगे और तरह-तरह के बैक्टीरिया उत्पन्न हो गए हैं। “बरखा विगत शरद ऋतु आई लक्ष्मण देखो बहुत सुहाई”। अब घर की गहन सफाई और लिपाई पुताई कर ली जाए ताकि वर्षभर साफ सुथरा रहे और सभी लोग स्वस्थ रहें।
दशहरे से दीपावली के बीच उत्तर भारत में रवि की फसल की बुवाई समाप्त हो जाती थी। तब खुशी में दीपक जलाओ। कीट पतंग को समाप्त करो और उत्सव बनाओ।
इस बीच कुछ लोगों की फसल बोने में कुछ और समय लग जाता है तो तापमान की दृष्टि से गंगा स्नान से पहले गेहूं, चना, जो, मटर इत्यादि की बुवाई समाप्त कर ली जाती है। अब किसान बिल्कुल फ्री है।
अब आता है गंगा स्नान। सारे परिवार के साथ मस्त छुट्टियां बिताने का समय। पिकनिक मनाने का समय। वहीं गंगा के किनारे अपने ट्रैक्टर या भैंसा बुग्गी के पास छोटा सा आशियाना बनाकर मस्त विश्राम और छुट्टियां।
इसी प्रकार आप देखते हैं कि होली में सर्दियों में पानी से बचने की प्रवृत्ति को छोड़कर अब गर्मियां शुरू हो गई हैं इसलिए खूब भींगना है और नई तैयार हो गई फसल की बालियां को होली की आंच में सेक कर उनका स्वाद लेना है।
कितनी वैज्ञानिक और जीवन शैली से जुड़ी हुई है हमारी परंपराएं और हमारे त्योहार।
रविंद्र कांत त्यागी
All reactions:
22
Like
Comment
Share