-नीरज कुमार दुबे
प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा वर्ष 2024–25 के लिए मंत्रिपरिषद के सदस्यों की संपत्ति का विवरण जारी किया गया है। पहली नज़र में यह सूची केवल आभूषण, ज़मीन, गाड़ियाँ और निवेशों का ब्योरा लगती है, लेकिन गहराई से देखने पर यह भारतीय राजनीति की मानसिकता, सामाजिक प्रतीकवाद और सत्ता की शैली का आईना बन जाती है। सबसे पहले ध्यान आकर्षित करता है जयंत चौधरी का क्रिप्टो निवेश। वह अकेले मंत्री हैं जिन्होंने डिजिटल संपत्ति घोषित की है। उन्होंने करीब 43 लाख रुपये के बिटकॉइन जैसे निवेश किये हैं। यह उस समय में खास महत्व रखता है जब भारत में क्रिप्टो अब भी कानूनी अनिश्चितता में है और RBI लगातार इससे जुड़े जोखिमों की चेतावनी देता रहा है। यह खुलासा दिखाता है कि नए दौर का नेतृत्व जोखिम लेने और नए वित्तीय प्रयोग करने से पीछे नहीं हट रहा।
इसके विपरीत, कई मंत्रियों ने पुराने वाहन अपनी संपत्ति में शामिल किए हैं। नितिन गडकरी की 31 साल पुरानी एम्बेसडर कार, विरेंद्र कुमार का 37 साल पुराना स्कूटर और रवनीत बिट्टू की 1997 मॉडल की मारुति, ये सब केवल धातु के ढाँचे नहीं, बल्कि एक राजनीतिक संदेश हैं। जनता को यह बताना कि नेता अब भी ‘साधारण’ हैं, विलासिता से दूर हैं और परंपरा को सँजोए हुए हैं। लेकिन इस सादगी के बीच एक और पैटर्न साफ़ झलकता है— हथियारों की मौजूदगी। रिवॉल्वर, पिस्तौल और राइफल घोषित करने वाले मंत्री कम नहीं हैं। यह उस सामाजिक और राजनीतिक संस्कृति को दर्शाता है जहाँ ताक़त का प्रदर्शन और व्यक्तिगत सुरक्षा सत्ता के साथ कदमताल करती है।
सबसे बड़ा हिस्सा, अपेक्षा के अनुसार सोने और आभूषणों का है। राव इंदरजीत सिंह के पास 1.2 करोड़ रुपये से अधिक का सोना और हीरे हैं। नितिन गडकरी व एल. मुरुगन के पास भी लाखों के आभूषण हैं। देखा जाये तो भारतीय समाज में आभूषण सदियों से आर्थिक सुरक्षा और सामाजिक प्रतिष्ठा दोनों का प्रतीक रहे हैं, मंत्रियों की संपत्ति भी इस परंपरा को दोहराती है।
मोदी सरकार में महिला मंत्रियों की बात करें तो वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पास 27 लाख से अधिक के आभूषण, म्यूचुअल फंड में 19 लाख से ज्यादा और एक दोपहिया वाहन है। वहीं केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी के पास भी रिवॉल्वर, राइफल, ट्रैक्टर और लगभग ₹एक करोड़ का म्यूचुअल फंड में निवेश हैं। महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री सावित्री ठाकुर के पास डबल बैरल गन और रिवॉल्वर तथा 67 लाख से ज्यादा के सोने के आभूषण हैं।
देखा जाये तो इन संपत्तियों का सार्वजनिक खुलासा लोकतंत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही की कसौटी है। यह जनता को भरोसा दिलाने का प्रयास भी है कि नेता अपनी आर्थिक स्थिति छिपा नहीं रहे। लेकिन इन घोषणाओं का एक दूसरा पहलू भी है कि संपत्ति अब केवल निजी स्वामित्व नहीं, बल्कि राजनीतिक प्रतीक बन गई है।
बहरहाल, मोदी सरकार के मंत्रियों की घोषित संपत्तियाँ केवल रकम और वस्तुओं का हिसाब नहीं, बल्कि भारतीय राजनीति की बदलती शैली का दस्तावेज़ हैं। यह दस्तावेज़ बताता है कि सत्ता में बैठे लोग जनता को साधारण, शक्तिशाली, पारंपरिक और आधुनिक, सभी रूपों में संदेश देना चाहते हैं। सवाल यह है कि क्या ये संदेश वास्तविक जीवन की सच्चाई हैं या केवल राजनीतिक छवि गढ़ने का प्रयास?
-नीरज कुमार दुबे

(इस लेख में लेखक के अपने विचार हैं।)