सर्दी का सितम और कोहरे का कोहराम

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                             बाल मुकुन्द ओझा

सर्दियों का मौसम आते ही उत्तर भारत समेत देश के कई हिस्सों में घना कोहरा लोगों की दिनचर्या को प्रभावित करने लगता है। इस समय उत्तर भारत के अधिकांश हिस्से कोहरे की चादर में लिपटे हुए हैं। यहां इतना घना कोहरा छाया हुआ है कि सामने का रास्ता तक दिखाई नहीं दे रहा है। घने कोहरे के कारण जनजीवन को पूरी तरह से थम गया है। शून्य दृश्यता होने के कारण यातायात प्रभावित हो रहे हैं। दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश समेत कई हिस्सों में कोहरा इतना गहरा है कि सड़क से लेकर हवाई यातायात प्रभावित हो रहा है। मौसम विभाग ने दिल्ली में रेड अलर्ट तो यूपी, बिहार, पंजाब समेत कई राज्यों के विभिन्न जिलों में ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। लोगों को सलाह दी गई है कि सड़कों पर यात्रा करते हुए वाहनों की गति धीमी रखें और लाइट जलाकर रखें, ताकि कोहरे के कारण होने वाले हादसों से बचा जा सकें।

कोहरा और सर्दी का चोली दामन का साथ है। बोलचाल की भाषा में धरातल पर बादल निर्माण की क्रिया को कोहरा कह सकते है। इस समय देश के कई प्रदेशों में कड़ाके की ठण्ड और सर्दी बढ़ गई है तो वहीं कोहरा भी लोगों को परेशान करने लगा है। सर्दियों के मौसम में कोहरा आम बात है। इसकी वजह से थम जाती है रोजमर्रा की रफ्तार। सर्दी  के मौसम के साथ ही देश में कोहरे की समस्या से भी दो दो हाथ करने पड़ते है।

मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार कोहरा वास्तव में हवा में तैरती पानी या फिर बर्फ की बहुत ही महीन बूंदें हैं। नम ठंडी हवा का संपर्क जब ऊष्णता से होता है तो कोहरा बन जाता है। कोहरा धरती के बिलकुल करीब आ चुके बादल हैं। जब आर्द्र हवा ऊपर उठकर ठंडी होती है तब जलवाष्प संघनित होकर जल की सूक्ष्म बूंदें बनाती है। कभी-कभी अनुकूल परिस्थितियों में हवा के बिना ऊपर उठे ही जलवाष्प जल की नन्हीं बूंदों में बदल जाती है तब हम इसे कोहरा कहते हैं। तकनीकी रूप से बूंदों के रूप में संघनित जलवाष्प के बादल को कोहरा कहा जाता है। सर्दियों में कैसे बनता है कोहरा?  सर्दियों के मौसम में उत्तर भारत के कई राज्य कोहरे की मोटी चादर में ढक जाते हैं । इसकी वजह से न केवल राहगीरों को बल्कि ट्रेन ड्राइवरों और एयरोप्लेंस के पायलटों तक को रास्ता ठीक से नहीं दिखाई देता। घने कोहरे के चलते लोगों को सुबह के वक्त गाड़ियों की लाइट जलानी पड़ती है । कोहरे के कहर ने सडकों पर दौड़ते वाहनों की न सिर्फ रफ्तार थम गयी बल्कि वाहनों में यात्रा करने बाले यात्रियों को दुर्घटनाओं का डर सताने लगा | वैसे तो इस मौसम में कोहरा पड़ना आम बात है लेकिन आखिर सर्दियों में इतना कोहरा आता कहाँ से है? देश के  महानगरों में सर्दियों में ऊषाकाल एवं प्रातःकाल मे नमी वाले दिनों मे ऐसा कोहरा प्रायः छा जाता है। क्योंकि वायुमण्डल में धुआँ धूल एवं अन्य कण जल कणों को स्थिर रखने के लिए उपस्थित रहते है। इससे साइकिल या मोटर साइकिल चालक के कपडे़ नम हो जाते हैं। गांवों के मुकाबले शहरों में कोहरा अध‍िक घना होता है क्योंकि शहरों की हवा में धूल और धुएं के कण अध‍िक होते हैं। ये कोहरे में मौजूद पानी की बूंदों के साथ मिलकर इसे गहरा बना देते हैं।

कोहरा के बारे में बताया जाता है यह अच्छा और बुरा दोनों है। कोहरा अधिक समय तक न रहे और सूर्योदय के बाद जल्द खत्म हो जाए तो फसल तथा पौधों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इससे फसलों में नमी बनी रहती है। पानी में ऊष्माधारण क्षमता अधिक होती है और कोहरे में पानी की बूंदें होती हैं, इसलिए कोहरा होने पर टेम्प्रेचर माइल्ड रहता है, जो फसलों को लाभ पहुंचाता है। जमीन पर रेंगने वाले कई जीव खासकर रेगिस्तानी इलाकों में रहने वाले कोहरे से मिलने वाली पानी की बूंदों पर ही जीवित रहते हैं। तटीय इलाकों में रहने वाले कई लोग खेतों में फॉग नेट लगाते हैं, ताकि कोहरे से पानी की बूंदें टूटकर फसलों पर गिरें। सैनिक कोहरे का फायदा उठाकर दुश्मनों को चकमा देते हैं।

कोहरे से हर साल हजारों फ्लाइट और ट्रैन कैंसिल होती हैं। सैकड़ों ट्रेन समय पर नहीं चल पातीं। दुर्घटनाओं में कई लोगों की जान चली जाती है। व्यापार की रफ्तार धीमी होती है। इन सबसे अरबों रुपए का घाटा होता है। कोहरा छंटने के बाद कई बार शीत-लहर शुरू हो जाती है। अचानक तापमान गिरने से पाला पड़ने की आशंका होती है, जो फसलों को नष्ट कर देता है।

बाल मुकुन्द ओझा

वरिष्ठ लेखक एवं पत्रकार

डी  32, मॉडल टाउन, मालवीय नगर, जयपुर

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