काशी तमिल संगमम् 4.0 के द्वितीय समूह ने काशी विश्वनाथ मंदिर में किया दर्शन पूजन 

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काशी तमिल संगमम् 4.0 के द्वितीय समूह के आगमन पर काशी विश्वनाथ मंदिर के अधिकारियों ने परंपरागत गरिमा के साथ सभी अतिथियों का स्वागत किया। मंदिर प्रशासन द्वारा पुष्प वर्षा और डमरू वादन की ध्वनि के बीच सम्पूर्ण समूह का स्वागत किया गया जिससे  सभी सदस्यों ने काशी की समृद्ध आध्यात्मिक धारा का अनुभव किया। 

स्वागत के उपरांत  सदस्यों ने बाबा विश्वनाथ के दर्शन किए और दर्शन के पश्चात मंदिर प्रशासन द्वारा समूह को काशी विश्वनाथ धाम के भव्य कॉरिडोर का विस्तृत भ्रमण करवाया गया। भ्रमण के दौरान सभी ने धाम के ऐतिहासिक स्वरूप, स्थापत्य कला, नवनिर्मित सुविधाओं और निरंतर बढ़ती श्रद्धा-धारा के बारे में जानकारी प्राप्त की।

भ्रमण पूर्ण होने पर सभी अतिथियों के लिए मंदिर द्वारा संचालित अन्नक्षेत्र में दोपहर के भोजन की व्यवस्था की गई। अन्नक्षेत्र में परोसे गए प्रसाद ने सभी को काशी की सेवा-परंपरा और अतिथि-भावना का गहरा अनुभव कराया।

काशी तमिल संगमम् 4.0 में दक्षिण भारत से आने वाले आगंतुकों का सिलसिला जारी है। बुधवार की देर रात दूसरा दल विशेष ट्रेन से बनारस रेलवे स्टेशन पहुंचा जिसमें बड़ी संख्या में अध्यापक (टीचर्स डेलिगेशन) शामिल थे। स्टेशन पर उतरते ही मेहमानों का पारंपरिक तरीके से डमरू वादन,पुष्प वर्षा और ‘हर-हर महादेव’ तथा ‘वणक्कम काशी’ के उदघोष से भव्य स्वागत किया गया।

स्वागत समारोह में राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’ तथा वाराणसी के मेयर अशोक तिवारी स्वयं उपस्थित रहे। दोनों ने मेहमानों को काशी की सांस्कृतिक आत्मीयता और तमिल-काशी के ऐतिहासिक संबंधों की जानकारी देते हुए उनका अभिनंदन किया।

स्टेशन पर पारंपरिक स्वागत देखकर तमिल दल के सदस्यों में खासा उत्साह देखने को मिला। कई लोगों ने कहा कि काशी में मिल रही गर्मजोशी और आध्यात्मिक वातावरण उनके लिए अविस्मरणीय है। डमरू वादन की ध्वनि से पूरा परिसर शिवमय हो गया और काशी व तमिलनाडु की सांस्कृतिक एकता की झलक साफ दिखाई दी।

कार्यक्रम के तय शेड्यूल के अनुसार, तमिलनाडु से आए यह डेलिगेट्स आज श्री काशी विश्वनाथ धाम में दर्शन–पूजन करेंगे। इसके बाद वे गंगा तट, घाटों, तथा शहर के प्रमुख सांस्कृतिक और शैक्षिक स्थलों का भ्रमण भी करेंगे। आयोजन समिति के सदस्यों ने बताया कि अतिथियों को काशी की समृद्ध विरासत, कला, संस्कृति और अध्यात्म से परिचित कराने के लिए विशेष कार्यक्रम तैयार किए गए हैं।

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