घटिया और नकली दवाओं का जानलेवा खेल : खतरे में है आमजन की सेहत

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बाल मुकुन्द ओझा

देश में बनने वाली अंग्रेजी दवाएं पिछले कुछ सालों से अपनी गुणवत्ता को लेकर सवालों के घेरे में हैं। देश में आये दिन घटिया और नकली दवाओं के जखीरे पकड़े जा रहे है जो साबित करते है आमजन का स्वास्थ्य खतरे में है। राजस्थान और मध्य प्रदेश सहित कुछ राज्यों में कफ सिरफ से बच्चों की मौत के बाद दवा बाजार को लेकर भूचाल उठ खड़ा हुआ था। मीडिया ख़बरों के मुताबिक अकेले राजस्थान में 20 हज़ार करोड़ के दवा बाजार में 500 से 600 करोड़ की दवाइयां अमानक अथवा नकली पाई गई थी। देशभर में आजकल घटिया, नकली और अमानन दवाओं का बाजार धड़ले से पनप रहा है। सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद देश में घटिया और नकली दवाओं पर पूरी तरह लगाम नहीं लगाई जा सकी है, जिसके कारण देश के लाखों लोगों की सेहत सुधरने के बजाय बिगड़ रही है। भारत में नकली, घटिया और अवैध दवाओं का धंधा तेजी से फैल रहा है, जिसकी वजह से रोगियों की जान जोखिम में है। विशेषज्ञों के मुताबिक जो दवाएं धोखाधड़ी से निर्मित या पैक की गई हैं, उन्हें नकली और घटिया दवाएं कहा जाता है क्योंकि उनमें या तो सक्रिय अवयवों की कमी होती है या गलत खुराक होती है।

हाल ही देश में नकली और घटिया दवाओं के बढ़ते मामलों पर रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने औषधि नियमों में नया प्रावधान जोड़ते हुए “एक फर्जी दस्तावेज एक प्रतिबन्ध नीति” लागू की है। इसके तहत अब नकली और घटिया दवाओं का निर्माण करने वाली कंपनियों का केंद्र सरकार सीधा लाइसेंस निरस्त या रद्द करेगी। सरकार ने औषधि नियम, 1945 में संशोधन किया है, जिसके तहत अगर कोई भी फॉर्मा कंपनी दवा निर्माण, बिक्री या पंजीकरण के लिए फर्जी दस्तावेजों या गलत जानकारी देती है, तो उसका लाइसेंस रद्द किया जाएगा।  संसोधन के पीछे मुख्य उद्देश्य दवा उद्योग में फर्जी दस्तावेज और गलत जानकारी देने की प्रवृत्ति पर रोक लगाना है। सरकार का कहना है , पिछले कुछ सालों में कई ऐसी घटनाएं सामने आईं जिसमें कंपनियों ने दवा निर्माण या रजिस्ट्रेशन की झूठी जानकारी दी।  इससे न सिर्फ दवाओं की गुणवत्ता पर असर पड़ा बल्कि लोगों की सेहत पर भी खतरा हुआ। 

एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक शीघ्र ही भारतीय दवा बाजार 60.9 अरब डालर के स्तर को पार कर जाएगा। ऐसे में अपने मुनाफे के लिए लोगों की सेहत से खिलवाड़ करने वालों पर समय रहते सख्त कार्रवाई करनी होगी। आज के इस समय में नकली दवाइयां भी खूब मिलने लग गई हैं। ज्यादा पैसे कमाने के लालच में बाजार में नकली दवाइयों की बिक्री बढ़ गई है। बाजारों-अस्पतालों में घटिया और नकली दवाएं धड़ल्ले से बिक रही हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार नकली और घटिया दवाएं बनाने की सबसे अधिक कंपनियां हिमाचल प्रदेश में है। इनमें से बहुत सी ऐसी कंपनियां सरकारी अस्पतालों में दवा की सप्लाई का ठेका लेती हैं। नकली दवाओं का सेवन करने से आपके शरीर में कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। ऐसे में अगर आप मेडिकल स्टोर या ऑनलाइन वेबसाइट से दवाओं को खरीदते हैं तो इस स्थिति में आपको सावधान हो जाने की जरूरत है। घटिया और नकली दवाओं को बनाना-बेचना भ्रष्टाचार ही नहीं हमारी  सेहत के लिए एक बड़ा खतरा भी है। ऐसे में नियामकीय व्यवस्था को मजबूत बनाकर ही नकली और मिलावटी दवाओं से निजात मिलेगी।

गंभीर बीमारियों की छोड़िये, छोटी मोटी मौसमी बीमारियां जैसे सर्दी, जुखाम, खांसी, बुखार, एसीडीटी, रक्तचाप और गैस आदि भी यदि अंग्रेजी दवाओं से ठीक नहीं हो रही है तो आप सावधान हो जाइये क्योंकि इन दवाओं के नकली और घटिया होने का खतरा मंडरा रहा है। अनेक मीडिया रिपोर्ट्स में यह खुलासा किया गया है कि देशभर में नकली और घटियां दवाओं का धड़ल्ले से निर्माण हो रहा है जिसका पुख्ता प्रमाण सरकारी एजेंसियों की छापामारी से मिल रहा है। जाँच में ये दवाइयां नकली निकल रही है जो जनता के स्वास्थ्य से सरेआम खिलवाड़ है। आम आदमी जीवन रक्षक दवाओं में मिलावट की ख़बरों से खासा परेशान है। हमारे बीच यह धारणा पुख्ता बनती जा रही है कि बाजार में मिलने वाली अंग्रेजी दवाओं में कुछ न कुछ मिलावट जरूर है। लोगों की यह चिंता बेबुनियाद नहीं है। ये दवाएं नामी ब्रांडेड कंपनियों की पैकेजिंग में बेची जा रही हैं। देशभर में हर दूसरे या तीसरे दिन खबरें छपती रहती है कि इतने करोड़ की नकली दवाई पकड़ी गयी। इतनी दवाओं को नष्ट किया गया या सील किया गया। इसके बावजूद नकली दवाओं का धंधा बजाय कम होने के बढ़ता ही जा रहा है। नक़ली दवाएं या मिलावटी दवाएं वे होती हैं, जिनमें गोलियां, कैप्सूल या टीकों आदि में असली दवा नहीं होती, दवा की जगह चॉक पाउडर, पानी या महंगी दवा की जगह सस्ती दवा का पाउडर मिला दिया जाता है, इसके अलावा एक्सपायर हो चुकी दवाओं को दोबारा पैक करके बेचने का धंधा भी होता है।

एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में नकली दवाओं के उत्पादन और प्रसार का बाजार करीब 35 हजार करोड़ रुपए का है। इसी से यह समझा जा सकता है की देश में किस प्रकार नकली दावों का व्यापार निर्विघ्न रूप से फल फूल रहा है। एसोचेम  का दावा है कि बाजार में बिकने वाली हर 4 में से 1 दवा नकली है। आम आदमी के लिए इनके असली या नकली होने की पहचान बहुत मुश्किल है। कहा ये भी जा रहा है बीमारियों से इतनी मौतें नहीं हो रही है जितनी नकली दवाओं के सेवन से हो रही है।

बाल मुकुन्द ओझा

वरिष्ठ लेखक एवं पत्रकार

डी 32, मॉडल टाउन, मालवीय नगर, जयपुर

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