ज़ोहरान ममदानी के कसौटी पर खरा उतरने की चुनौती

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एम. ए. कंवल जाफरी

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कड़े विरोध और धमकी के बावजूद ज़ोहरान ममदानी ने न्यूयॉर्क का मेयर बनकर इतिहास रचा। पिछली सदी के पहले मुस्लिम, पहले भारतीय मूल और सबसे कम उम्र के मेयर ममदानी 1 जनवरी 2026 को पद और गोपनीयता की शपथ लेंगे। इस जीत से अमेरिकी राष्ट्रपति और इजराइली प्रधानमंत्री को कोई खुशी नहीं हुई, लेकिन इसका सर्वत्र स्वागत किया गया। ज़ोहरान क्वामे ममदानी 2018 में अमेरिकी नागरिक बने। 2020 के विधानसभा चुनाव में चार बार की विधानसभा सदस्य अरावेला सिमोटाॅस को हराने और दूसरे कार्यकाल के लिए निर्विरोध निर्वाचित ज़ोहरान ममदानी के मेयर के अहम और मुश्किल चुनाव में जीत से साबित हो गया कि अमेरिका की राजनीति में मुसलमान, आप्रवासी और मजदूर वोट बैंक की कतारों से निकलकर प्रतिनिधित्व की पंक्ति में आ खड़े हुए हैं। चुनाव में सियासी दमखम, लोकतांत्रिक दृष्टिकोण, नारों की गूंज और वादों का बड़ा महत्व होता है। इस चुनाव में अहम मुद्दों के साथ जनकल्याणकारी वादे भी किए गए। अमेरिका में किराया संकट, परिवहन की बढ़ती दरें, आसमान छूती मंहगाई, रोजगार की अविश्वसनीयता, युवाओं के लिए रोजगार के अवसरों की कमी, बच्चों की देखभाल का खर्च और पुलिस व्यवस्था में असमानता जैसे मुद्दे उठाए और चार बड़े वादे किए गए। वादों में किरायेदारों के लिए किराया स्थिर करना, मजदूरों और छात्रों के लिए मुफ्त बस सेवा, दैनिक उपभोग के ज़रूरी सामान के लिए सरकारी स्टोर और कामकाजी परिवारों केे बच्चों की देखभाल के लिए मुफ्त बाल केंद्र खोलना शामिल हैं। सस्ते आवासों का निर्माण, 30 डॉलर प्रतिघंटा मज़दूरी, एलजीबीटी अधिकार और पुलिस सुधार के वादों ने शहरी राजनीति को सार्वजनिक आवश्यकताओं की राजनीति में बदल दिया।
ज़ोहरान ममदानी का जन्म 18 अक्टूबर 1991 को युगांडा के शहर कंपाला में हुआ। मुंबई में पैदा उनके पिता और कोलंबिया विश्वविद्यालय के प्रसिद्ध समाजशास्त्री प्रोफेसर महमूद ममदानी का संबंध शिया मुस्लिम गुजराती परिवार से है, जबकि माँ अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त फिल्म निर्माता मीरा नायर का ताल्लुक ओडिशा के राउरकेला के पंजाबी हिंदू परिवार से है। कुछ समय दक्षिण अफ्रीका में रहकर यह परिवार अमेरिका के प्रसिद्ध शहर न्यूयार्क में आबाद हो गया। ज़ोहरान ममदानी ने 2024 में न्यूयार्क के मेयर का चुनाव लड़ने की घोषणा की। यूं तो यह चुनाव स्थानीय निकाय चुनाव था, लेकिन ममदानी के धर्म और राष्ट्रपति ट्रंप के कड़े विरोध के कारण यह चुनाव दिलचस्प और दुनिया की तवज्जह का केंद्र बन गया। इज़राइल को अमेरिकी मदद रोकने के पक्षधर ममदानी (34) आरंभ से ही बढ़त बनाए रहे। चुनाव में 20 लाख (91 प्रतिशत) से अधिक वोट पड़े, जो 1969 के बाद सबसे अधिक है। उन्होंने आजाद उम्मीदवार और न्यूयॉर्क के पूर्व गवर्नर एंड्रयू कुओमो और रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार कर्टिस स्लिवा को हराया। ट्रंप की कुओमो के समर्थन की घोषणा कारगर साबित नहीं हुई। 26 अरबपतियों के 2.2 करोड़ से अधिक डॉलर खर्च कर भी ममदानी को नहीं रोका जा सका। ममदानी को 10,36,051 वोट (50.5 प्रतिशत) प्राप्त हुए, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी और ट्रम्प समर्थित कुओमो को 7,76,547 वोट (41.3 प्रतिशत) और स्लिवा को केवल 1,37,030 वोट (7.1 प्रतिशत) मिले। ममदानी 111 वर्षों में न्यूयॉर्क के 111वें और सबसे कम उम्र के मेयर बने। उन्हें करीब 67 प्रतिशत यहूदी वोट मिले। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा व बिल क्लिंटन और पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने उन्हें बधाई दी। ममदानी ने राष्ट्रपति ट्रम्प को आव्रजन पर चुनौती दी और राजनीतिक भाई-भतीजावाद समाप्त करने का आह्वान किया। कहा, दोस्तों! हमने राजनीतिक वंश को उखाड़ फेंका। हम एक ऐसी राजनीति को उलट रहे हैं जो कुछ लोगों की सेवा करती थी। हम इसलिए जीते क्योंकि न्यूयॉर्कवासियों ने खुद को यह विश्वास दिलाया कि असंभव को संभव बनाया जा सकता है। हम पर राजनीति थोपी नहीं जाएगी, बल्कि वह चीज़ होगी, जो हम खुद बनाएंगे। ट्रंप की राजनीति अमेरिका प्रथम, मुस्लिम पाबंदी, आप्रवासी विरोधी, घृणित बयानबाजी और धमकी पर आधारित थी। शालीनता की हदें पार कर ममदानी को पागल कम्यूनिस्ट और उसे वोट करने वाले यहूदियों को बेवकूफ और यहूदी विरोधी कहा गया। ज़ोहरन ममदानी की जीत पर न्यूयॉर्क की आर्थिक मदद रोकने की धमकी दी गई। मुस्लिम आप्रवासी का जीतना ट्रंप विचारधारा की प्रतीकात्मक हार है। यह जीत आप्रवासियों और मुस्लिम समुदायों के लिए राजनीतिक प्रतिनिधित्व का संकेत है। यह मुसलमानों और अल्पसंख्यकों को संकेत देती है कि वे अमेरिकी लोकतंत्र में मुख्यधारा के नेतृत्व तक पहुँच सकते हैं। यह जीत अमेरिकी राजनीति के बदलते स्वरूप का संकेत है। इसका अमेरिका, डेमोक्रेटिक पार्टी और डोनाल्ड ट्रंप पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। मेयर शहर का मुख्य कार्यकारी अधिकारी होता है। उसके पास सभी एजेंसियों, विभागों और कर्मचारियों को नियंत्रित करने, बजट तैयार करने, प्रस्ताव देने व लागू करने का अधिकार होता है। उसे कई विभागों और मिशनों के प्रमुखों की नियुक्ति करने का हक भी है।
ज़ोहरान ममदानी न्यूयॉर्क को सिर्फ ऊँची इमारतों का शहर नहीं, बल्कि साझा ज़िंदगी के अनुभवों का शहर मानते हैं। उनका ताल्लुक ऐसे भारतीय-अफरीकी-अमेरिकी परिवार से है, जिसने तीन महाद्वीपों का अनुभव है। उनकी सियासत में मज़हब या नस्ल की बजाय शांति, न्याय और समानता नज़र आती है। इस जीत ने साबित कर दिया कि अब अब्दुल सिर्फ पंक्चर ही नहीं जोड़ता, बल्कि लोगों के दिल जोड़कर न्यूयॉर्क जैसे शहर का मेयर भी बन जाता है। मुसलमानों में मिसाइलमैन, वैज्ञानिक, गणितज्ञ और खगोलशास्त्री के साथ हर क्षेत्र के उच्च पदों पर पहुँचने की सलाहियत है। अमेरिका से बाहर पैदा होने के कारण ममदानी संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति का चुनाव तो नहीं लड़ सकते, लेकिन विधानसभा सदस्य और मेयर के रूप में जनसेवा ज़रूर कर सकते हैं। इस्लाम भेदभाव के बजाय समानता की तालीम देता है। उन्हें सबसे बड़े सेवक के तौर पर शहर के विकास और जन कल्याण के कार्य करने का अवसर मिला है। मतदाताओं ने ट्रंप की धमकियों के बावजूद उन्हें कामयाब किया है। अब ममदानी के पास लोगों के सपने पूरे करने का मौका है। ट्रंप पहले ही कह चुके हैं कि ज़ोहरान ममदानी के मेयर बनने के बाद वह न्यूयॉर्क के लिए आवश्यक संघीय धन को सीमित करेंगे, ताकि उनकी आर्थिक शक्ति कमजोर रहे और वह अपनी लोकप्रियता खो दें। कम्युनिस्ट के नेतृत्व में इस महान शहर की सफलता या समृद्धि की कोई संभावना नहीं है। वह न्यूयॉर्क को आर्थिक और सामाजिक अराजकता में धकेल देंगे और शहर के अस्तित्व को ख़तरा उत्पन्न हो जाएगा। राष्ट्रपति के विरोध और फंडिंग्स से हाथ खींचने की स्थिति में ममदानी का जनता की कसौटी पर खरा उतरना आसान नहीं है। उन्हें सीमित संसाधनों से राजनीतिक शतरंज की बिसात पर एक मंझे खिलाड़ी की तरह आगे बढ़ना होगा, ताकि चुनाव में किए गए वादों को पूरा कर शहर के विकास और जनसेवा को यकीनी बनाया जा सके।

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