रक्षा मंत्री ने वायु सेना कमांडरों से ऑपरेशन सिंदूर के अनुभवों से सबक लेने और भविष्य की प्रत्येक चुनौती से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए तैयार रहने का आह्वान किया

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।रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान सशस्त्र बलों ने भारत की उच्च-प्रभावशाली और अल्प समय में निर्णायक कार्रवाई करने की क्षमता का सशक्त प्रदर्शन किया। उन्होंने भारतीय वायु सेना (आईएएफ) को तकनीकी रूप से उन्नत, परिचालन में चुस्त, रणनीतिक दृष्टि से आत्मविश्वासी और भविष्योन्मुखी सैन्य बल बताया। रक्षा मंत्री ने कहा कि यह निरंतर बदलते वैश्विक परिवेश में राष्ट्रीय हितों की प्रभावी रक्षा कर रही है। वे 18 दिसंबर, 2025 को नई दिल्ली में आयोजित वायु सेना कमांडरों के सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।

रक्षा मंत्री ने ऑपरेशन के दौरान आतंकी शिविरों को नष्ट करने में भारतीय वायु सेना द्वारा प्रदर्शित साहस, गति एवं सटीकता की सराहना की और हमलों के उपरांत पाकिस्तान की ‘गैर-जिम्मेदाराना प्रतिक्रिया’ का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने के लिए भी वायु सेना की प्रशंसा की। उन्होंने सशस्त्र बलों, विशेष रूप से वायु रक्षा क्षमताओं पर जनता के गहरे विश्वास को रेखांकित किया। श्री सिंह ने कहा, ‘आमतौर पर जब दुश्मन हमला करता है तो लोग सुरक्षित स्थानों की ओर रुख करते हैं, लेकिन जब पाकिस्तानी सेना ने भारतीय ठिकानों को निशाना बनाने का प्रयास किया, तब भारत के नागरिक शांत रहे और उन्होंने अपनी दैनिक गतिविधियां सामान्य रूप से जारी रखीं। यह हमारी परिचालन तैयारियों पर प्रत्येक भारतीय के अटूट भरोसे का प्रमाण है।’ रक्षा मंत्री ने निर्णायक बढ़त बनाए रखने के लिए शत्रु की आक्रामक एवं रक्षात्मक क्षमताओं की गहन समझ के महत्व पर बल देते हुए कमांडरों से ऑपरेशन सिंदूर से सबक लेने तथा भविष्य की प्रत्येक चुनौती से निपटने के लिए सतर्क और सदैव तैयार रहने का आग्रह किया

श्री राजनाथ सिंह ने युद्ध के बदलते स्वरूप पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि रूस–यूक्रेन संघर्ष, इजराइल–हमास युद्ध, बालाकोट हवाई हमले और ऑपरेशन सिंदूर इस तथ्य के सशक्त प्रमाण हैं कि समकालीन परिदृश्य में वायु सेना एक निर्णायक शक्ति के रूप में उभरी है। उन्होंने कहा कि वायु शक्ति केवल एक सामरिक संपत्ति नहीं, बल्कि एक प्रभावी रणनीतिक उपकरण है, जिसकी अंतर्निहित विशेषताएं गति, आश्चर्य और प्रहार की प्रभावशीलता हैं। रक्षा मंत्री कहा, ‘वायु सेना किसी भी नेतृत्व को शत्रु के समक्ष यह स्पष्ट रणनीतिक संदेश देने की क्षमता प्रदान करती है कि राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए हर आवश्यक कदम उठाया जाएगा। उन्होंने कहा कि गति, पहुंच और सटीकता के बल पर वायु शक्ति सैन्य साधनों के माध्यम से राष्ट्रीय उद्देश्यों की प्राप्ति का एक अत्यंत प्रभावी माध्यम बन गई है।

रक्षा मंत्री ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत की वायु रक्षा प्रणालियों तथा अन्य सैन्य उपकरणों के प्रभावी प्रदर्शन की सराहना की।श्री सिंह ने कहा कि 21वीं सदी का युद्ध केवल हथियारों तक सीमित नहीं है; यह विचारों, प्रौद्योगिकी और अनुकूलन क्षमता का रण है। साइबर युद्ध, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, मानवरहित हवाई वाहन, उपग्रह-आधारित निगरानी और अंतरिक्ष-आधारित क्षमताएं युद्ध के स्वरूप को मूल रूप से बदल रही हैं। उन्होंने कहा कि सटीक व निर्देशित हथियार, वास्तविक समय की खुफिया जानकारी और डेटा-आधारित निर्णय-निर्माण अब वैकल्पिक नहीं रहे, बल्कि आधुनिक संघर्षों में सफलता के लिए अनिवार्य आवश्यकताएं बन चुके हैं। रक्षा मंत्री ने कहा कि जो देश प्रौद्योगिकी, रणनीतिक दूरदर्शिता और अनुकूलन क्षमता की इस त्रिमूर्ति में दक्षता हासिल करेंगे, वही वैश्विक नेतृत्व की दिशा में अग्रसर होंगे।

श्री राजनाथ सिंह ने विश्वास व्यक्त किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर घोषित ‘सुदर्शन चक्र’ भविष्य में राष्ट्रीय परिसंपत्तियों की सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा कि स्वदेशी जेट इंजनों का विकास अब एक राष्ट्रीय मिशन का स्वरूप ले चुका है और सरकार इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए पूर्णतः प्रतिबद्ध है।

रक्षा मंत्री ने बताया कि सरकार सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण को गति देने के लिए निजी क्षेत्र के साथ सक्रिय सहयोग कर रही है और आईडेक्स तथा अदिति जैसी कार्यकर्मों के माध्यम से युवाओं को रक्षा विनिर्माण क्षेत्र से जोड़ रही है। इस पहल में स्टार्टअप तथा लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) भी शामिल हैं। उन्होंने जानकारी दी है कि नवंबर 2025 तक आईडेक्स के अंतर्गत प्रस्तुत की गई 565 चुनौतियों में से कुल 672 विजेताओं का चयन किया गया है, जिनमें भारतीय वायु सेना से संबंधित 77 चुनौतियों के 96 विजेता शामिल हैं। श्री सिंह कहा कि यह उपलब्धि इस बात का स्पष्ट संकेत है कि युवाओं, विशेषकर निजी क्षेत्र के युवाओं की रक्षा क्षेत्र में रुचि निरंतर बढ़ रही है।          

श्री राजनाथ सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर को तीनों सेनाओं के समन्वय का उत्कृष्ट उदाहरण बताते हुए आज के तेजी से बदलते परिदृश्य में संयुक्त संचालन के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा, ‘तीनों सेनाओं के बीच संयुक्तता अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि इससे हमारी सुरक्षा संरचना भी मजबूत होगी और हम अपने शत्रुओं का सामना पहले से अधिक प्रभावी ढंग से कर सकेंगे।           

रक्षा मंत्री ने घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानवीय सहायता एवं आपदा राहत प्रयासों में भी भारतीय वायु सेना के योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा, ‘चाहे देश के भीतर हो या विदेश में, भारतीय वायु सेना ने प्राकृतिक आपदाओं के दौरान निरंतर और प्रभावी सहायता प्रदान की है। श्री सिंह ने कहा कि कई मिशन अत्यंत चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में सफलता पूर्वक संपन्न किए गए, जिससे हमारे वायु योद्धाओं पर जनता का विश्वास और अधिक बढ़ा है।

इस सम्मेलन में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान और भारतीय वायु सेना के वरिष्ठ कमांडरों ने भाग लिया। रक्षा मंत्री के आगमन पर उनका स्वागत चीफ ऑफ एयर स्टाफ एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने किया और उन्हें भारतीय वायु सेना की परिचालन तैयारियों से अवगत कराया गया। यह सम्मेलन भारतीय वायु सेना के नेतृत्व को परिचालन प्राथमिकताओं पर विचार-विमर्श करने, उभरती चुनौतियों के समाधान खोजने और रक्षा क्षमताओं में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए एक रणनीतिक मंच प्रदान करता है, जिससे वायु सेना उत्कृष्टता की ओर अग्रसर होती है।

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