नेपाल में आंदोलन में झड़प , 20 मरे, 250 घायल

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नेपाल में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के बाद Gen-Z हिंसक हुए आंदोलन में में अब तक 20 लोगों की मौत हो चुकी है। नेपाली मीडिया के अनुसार मृतकों में 16 काठमांडू और 2 इटाहारी के हैं। प्रदर्शनों में 250 से अधिक लोग घायल भी हुए हैं ।इनमें प्रदर्शनकारी सुरक्षाकर्मी और पत्रकार शामिल हैं। आंदोलनकारियों पहले सुरक्षाबलों ने लाठीचार्ज किया। आंसू गैस के गोले छोड़े और रबर बुलेट से भीड़ को नियंत्रित करने की कोशिश की । स्थिति बिगड़ने के बाद सेना को उतारना पड़ा। नेपाल के कई शहरों में कर्फ्यू (Nepal Curfew) लगा दिया गया है।भारत से सटी नेपाल की सीमा पर चौकसी बढ़ा दी गई है। नेपाल में सभी परीक्षाएं भी स्थगित कर दी गई हैं। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि सुरक्षाबल उन पर गोलियां चला रहे हैं। वहीं ट्रॉमा सेंटर और सिविल अस्पतालों में भी झड़प की खबरें मिल रही हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नेपाल में इस वक्त राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। प्रधानमंत्री आवास पर आपातकालीन कैबिनेट मीटिंग बुलाई गई है । इसमें नेपाल के गृहमंत्री रमेश लेखक ने नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देने की घोषणा की है। छात्र सड़कों से हटने को तैयार नहीं हैं।दरअसल नेपाल में सरकार द्वारा सोशल मीडिया कंपनियों के एक हफ्ते के भीतर नियमों के तहत रजिस्टर करने का अल्टीमेटम दिया था। डेडलाइन पूरी होने के बाद भी मेटा, गूगल समेत दर्जनभर प्लेटफॉर्म्स ने रजिस्ट्रेशन नहीं कराया गया था। इसके बाद ओली सरकार ने कार्रवाई करते हुए इन प्लेटफॉर्म्स को बैन करने का फैसला किया था।सरकार के इसी फैसले के विरोध में नेपाल के युवा सड़कों पर उतर आए। पहले सुरक्षाबलों ने लाठीचार्ज किया। आंसू गैस के गोले छोड़े और रबर बुलेट से भीड़ को नियंत्रित करने की कोशिश की । स्थिति बिगड़ने के बाद सेना को उतारना पड़ा। नेपाल के कई शहरों में कर्फ्यू (Nepal Curfew) लगा दिया गया है। वहीं घायल हुए लोगों के लिए मुफ्त इलाज की घोषणा की गई है।

नेपाल में युवाओं का हालिया आंदोलन, जिसे “जेन जी रिवोल्यूशन” (Gen Z Revolution) भी कहा जा रहा है, सोशल मीडिया पर सरकार के प्रतिबंध के विरोध में शुरू हुआ है। हालांकि, यह केवल सोशल मीडिया बैन का विरोध नहीं है, बल्कि यह आंदोलन भ्रष्टाचार, कुशासन और असमानता के खिलाफ भी युवाओं के गुस्से को दर्शाता है। नेपाल सरकार ने हाल ही में फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब और व्हाट्सएप जैसे 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बैन लगा दिया है। सरकार ने इसका कारण यह बताया है कि ये प्लेटफॉर्म नेपाल के कानूनों का पालन नहीं कर रहे हैं। युवाओं का मानना है कि यह कदम उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाने का प्रयास है। युवाओं में सरकार के खिलाफ लंबे समय से गुस्सा है, खासकर भ्रष्टाचार और कुशासन को लेकर। वे महसूस करते हैं कि राजनीतिक अभिजात वर्ग अपने बच्चों को विदेश में भेजकर और विलासितापूर्ण जीवन जीकर अवैध रूप से कमाई गई दौलत का प्रदर्शन कर रहा है, जबकि आम लोग गरीबी और बेरोजगारी से जूझ रहे हैं।

​आदोंलन को देखते हुए सरकार ने कई इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया है, जिसमें संसद भवन और प्रधान मंत्री निवास के आसपास के क्षेत्र शामिल हैं।​प्रदर्शनकारियों द्वारा बैरिकेड्स तोड़ने और संसद भवन में प्रवेश करने की कोशिश के बाद यह कदम उठाया गया।नेपाल के गृह मंत्री रमेश लेखक ने आंदोलन में हुई मौतों की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया है।

​आंदोलन काठमांडू के अलावा नेपाल के अन्य शहरों जैसे पोखरा, बुटवल, नेपालगंज, और विराटनगर में भी फैल गया है।इस आंदोलन का नेतृत्व मुख्य रूप से “जनरेशन ज़ेड” (Gen Z) के युवा कर रहे हैं, जो डिजिटल तकनीक से परिचित हैं।​प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वे शांतिपूर्ण विरोध कर रहे थे, लेकिन पुलिस की हिंसा ने इसे हिंसक बना दिया।

यह आंदोलन नेपाल सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है, जो पहले से ही भ्रष्टाचार और कुशासन के आरोपों का सामना कर रही है।सरकार को न केवल सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के मुद्दे को हल करना होगा, बल्कि युवाओं के गहरे असंतोष को भी संबोधित करना होगा।इस आंदोलन ने नेपाल में एक नई क्रांति ला दी है, जो दर्शाता है कि युवा अब अपनी आवाज़ उठाना चाहते हैं और देश के भविष्य को बदलना चाहते हैं।

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