फिलिस्तीन और इजरायल पीस डील अभी कुछ लोचे बाकी हैं

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फिलिस्तीन और इजरायल के बीच एक पीस डील सी कुछ हो गई है. ट्रम्प ने बीच बचाव करके सीजफायर करवा दी है. इजरायल के कोई बीस बचे खुचे जिंदा बंधक छुड़वाए जा रहे हैं. बदले में इजरायल लगभग 2000 कैदियों को छोड़ेगा और अपनी फौजें वापस लेगा.

और कुछ लोचे सुलझने बाकी हैं…गाजा में हमास हथियार डाल देगा और जॉर्डन, सऊदी अरब और अन्य अरब देशों की सेनाएं इंटरनेशनल स्टेबिलाइजेशन फोर्स बनकर तैनात होंगी.

इस पीस डील का क्या होना है?

क्या यह पहली पीस डील है? इसके पहले 1990s में ओस्लो एकॉर्ड के अनुसार भी समझौते हुए थे, उनमें क्या हुआ? पीएलओ ने लड़ाई बंद कर दी, बदले में उन्हें गाजा पट्टी और वेस्ट बैंक पर नियंत्रण मिल गया. फिर वे नाम बदल कर हमास बन कर लड़ने लगे.

जब काफ़िर ताकतवर होता है तो वह मोमिन से समझौता कर लेता है. मोमिन जो किसी भी शर्त पर समझौता करने को तैयार नहीं था, वह अन्त में अपनी ही शर्तों पर समझौता कर लेता है. यह उसे लिए साँस लेने का स्पेस दे देता है. जब उसकी सांस वापस आ जाती है तो वह फिर तरोताजा होकर लड़ने लगता है. उसकी एक एक सांस लड़ाई के लिए है.

काफ़िर को शांति की गरज होती है… मोमिन को लड़ाई की खुजली होती है. काफ़िर शान्ति को अपना उद्देश्य समझता है और लड़ाई उसका माध्यम. मोमिन के लिए लड़ाई ही उद्देश्य है और शान्ति उसके लिए सिर्फ दो लड़ाइयों के बीच तैयारी का समय होता है. मोमिन कभी नहीं थकता और काफ़िर कभी सीखता नहीं…

राजीव मिश्रा

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