दुनिया भर में मशहूर हैं मेरठ की गजक − रेबड़ी

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सर्दियों में रेवड़ियां बड़ी अच्छी लगती हैं । मेरठ में गुड और देसी घी से बने रेवड़ी और गजक दुनिया भर में मशहूर है । गुदड़ी बाजार को हम कभी नहीं भुला सकते चूंकि वह तो पूरा बाजार ही रेवड़ी बाजार है । बुढ़ाना गेट पर गोकुल और रामचंद्र कृष्णचंद्र सहाय की दुकानें तो उस समय देश में रेवड़ियों का सबसे बड़ा ब्रांड बन गई थीं , आज भी हैं ।

खांड और चीनी वाली रेवड़ी गजक शायद ही लखनऊ से बढ़िया कहीं बनती हों । गुलाब की खुशबू वाली ये रावड़ियाँ खाना शुरू करें तो जब तक डिब्बा आधा न हो जाए , काम नहीं चलता था । लखनऊ की गजक तो और भी लाजवाब है । मुरैना , आगरा और इंदौर में भी रेवड़ियाँ खूब बनती हैं । लेकिन मेरठ और लखनऊ के रेवड़ी गजक का आज भी कोई जवाब नहीं । यह और बात है कि रेवड़ी हजारों जगह बनती होंगी । बिकती तो देश भर में हैं ।

जी हां , हम असली रेवड़ियों की बात कर रहे हैं दोस्तों । आजकल राजनैतिक रेवड़ियाँ भी खूब बंट रही हैं । मुफ़्त की रेवड़ियों के जनक तो चचा केजरीवाल थे । आज तो पता नहीं कहां लुप्त हो गए । क्या करें हांकते ही इतनी बड़ी बड़ी थे कि बिग बॉस की बड़बोली तान्या मित्तल भी गश खाकर गिर पड़े । यद्यपि आजकल तो सभी हांक रहे हैं ।

केजरी बाबू को पीछे छोड़ने में लगे हैं अपने तेजस्वी बबुआ । लालू के फरजंद तेजस्वी ने तो लम्बे चौड़े बिहार के प्रत्येक घर को ही सरकारी नौकरी बांट डाली है । अब कौन नहीं जानता कि बिहारियों के लिए सरकारी नौकरी पाना जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य होता है । तो बबुआ ने फेंक दी रेवड़ियाँ । साथ में थमा दिया तेजस्वी प्रण । अपने नाम से इसलिए चूंकि लालू की चारा मंडी का एड्रेस तो सारे बिहारियों के पता है ?

तो रेवड़ियों की बात चली तो बता दें कि गुड तिल से बनीं रेवड़ियां होती लाजवाब हैं । जवानी में बड़ा मजा देती हैं । बुढ़ापे में जाड़ दांत साथ देना छोड़ दें तो गजक खाइए । गजक खाने में दांत की कम मुंह हिलाने और चबाने की ज्यादा जरूरत होती है , बाकी काम मसूड़े कर देते हैं । फिर आजकल बे दांत है ही कौन । ये गली गली बैठे डेंटिस्ट किसी को बे दांत छोड़ते कहां हैं । दांत नए उगा देते हैं ।

मोदी के आयुष्मान कार्ड तो 5 लाख के इलाज की बात थी । तेजस्वी व्रत में तो 25 लाख सालाना का इलाज होगा । तो रेवड़ियां खाने के लिए दांत भी उसी कार्ड में कवर करा देंगे । तब शौंक से खाना जमकर खाना रेवड़ियां । मेरठ और लखनऊ की खस्ता गजक रेवड़ियां ? कुछ कमी पड़ जाए तो संकोच न करना । अभी तक गायब थे । अब आ गए हैं दिल्ली वाले विदेश यात्री । वे भी तो दे जाएंगे थोड़ी बहुत फटाफट रेवड़ियां ? लेते जाइए , वोट जिसे देना हो देते जाइए ?

,,,,,,,,,कौशल सिखौला

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